आखिरकार कांग्रेस ने अल्पसंख्यक आरक्षण का पासा फेंक ही दिया. उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना से ठीक पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरियों और केंद्रीय शिक्षा संस्थानों में अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण का फैसला कर लिया, जो गजट अधिसूचना के जरिए 1 जनवरी, 2012 से लागू हो जाएगा.
28 दिसम्बर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
आरक्षण का यह प्रावधान अन्य पिछड़ा वर्र्ग की मौजूदा सीमा 27 फीसदी में से ही किया गया है. यह कोटा अल्पसंख्यक समुदाय की पिछड़ी जातियों को मिलेगा. सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह होने के नाते यह माना जा रहा है कि यूपीए और कांग्रेस इस कदम के जरिए मुसलमानों को लुभाना चाहती है. यूपी में 18.5 फीसदी मुसलमान हैं और करीब 70 विधानसभाओं में उनकी आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 20, पूर्वी उत्तर प्रदेश की 10, मध्य की पांच और बुंदेलखंड की एक सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 35-40 फीसदी है. राज्य के कुल मुसलमानों में 80 से 85 फीसदी पिछड़ी जाति के यानी पसमांदा मुसलमान हैं.
21 दिसम्बर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
कांग्रेस इस कदम से अपना खोया मुस्लिम जनाधार वापस पाना चाहती है, जो बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद से कभी पूरी तरह उसका नहीं रहा. सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में मुसलमानों की बदहाली की तस्वीर सामने आने और रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट में कोटे की सिफारिश किए जाने के बाद से ही अल्पसंख्यक आरक्षण की मांग तेज हो गई थी.
उत्तर प्रदेश की राजनीति पर केंद्र सरकार के इस फैसले का गहरा असर हो सकता है और राजनीति की तस्वीर बदल सकती है. उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने हाल ही में मांग की थी, ''हम मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने के हक में हैं, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार को संविधान में संशोधन कर ओबीसी आरक्षण की मौजूदा 27 फीसदी की सीमा बढ़ानी चाहिए.'' समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यह कह चुके हैं कि यह अधूरा आरक्षण होगा. वे चाहते हैं कि रंगनाथ मिश्र कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक मुसलमानों को आरक्षण दिया जाए.
14 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
07 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
भाजपा अल्पसंख्यक आरक्षण का विरोध कर रही है और इसे असंवैधानिक बता रही है. लोकपाल के बारे में लोकसभा में बहस में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज अल्प-संख्यक आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती दे चुकी हैं. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद कहते हैं, ''वोट बैंक के लिए पिछड़ों का मौजूदा कोटा काटना गलत है. मंडल कमीशन के जरिए पिछड़े मुसलमानों को भी आरक्षण मिल रहा है, लेकिन कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए असंवैधानिक कदम उठाया है.'' भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नक़वी इसे खतरनाक बताते हैं और ''गृहयुद्ध'' की आशंका जताते हैं. भाजपा के सूत्रों की मानें तो पार्टी भीतर से खुश है कि कांग्रेस की इस चाल से हिंदू, खासकर ओबीसी हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण उसके पक्ष में होगा.
30 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
कांग्रेस ने इसे चुनावी दांव के तौर पर खेला है. इस आरक्षण मसौदे के सूत्रधारों में शामिल एक वरिष्ठ मंत्री दबी जुबान में कबूल करते हैं, ''मसौदा पहले से तैयार था, लेकिन हम चुनाव के नजदीक आने का इंतजार कर रहे थे ताकि लोगों को याद रहे. जब मायावती बार-बार चिट्ठी लिखकर राजनीति कर रही है, तो हम (कांग्रेस) क्यों न करे.'' गौरतलब है कि केंद्रीय विधि मंत्री सलमान खुर्शीद समेत कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, श्रीप्रकाश जायसवाल जैसे नेता यूपी में अल्पसंख्यकों को आरक्षण का भरोसा दे चुके थे.
पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. मो. अयूब कहते हैं, ''अल्पसंख्यकों को 4.5 फीसदी आरक्षण मुसलमानों के साथ सरेआम धोखाधड़ी है.'' वे दलील देते हैं, ''रंगनाथ मिश्र आयोग ने 8.44 फीसदी की सिफारिश की थी, जिसमें मुसलमानों के लिए छह फीसदी की बात थी. लेकिन सरकार ने सभी अल्पसंख्यकों के लिए महज 4.5 फीसदी कोटा तय किया है, जिससे मुसलमान और अधिक बदहाल हो जाएगा.''
23 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
16 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
माकपा पोलित ब्यूरो ने इस घोषणा को नाकाफी और दिखावटी करार दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम फोरम (अब पीडीएफ) के संस्थापक प्रो. नेहालुद्दीन का कहना है, ''सरकार गंभीर नहीं है. इस 4.5 फीसदी अल्पसंख्यक आरक्षण में मुसलमान समेत ईसाई, बौद्ध, सिख और पारसी भी शामिल होंगे.'' उनका कहना है कि धर्म के नाम पर देश में आरक्षण नहीं मिल सकता और कोई भी व्यक्ति इसे अदालत में चुनौती देकर स्टे ले सकता है.
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप भी कहते हैं, ''ये फैसला संविधान सम्मत नहीं है और सरकार ने निर्णय लेते वक्त संविधान के बजाए यूपी चुनाव को ध्यान में रखा है.'' वे यहां तक कहते हैं, ''सरकार के विधिवेत्ताओं को भी मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट में यह फैसला फंस सकता है, लेकिन जब तक कोर्ट फैसला करेगी, यूपी चुनाव में कांग्रेस राजनैतिक लाभ उठा चुकी होगी.''
अल्पसंख्यक आरक्षण के पैरोकार लालू प्रसाद यादव सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं,
9 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
2 नवंबर 201: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
लेकिन उसे कांग्रेस की चालाकी करार देते हैं. दरअसल सरकार का फैसला ओबीसी राजनेताओं में ज्यादा बेचैनी पैदा कर रहा है. जिस पिछड़ा-मुसलमान जनाधार के बूते लालू और मुलायम जैसे नेता कभी प्रधानमंत्री की कुर्सी के आसपास पहुंच गए थे, उस जनाधार को टिकाए रखना उनके लिए मुश्किल बना दिया गया है.