भारत की बेस्ट यूनिवर्सिटी : इंडिया टुडे-एमडीआरए सर्वे-2023

इंडिया टुडे ग्रुप फिर विश्वविद्यालयों की सालाना रैंकिंग के ताजा संस्करण के साथ हाजिर है. यह रैंकिंग भारत में उच्च शिक्षा की मौजूदा दशा-दिशा की साफ-साफ तस्वीर सामने रखती है

इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे - 2023
इंडिया टुडे-एमडीआरए बेस्ट यूनिवर्सिटी सर्वे - 2023

नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की तीसरी सालगिरह पर उत्तर भारत के पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने मिलकर अकादमिक सहयोग और संसाधन साझा करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ के साथ एक एमओयू पर दस्तखत किए. इस सहयोग का बुनियादी मकसद कंसोर्शियम मोड के जरिए एनईपी को तफसील से लागू करने में मदद मुहैया करना है. इस तरह की पहल रिसर्च प्रोजेक्ट्स के अलावा साझा डिग्री कार्यक्रमों को आसान बनाएगी.

यह महज एक मिसाल है जो बताती है कि भारत में विश्वविद्यालयों शिक्षा किस तरह से नवाचारों और प्रयोगों के रोमांचक दौर से गुजर रही है. बीते पांच साल के दौरान उच्च शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार होते देखे गए. दरअसल केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विशेष रूप से ध्यान देने के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की—एजुकेशन फाइनेंस, एडमिनिस्ट्रेशन, अकाउंटिंग सिस्टम, केंद्रीय उच्च शिक्षा डेटा संग्रह, और भीतरी स्वायत्तता.

पीएचडी में प्रवेश के नियम-कायदों में बदलाव और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग की मंजूरी से लेकर हाल ही में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक लाए जाने तक विश्वविद्यालयों में पोस्टग्रेजुएट स्तर की शिक्षा कायापलट के निर्णायक दौर से गुजर रही है. यह भी एक महत्वपूर्ण बात है कि जो भी बदलाव हो रहे हैं उनका पूरा ब्यौरा रखा जा रहा है. मसलन, उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणात्मक सुधारों पर नजर रखने के लिए यूजीसी ने हाल ही में अंडरटेकिंग ट्रांसफॉर्मेशन स्ट्रैटजीज ऐंड ऐक्शन इन हायर एजुकेशन (यूटीएसएएच या उत्साह) पोर्टल तैयार किया है.

गुणवत्ता से परिपूर्ण शिक्षा देश के कोने-कोने में समान ढंग से पहुंच सके, यह लक्ष्य हासिल करने के लिए इस तरह की निगरानी अहम और जरूरी है. और देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की इंडिया टुडे ग्रुप की सालाना रैंकिंग पिछले एक दशक से ऐसा ही विश्लेषण करती आ रही है. यह न केवल विश्वविद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देती है, बल्कि समृद्ध जानकारियों और डेटा के आधार पर सही संस्थान चुनने में छात्रों और उनके माता-पिता की मदद भी करती है.

और जो ठहरे अव्वल

रिसर्च एजेंसी मार्केटिंग ऐंड डेवलपमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) के हाथों किया गया यह सर्वेक्षण अपनी सुदृढ़ कार्यप्रणाली के दम पर भारतीय विश्वविद्यालयों की अकादमिक और बुनियादी ढांचे संबंधी दशा-दिशा के बारे में अंतिम निष्कर्ष बनकर उभरा है. इसकी स्वीकृति और विश्वसनीयता इस तथ्य से स्पष्ट है कि इसमें भाग लेने वाले विश्वविद्यालयों की संख्या 2019 में 120 से बढ़कर इस साल 166 हो गई है.

