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आइआइटी, दिल्ली : तकनीकी शिक्षा में अव्वल

लंबे वक्त से तकनीकी शिक्षा की अव्वल संस्थाओं में से एक रहा है आइआइटी दिल्ली. इसने कई विषयों को आपस में जोड़कर पढ़ाने के अलावा अनुसंधान और उद्योग के साथ रिश्तों के नए क्षेत्रों में भी दूसरों पर बढ़त हासिल की

आइआइटी दिल्ली की सेंट्रल रिसर्च फैसिलिटी लैब में प्रयोग में जुटे छात्र
आइआइटी दिल्ली की सेंट्रल रिसर्च फैसिलिटी लैब में प्रयोग में जुटे छात्र
अपडेटेड 18 अगस्त , 2023

शैली आनंद 

तकनीकी शिक्षा संस्थान-

उत्कृष्टता की अपनी परंपरा को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) दिल्ली और आगे बढ़ा रहा है. उच्च शिक्षा में आ रहे बदलावों के साथ कदमताल करते हुए वह शोध, नवाचार, कोलैबोरेशन और टाइअप, पाठ्यक्रम की रीडिजाइनिंग और उद्योग-अकादेमिक जगत की भागीदारियों में अव्वल मोर्चे पर रहा है.

1961 में स्थापित सात सबसे पहले आइआइटी में से एक आइआइटी दिल्ली को 2018 में 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (प्रतिष्ठित संस्थान) का दर्जा देकर लगभग पूरी स्वायत्तता दी गई. कॉलेज कई अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और डॉक्टरल प्रोग्राम पेश करता है. आइआइटी दिल्ली के मुकुट में इसी साल जून में एक और नग जड़ गया. दरअसल एनआइआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) 2023 ने उसे समग्र श्रेणी में सभी शैक्षणिक संस्थाओं में तीसरी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग दी; विषयवार श्रेणी में उसे इंजीनियरिंग के तहत भारत की दूसरी सबसे अच्छी संस्था आंका गया.

तकनीकी शिक्षा के लिए आइआइटी दिल्ली कई कारणों से सबसे अव्वल संस्थाओं में से एक है. संस्था के पास इंजीनियरिंग के कई विषयों में सुस्थापित प्रोग्राम हैं, जिनमें सिविल, केमिकल, इलेक्ट्रिकल, मेकैनिकल और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग शामिल हैं लेकिन यह यहीं तक सीमित नहीं है. डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर नारायणन डी. कुरूर कहते हैं, ''इनके अलावा, कई नए और विशिष्ट क्षेत्र हैं जिनमें हमने दूसरों पर शुरुआती बढ़त बना ली थी. इनमें बायोकेमिकल और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग, एनर्जी स्टडीज, एप्लाइड रिसर्च इन इलेक्ट्रॉनिक्स और एटमोस्फेरिक साइंसेज, रूरल टेक्नोलॉजी और ट्रांसपोर्ट रिसर्च शामिल हैं.’’ अभी हाल में संस्था ने आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस में प्रोग्राम शुरू किया और रोबोटिक्स में इंटरडिसिप्लिनरी प्रोग्राम की शुरुआत की है.

पोस्टग्रेजुएट स्तर पर यहां कई उद्योग-केंद्रित प्रोग्राम हैं, जिनका संचालन अलग-अलग विभाग और केंद्र करते हैं. मसलन, सेंटर फॉर एप्लाइड मैकेनिक्स इंजीनियरिंग मेकैनिक्स में एम.टेक प्रोग्राम चलाता है, और इंजीनियरिंग तथा बायोटेक्नोलॉजी विभाग बायोमॉलीक्युलर और बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग में एम.टेक प्रोग्राम की पेशकश करता है. टेक्सटाइल और फाइबर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट फाइबर साइंस और टेक्नोलॉजी में और टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में एम.टेक की पेशकश करता है. उधर मटेरियल साइंस और इंजीनियरिंग विभाग भी मटीरियल्स इंजीनियरिंग और पॉलिमर साइंस तथा टेक्नोलॉजी में एम.टेक प्रोग्राम चलाता है.

कई और पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम भी हैं, जिन्हें विभिन्न विभाग चलाते हैं—केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स, फिजिक्स, कॉग्निटिव साइंस और अर्थशास्त्र के अलावा इंडस्ट्रियल डिजाइन में मास्टर ऑफ डिजाइन प्रोग्राम. प्रो. कुरूर बताते हैं, ''राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जिस जगह हम हैं, उसके भी अहम फायदे हमें मिलते हैं क्योंकि यह हमें कई इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस के मैदानी परीक्षणों के लिए परीक्षण प्लेटफॉर्म मुहैया करता है.’’
यहां एप्लाइड मेकैनिक्स, बायोकेमिकल इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी, केमिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल तथा फाइबर इंजीनियरिंग समेत अनेक विषयों में पोस्टग्रेजुएट अध्ययन की व्यापक संभावनाएं हैं. इसके साथ ही यह संस्था छात्रों को विज्ञान, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और प्रशिक्षण की बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करती है. पोस्टग्रेजुएट अध्ययन के अपने पहले साल के आखिर में छात्रों को कोई रोजगार स्वीकार करने और पढ़ाई पूरी करने के लिए बाद में लौटने का विकल्प भी मिलता है.

आइआइटी दिल्ली की स्टार्ट-अप संस्कृति को भारत की तमाम दूसरी संस्थाओं में बेजोड़ कहा जा सकता है. प्रो. कुरूर कहते हैं, ''हमारे यहां एक टेक्नोलॉजी बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर है और हाल में हमने अनुसंधान तथा नवाचार पार्क खोला है. बहुत जल्द हमारे यहां यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के साथ हमारा पहला संयुक्त पीएचडी ग्रेजुएट होगा.’’

संस्था ने बहुविषयी शिक्षा की बात करने वाली नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कई पहल हाथ में ली हैं और कई प्रोग्राम शुरू किए हैं, जैसे अर्थशास्त्र में एम.एससी, कॉग्नेटिव साइंस में एम.एससी, पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स, साइबरसिक्योरिटी, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, मशीन लर्निंग और बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग में एम.टेक प्रोग्राम. इसने मुंबई के एनआइटीआइई (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग) के साथ विजनरी लीडरशिप इन मैन्युफैक्चरिंग में संयुक्त पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा भी शुरू किया है.

आइआइटी दिल्ली ने इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च पर ध्यान केंद्रित करने के लिए केंद्र और स्कूल भी शुरू किए हैं. सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च ऐंड ट्राइबोलॉजी, ऑप्टिक्स ऐंड फोटोनिक्स सेंटर, स्कूल ऑफ आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च ऐंड इंज्यूरी प्रीवेंशन सेंटर उनमें से कुछेक नाम हैं.

आइआइटी दिल्ली ने अब अंतरराष्ट्रीकरण की दिशा में कदम उठाए हैं. उसने अबू धाबी में अपना अंतरराष्ट्रीय कैंपस स्थापित करने के लिए हाल ही में अबू धाबी डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन ऐंड नॉलेज और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ एक मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर दस्तखत किए. आइआइटी दिल्ली-अबू धाबी कैंपस आइआइटी दिल्ली का शोध-केंद्रित कैंपस होगा और इसमें अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट तथा डॉक्टरल स्तर के डिग्री प्रोग्राम होंगे. आइआइटी दिल्ली ने इंटरनेशनल पीएचडी फेलोशिप प्रोग्राम और इंटरनेशनल मास्टर्स स्कॉलरशिप प्रोग्राम भी शुरू किए हैं.

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