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महाराष्ट्रः अरे! कर्ज लेने वाले कम निकले

मुख्यमंत्री ने किसानों के कर्ज तो माफ कर दिए मगर लगता है, उसके ज्यादा लिवाल ही नहीं

हल चलाना बंद शोलापुर में कृषि उपज मंडी समिति के दफ्तर के सामने किसानों का प्रदर्शन
हल चलाना बंद शोलापुर में कृषि उपज मंडी समिति के दफ्तर के सामने किसानों का प्रदर्शन
अपडेटेड 9 अक्टूबर , 2017

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने 30 जून को किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया था. तब उन्हें उम्मीद थी कि 32,020 करोड़ रु. की इस 'ऐतिहासिक' कर्ज माफी का फायदा 89 लाख किसानों को मिलेगा. लेकिन पता यह चला कि 22 सितंबर की आखिरी तारीख तक सिर्फ 58 लाख किसानों ने कर्ज माफी के लिए अर्जी दी है.

सरकारी अधिकारी कहते हैं कि कर्ज माफी के वादे के तहत कम लिवालों का आगे आना हैरान करने वाली बात है. सहकारी महकमे के एक बड़े अफसर को इसमें घोटाले की बू आ रही हैः हो सकता है, जिला सहकारी बैंकों ने ऐसे किसानों के फर्जी या बेनामी खाते खोल रखे हों जिनका वजूद ही न हो. कर्ज माफी के हकदार किसानों की तादाद इन्हीं बैंकों से मुहैया किए गए आंकड़ों की बिना पर निकाली गई थी. एक अफसर कहते हैं, ''मुमकिन है कि उन्होंने (बैंक अफसरों ने) आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर बताए हों.''

पहले की योजनाओं में रकम सीधे बैंकों में जमा कर दी जाती थी. मगर इस बार कर्ज माफी की रकम अलग-अलग किसानों के खातों में सीधे जानी है और वह भी उनकी आधार पहचान की तस्दीक करने के बाद. इसके लिए ऑनलाइन अर्जी की प्रक्रिया मुकर्रर की गई जिसमें किसानों के लिए जमीन की मिल्कियत के सबूत के साथ उनके आधार नंबर के कागजात देना अनिवार्य कर दिया गया. राज्य सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी महकमे के प्रिंसिपल सेक्रेटरी वी.के. गौतम कहते हैं कि जिन आवेदकों ने अपने आधार के ब्योरे पेश नहीं किए हैं, वे कर्ज माफी के हकदार नहीं होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को आधार कार्ड की नकल पेश करने के लिए एक और मौका दिया जाएगा.

हालांकि कृषि मंत्री पांडुरंग फुंदकर उक्वमीद से कम अर्जियां आने की एक और वजह बताते हैं. उनके मुताबिक, कई किसान परिवारों में भाइयों के बीच जोत का बंटवारा हो चुका है पर कागजों पर मिल्कियत नहीं बदली. फुंदकर कहते हैं, ''विदर्भ और मराठवाड़ा में ऐसे कई मामले हैं. खेत की जमीन का मालिक ही चूंकि कर्ज माफी का हकदार है इसलिए दूसरों को लाभार्थी नहीं माना जाता.'' हालांकि कर्ज परिवार को एक इकाई के तौर पर दिया जाता है.

किसानों के संगठनों ने भी आधार के जरिए तस्दीक की मुखालफत की है. शेतकरी संघटना के अध्यक्ष रघुनाथ पाटील कहते हैं, ''योजना से किसी को भी इसलिए महरूम नहीं करना चाहिए क्योंकि उसके पास आधार नंबर नहीं है.'' हालांकि कृषि महकमे के आंकड़े बताते हैं कि सभी किसानों के पास आधार कार्ड हैं.

हकदार किसानों की कम तादाद से मुख्यमंत्री फडऩवीस की कर्ज माफी का दायरा 32,020 करोड़ रु. से अच्छा-खासा कम होकर 24,000 करोड़ रुपए पर आ जाएगा. मगर विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में रियल एस्टेट और मैन्युफैक्चरिंग में सुस्ती को देखते हुए यह भी चुनौती से कम नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने ऐलान किया है कि कर्ज माफी की रकम दीवाली से पहले जमा कर दी जाएगी और वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को मुख्यमंत्री का वादा पूरा कर पाने की उम्मीद है. वे कहते हैं, ''मुझे रकम अदा करनी है, चाहे जितनी भी हो. मैं इसके लिए तैयार हूं.''

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