मोरारजी देसाई, चरण सिंह, चंद्रशेखर... तस्वीरों में देखें भारत की गठबंधन सरकारों का इतिहास

2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाली NDA सरकार को लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने से रोकने के लिए ज्यादातर बड़े विपक्षी दलों ने 'INDIA' गठबंधन की 'छतरी' के नीचे खुद को इकट्ठा कर लिया है. इसकी बैठकें भी आयोजित हो रही हैं और सबकी निगाहें सीटों के बंटवारे पर टिकी हैं. यह गठबंधन चुनावों में कितना सफल हो पाता है ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा, लेकिन भारत में गठबंधन की राजनीति का खेल नया नहीं है.
1975 से 1977 तक चले आपातकाल के बाद हुए चुनावों में पहली बार जनता पार्टी के रूप में गठबंधन वाली सरकार बनी. यह पहली बार हुआ था कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई थी. मोरारजी देसाई इस सरकार में प्रधानमंत्री बने. इस गठबंधन में जन संघ, कांग्रेस (o), कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी और भारतीय क्रांति दल जैसी पार्टियां थीं.

हालांकि 1977 में इंदिरा गांधी की सरकार को तो गठबंधन ने बाहर कर दिया, लेकिन कोई भी नंबर दो पर रहने के लिए तैयार नहीं था. चरण सिंह और जगजीवन राम इसमें उपप्रधानमंत्री बने. चरण सिंह और मोरारजी देसाई में मतभेद जगजाहिर थे. मतभेद इतना बढ़ गया कि 1979 में सोशलिस्टों ने सदन में अलग बैठेने का फैसला कर लिया. इसके बाद मोरारजी देसाई की सरकार अल्प मत में आ गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद जनता (एस) के नेता चरण सिंह कांग्रेस और सीपीआई के समर्थन से प्रधानमंत्री बने. हालांकि बाद में इंदिरा गांधी ने घोषणा कर दी कि वो बहुमत साबित करने में चरण सिंह का साथ नहीं देंगी. इसके बाद चरण सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और गठबंधन सरकार गिर गई. 1980 में चुनाव हुए तो कांग्रेस सत्ता में लौट आई.

इसके बाद अगली गठबंधन सरकार देखने को मिली 1989-90 के बीच. शाहबानो का मामला, बाबरी मस्जिद और बोफोर्स घोटाले जैसे मुद्दों ने राजीव गांधी सरकार की हालत खराब कर दी थी. इसी दौरान वीपी सिंह ने जन मोर्चा की स्थापना कर हवा अपने पक्ष में कर ली. 1988 में उन्होंने जनता पार्टी, जन मोर्चा, लोक दल और कांग्रेस (एस) को मिलाकर जनता दल बनाया. बाद में उन्होंने जनता दल, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) और असम गण परिषद् के साथ मिलकर यूनाइटेड फ्रंट का गठन किया. इसके चुनावों में जनता दल को 143 सीटें मिली थीं. बीजेपी भी 85 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. बीजेपी ने बाहर से समर्थन करके यूनाईटेड फ्रंट को सरकार बनाने में मदद की. वीपी सिंह इसके प्रधानमंत्री बने.
वीपी सिंह उम्मीदों की लहरों पर सवार होकर प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करके पूरे देश में हड़कंप मचा दिया. सवर्ण छात्रों ने आंदोलन छेड़ दिया. दूसरी तरफ बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन शुरू कर दिया और सरकार से समर्थन वापस ले लिया. यूनाइटेड फ्रंट के चंद्रशेखर भी अपने 64 समर्थकों के साथ अलग हो गए. वीपी सिंह सरकार अल्पमत में आ गयी, और 7 नवम्बर, 1990 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

कांग्रेस के पास 197 सीटें थीं. वीपी सिंह की सरकार गिरी तो कांग्रेस ने समर्थन देकर चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बना दिया. सरकार कांग्रेस की मेहरबानी पर चल रही थी, इसलिए दोनों के बीच खींचतान बनी रहती थी. ये मतभेद और बढ़ते गए. कांग्रेस के न चाहने के बावजूद चंद्रशेखर सरकार ने अमेरिकी लड़ाकू विमानों को भारत में तेल भरने की इजाजत दी थी. एक दिन राजीव गांधी के आवास के बाहर हरियाणा पुलिस के दो कांस्टेबल पकड़े गये. इस पर कांग्रेस ने सरकार आरोप लगाया कि उसके नेता की जासूसी कराई जा रही है और इस आधार पर उसने सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

अगली गठबंधन की सरकार बनी 1996 में. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार अल्पमत में होने के कारण गिर गई थी. इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से तत्काल 24 दलों के मोर्चे का गठन किया गया और एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने. हालांकि कांग्रेस ने माना कि सरकार उनकी नीतियों के हिसाब से नहीं चल पा रही है जिसके बाद 1997 में देवेगौड़ा को इस्तीफा देना पड़ा.

देवेगौड़ा के बाद सवाल उठा कि अब पीएम कौन होगा. इसके लिए बहुत माथापच्ची के बाद इंदर कुमार गुजराल के नाम पर सहमति बनी. मुलायम सिंह यादव जरूर अड़े थे, लेकिन कम्युनिस्ट नेता ज्योति बसु उन्हें मनाने में कामयाब रहे. दूसरी तरफ तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी भी गुजराल को अपना करीबी दोस्त मानते थे. इस तरह गुजराल भारत के 12वें प्रधानमंत्री बने.

1998 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन NDA ने AIADMK के समर्थन से केंद्र में सरकार बनाई. यह गठबंधन करीब 13 महीने चला. इसमें शिवसेना, लोक शक्ति, अरुणांचल कांग्रेस, अकाली दल समेत कई दल शामिल थे. TDP और तृणमूल कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया था. बाद में AIADMK ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार अल्पमत में आ गई. 17 अप्रैल 1999 को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो महज एक वोट से सरकार गिर गई. इसके बाद 1999 में हुए चुनाव में NDA ने सत्ता हासिल की.

2004 से 2009 और 2009 से 2014 तक दो कार्यकाल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी UPA की सरकार बनी. इसमें कांग्रेस के अलावा NCP, DMK, RJD, LJP, PMK सहित कई दल थे. CPI और CPM ने बाहर से सरकार को समर्थन दिया था. डॉ. मनमोहन सिंह इस दौरान प्रधानमंत्री बने रहे.

2014 के बाद से केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार है. इसमें LJP, TDP, अकाली दल, लोक क्षमता पार्टी, अपना दल और शिवसेना जैसी पार्टियां रहीं. हालांकि 2018 में TDP और 2019 में शिवसेना ने NDA का साथ छोड़ दिया.