नतीजे बताते हैं कि शीर्ष रैंक में उत्तर से दक्षिण भारत तक के विश्वविद्यालयों का दबदबा है. मसलन, शीर्ष 20 सरकारी सामान्य विश्वविद्यालयों यानी जनरल यूनिवर्सिटीज में सात उत्तर के और नौ दक्षिण के हैं—पिछले साल भी ऐसा ही था. शीर्ष 20 प्राइवेट विश्वविद्यालयों में 12 उत्तर के हैं—पिछले साल से एक ज्यादा—और छह दक्षिण के—पिछले साल से एक कम. मेडिकल यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में अलबत्ता कुछ हलचल हुई है—शीर्ष 10 रैंकिंग में छह उत्तर की हैं, पिछले साल से एक ज्यादा. शीर्ष 10 में दक्षिण के विश्वविद्यालयों की संख्या पांच से घटकर दो पर आ गई है, जबकि पूरब के दो विश्वविद्यालय सूची में शामिल हुए हैं. तकनीकी विश्वविद्यालयों की सूची में भी उत्तर का दबदबा जारी है, जहां के पांच विश्वविद्यालय शीर्ष 10 में आए हैं. इसके विपरीत शीर्ष 10 लॉ यूनिवर्सिटी में उत्तर का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है.

सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में फासला पिछले साल की तरह चिंता का विषय बना हुआ है. सरकारी श्रेणी के शीर्ष 10 सामान्य विश्वविद्यालयों ने कुल 2,000 अंकों में से 1,827 से 1,597 के बीच अंक हासिल किए. निजी विश्वविद्यालयों को मिले अंक 1,609 से 1,375 के बीच हैं. शीर्ष सरकारी मेडिकल कॉलेजों ने 1,943 अंक हासिल किए, तो शीर्ष निजी मेडिकल कॉलेजों ने 1,430 अंक हासिल किए. तकनीकी धारा में भी ऐसे ही व्यापक फासले देखे गए.

जब देश के कुल विश्वविद्यालयों के 40 फीसद निजी क्षेत्र में हों, तो इन फासलों को तेजी से पाटना बेहद जरूरी है. इंडिया टुडे ग्रुप की रैंकिंग इसी उद्यम की दिशा में किया गया एक प्रयास है.

ऐसे दी गई विश्वविद्यालयों को रैंकिंग 

चुनने के लिए 615 सामान्य, 71 मेडिकल, 188 तकनीक, और 26 लॉ विश्वविद्यालयों की अच्छी-खासी समृद्ध सूची. इसी के चलते इंडिया टुडे की बेस्ट यूनिवर्सिटीज की सालाना रैंकिंग की देश के अकादमिक कैलेंडर में खास जगह है. यह न केवल अपनी समृद्ध जानकारियों और आंकड़ों के बल पर छात्रों के लिए करियर के अहम फैसले लेना आसान बनाती है, बल्कि दूसरे स्टेकहोल्डर्स—नौकरी पर रखने वाली संस्थाएं, माता-पिता, पूर्व छात्र, नीति निर्माता और यहां तक कि आम जनता—के लिए विश्वविद्यालयीन शिक्षा की दशा-दिशा का सार-संक्षेप भी प्रस्तुत करती है.

इंडिया टुडे की नॉलेज पार्टनर और प्रतिष्ठित रिसर्च एजेंसी मार्केटिंग ऐंड डेवलपमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) ने जनवरी, 2023 और जुलाई, 2023 के बीच यह सर्वे करते हुए श्रमसाध्य पद्धति का अनुसरण किया. वस्तुपरक रैंकिंग के दौरान एमडीआरए ने विश्वविद्यालयों की सबसे विस्तृत और संतुलित रिपोर्ट पेश करने के लिए 120 से ज्यादा पहलुओं को सावधानी से जांचा-परखा. परफॉर्मेंस के इन इंडिकेटर्स को पांच व्यापक मानदंडों से जोड़ा गया—प्रतिष्ठा और गवर्नेंस, अकादमिक और शोध गुणवत्ता, इन्फ्रास्ट्रक्चर और माहौल, व्यक्तित्व और नेतृत्व विकास तथा पांचवां करियर संभावना तथा प्लेसमेंट. रैंकिंग विश्वविद्यालयों से मिले मौजूदा साल के डेटा के आधार पर की गई.

