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भारतीय राजनीति में कम ही प्रतिद्वंद्विताएं उतने नाटकीय या सार्वजनिक रूप से उभरकर आईं जितनी राहुल गांधी और हिमंत बिस्व सरमा के बीच की प्रतिद्वंद्विता आई है. दशक भर पहले राहुल, जो तब कांग्रेस के उपाध्यक्ष और नेहरू-गांधी विरासत के उत्तराधिकारी थे, सरमा को बमुश्किल पहचानते थे. यह तब था जब वे असम में पार्टी के सबसे असरदार नेता हुआ करते थे.

बीते कुछ सालों के दौरान असम की अपनी हरेक यात्रा में अब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल ने राज्य के मुख्यमंत्री और बीजेपी की उभरती राष्ट्रीय शख्सियत सरमा पर चुन-चुनकर निशाने साधे. असम में चायगांव की एक रैली में 16 जुलाई को राहुल ने बमुश्किल ही यह छिपाने की जहमत उठाई कि असम में उनका अभियान एक आदमी को सत्ता से बेदखल करने के इर्द-गिर्द घूमता है.

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मोहम्मद वक़ास

डिप्टी एडिटर

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शिवकेश

सीनियर एसोसिएट एडिटर

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प्रतीक्षा

सीनियर एसोसिएट एडिटर

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आशीष मिश्र

एसोसिएट एडिटर

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मनीष दीक्षित

असिस्टेंट एडिटर

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हिमांशु शेखर

वरिष्ठ विशेष संवाददाता