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मुंबई बनी देश में नशे की राजधानी

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मुंबई में नशे का कारोबार सुर्खियों में आया. यह शहर नशेड़ियों का बड़ा अड्डा है जो कि ऊंचे दाम चुकाने को तैयार रहते हैं.

मुंबई में एनसीबी दफ्तर पहुंची रिया चक्रवर्ती (एएनआइ)
मुंबई में एनसीबी दफ्तर पहुंची रिया चक्रवर्ती (एएनआइ)
अपडेटेड 23 अक्टूबर , 2020

भारत में नशीले पदार्थों पर अंकुश लगाने वाली शीर्ष एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने 12 अक्तूबर से 19 अक्तूबर के बीच मुंबई, पुणे और गोवा में 100 करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ बरामद किए. यह एनसीबी की हाल के दिनों की सबसे बड़ी कार्रवाई थी. एनसीबी का कहना है कि मुंबई नशीले पदार्थों की खपत, खुदरा बिक्री और दोबारा डिस्ट्रीब्यूशन का गढ़ बनकर उभरा है. 

दरअसल, 14 जून को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मुंबई की नशे की आदतें सुर्खियां बनीं. एनसीबी ने सुशांत की पार्टनर अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को 22 सितंबर को ड्रग्स इधर से उधर ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया. एजेंसी ने 26 सितंबर को बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर, सारा अली खान से कथित तौर पर ड्रग्स लेने के आरोपों पर पूछताछ की. हालांकि सभी ने इससे इनकार कर दिया. चक्रवर्ती को 7 अक्तूबर को मुंबई हाइकोर्ट ने जमानत दे दी. इन हाइ-प्रोफाइल मामलों में नशे की मात्रा काफी कम रही लेकिन एनसीबी शहर में नशे की खेप लाने वाले इंटरनेशनल सप्लाई रूट को पकड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. एनसीबी के अफसर ने अनुमान जाहिर किया है कि मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन (एमएमआर) में हर महीने औसतन 500 किलो मैरियुआना (चरस) लाई जाती है जिससे ड्रग माफिया 500 करोड़ का अवैध धंधा करते हैं. एनसीबी ने 15 अक्तूबर को पालघर से 1 किलो कोकीन, दो किलो पीसीपी (फेंसीक्लाइडाइन), 29 किलो एमडीए और 70 किलो मेफेड्रोन बरामद की. इससे एक दिन पहले जम्मू से 56 किलो हशीश बरामद हुई और उसका रिसीवर (खेप लेने वाला) मुंबई का ही आदमी था. एमएमआर में धारावी, अंधेरी, पालघर, वसई और नवी मुंबई ड्रग्स तस्करी के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं.  

हाल की बरामदगी पिछले दो महीनों में सबसे ज्यादा है. इससे पहले अगस्त में एनसीबी और कस्टम्स डिपार्टमेंट ने नवी मुंबई के नोवा शेवा स्थित जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से 91 किलो हेरोइन बरामद की थी. 1,000 करोड़ रुपए की यह खेप अफगानिस्तान से मुलेठी के नाम पर लाई गई थी जो कि एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी होती है. अफगानिस्तान दुनिया का प्रमुख अफीम उत्पादक है और दुनिया में हेरोइन का 90 प्रतिशत उत्पादन यहीं होता है. हाल के वर्षों में यह दूसरा मौका है जब भारत ने देश में ड्रग्स कार्टेल के अफगानिस्तानी संपर्कों का रहस्योद्घाटन किया है. दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2019 में उसी पोर्ट से अफगानिस्तान से आई 130 किलो हेरोइन बरामद की थी. यह नशीला पदार्थ देश के बड़े शहरों में हाइ-प्रोफाइल नाइट पार्टियों में पहुंचाने के वास्ते लाया गया था.  

एजेंसी ने 16 अक्तूबर को मैरियुआना की बरामदगी के साथ कनाडा से चल रहे इंटरनेशनल ड्रग्स सप्लाई रैकेट का पर्दाफाश किया. ये ड्रग्स मुंबई भेजी जा रही थी और वहां से इसे अहमदाबाद और लोनावाला भेजा जाना था. एजेंसी ने उसी दिन 74 ग्राम मैरियुआना (बड) नवी मुंबई से बरामद की.  

मुंबई क्यों? 

एनसीबी के एक अफसर कहते हैं कि मुंबई का नारकोटिक्स का रिटेल हब बन जाना हाल की घटना है. ड्रग डीलरों को लगा कि गोवा के मुकाबले मुंबई नशीले पदार्थों के लिए ज्यादा सुरक्षित लैंडिंग प्वाइंट है. साथ ही यहां उनके माल की ज्यादा कीमत भी मिलती है. अफसर का कहना है, “मुंबई में एक ग्राम कोकीन की कीमत 5,000 रुपए पहुंच गई है जो कि गोवा के मुकाबले दोगुना दाम है. यहां एक किलो हेरोइन की कीमत पांच करोड़ है.”  

युवा ही निशाना 

एनसीबी मानती है कि शहर के ज्यादातर नशेड़ी 30 साल से कम उम्र के हैं. एनसीबी के आने से पहले मुंबई पुलिस ने कुछ कॉलेजों और नाइट क्लबों के बाहर उन जगहों को चिन्हित किया था जो नशे की बिक्री के संभावित ठिकाने थे. बाद में मार्च में लॉकडाउन आने के बाद ये ठिकाने छोटी दुकानों और अलग-थलग स्थानों में शिफ्ट हो गए. पुलिस ने कुछ पान की दुकानों पर निगरानी बढ़ाई और कुछ को ड्रग स्पॉट के रूप में चिन्हित भी किया. ऐसा पता चला कि मैरियुआना के लिए संभावित कोड वर्ड ‘पोपट पान’ है.  

थाने के निवासियों ने पुलिस से कई बार शिकायत की कि आलीशान इलाके घोड़बंदर रोड में ड्रग्स आसानी से मिलती है. वहां के निवासी मुकुंद शिंदे (बदला हुआ नाम) कहते हैं, “मैंने देखा कि कॉलेज के छात्र नशे के कारोबारियों का प्रमुख निशाना होते हैं. तस्कर लॉकडाउन के दौरान गायब रहे लेकिन अब फिर दिखने लगे हैं.”  

सख्त कानून 

नारकोटिक्स ड्रग्स ऐंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस (एनडीपीएस) ऐक्ट 1985 से लागू है. इसमें किसी शख्स से बरामद नशे की मात्रा के अनुसार 10 से 20 साल की सजा तक का प्रावधान है. दो ग्राम ड्रग्स को छोटी मात्रा माना जाता है. जितनी ज्यादा मात्रा होगी उतनी ज्यादा सजा होगी.  

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीबी को अंतर्राज्यीय ड्रग्स ट्रैफिकिंग की जांच का अधिकार है. स्थानीय पुलिस भी नॉरकोटिक्स से जुड़े अपराधों से दो-चार होती है. लेकिन एनसीबी को छापे मारने और गिरफ्तारी करने के व्यापक अधिकार हैं.15 अक्तूबर को एजेंसी की ओर से जारी एक नोट में कहा गया, “एनसीबी ड्रग्स तस्करी की बुराई को खत्म करने के लिए संकल्पबद्ध है.”

अनुवादः मनीष दीक्षित

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