कसौटी पर खरे उतरने वाले 750 से ज्यादा पात्र विश्वविद्यालयों की सूची तैयार की गई. मूल्यांकन के लिए चार धाराओं—जनरल, मेडिकल, टेक्निकल और लॉ—के तहत पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रमों पर विचार किया गया. पूर्णकालिक, क्लासरूम में पढ़ाई उपलब्ध करा रहे और 2022 के अंत तक ग्रेजुएशन के कम से कम तीन बैच निकाल चुके विश्वविद्यालय ही रैंकिंग के योग्य थे.

विश्वविद्यालयों की अपनी-अपनी श्रेणियों के वास्ते मानदंड और उप-मानदंड का खाका बनाने के लिए अपने-अपने क्षेत्र के अनुभवी विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया गया. बड़ी सावधानी से इंडिकेटर तय किए गए और उनके सापेक्षिक भारांश को अंतिम रूप दिया गया.

पात्रता के मापदंडों पर खरा उतरने वाले विश्वविद्यालयों को एक वस्तुपरक प्रश्नावली भेजी गई और इसे एमडीआरए तथा इंडिया टुडे की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. 166 विश्वविद्यालयों ने निर्धारित समय सीमा के भीतर डेटा और उन्हें पुष्ट करने वाले दस्तावेज दिए.

विश्वविद्यालयों से वस्तुपरक डेटा प्राप्त करने के बाद समर्थक दस्तावेजों की विस्तृत छानबीन की गई. हरसंभव तरीके से डेटा का सत्यापन किया गया. हरेक विश्वविद्यालय को पांच संकेतकों के तहत अंक दिए गए. इन वस्तुपरक अंकों की गणना करते समय यह पक्का किया गया कि अकेले एग्रीगेट यानी समेकित डेटा का ही इस्तेमाल न किया जाए और इसलिए डेटा को सामान्य बनाया गया.

धारणात्मक सर्वे चार क्षेत्रों के 20 से ज्यादा क्षेत्रों में फैले, तमाम जानकारियों से लैस 329 उत्तरदाताओं (40 चांसलर/वाइस चांसलर, 58 डायरेक्टर/डीन/रजिस्ट्रार, 203 सीनियर फैकल्टी प्रोफेसर और विभाग प्रमुख) के बीच किया गया. ये क्षेत्र और शहर इस प्रकार थे -


उत्तर: दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, जयपुर, चंडीगढ़

पश्चिम: मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और इंदौर

दक्षिण: चेन्नै, बेंगलूरू, हैदराबाद और कोयंबत्तूर

पूर्व: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहाटी और पटना

इन उत्तरदाताओं से उनके अनुभव क्षेत्र से संबंधित राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रैंकिंग ली गई. उन्हें 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत भारांश दिए गए. उन्होंने पांच प्रमुख मानदंडों में से हरेक पर 10 अंकों के पैमाने पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन किया. कुल संयुक्त अंक निकालने के लिए वस्तुपरक और धारणात्मक सर्वे के अंकों को 50:50 के अनुपात में जोड़ा गया.

एमडीआरए की कोर टीम की अगुआई अभिषेक अग्रवाल (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर) ने की. और इस टीम में अवनीश झा (प्रोजेक्ट डायरेक्टर), वैभव गुप्ता (असिस्टेंट रिसर्च मैनेजर), आदित्य श्रीवास्तव (रिसर्च एग्जीक्यूटिव), पूर्णिमा शुक्ला (असिस्टेंट रिसर्च एग्जीक्यूटिव) और मनवीर सिंह (सीनियर एग्जीक्यूटिव-ईडीपी) शामिल थे. इस सर्वे के नतीजों को जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर सकते हैं : 

जनरल (सरकारी) यूनिवर्सिटी 

जनरल (प्राइवेट यूनिवर्सिटी)

मेडिकल शिक्षा के संस्थान 

तकनीकी शिक्षा के संस्थान

कानून की शिक्षा के संस्थान

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