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बिहार: 50 सीटों के लिए 1300 KM चलेंगे राहुल! क्या है तेजस्वी का सपना पूरा करने वाला चुनावी गणित?

राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में 1300 किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं और इस यात्रा का रूट पूरी तरह से चुनावी गणित के हिसाब से तय हुआ है

बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' कर रहे राहुल गांधी  (File Photo: PTI)
बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' कर रहे राहुल गांधी (File Photo: PTI)
अपडेटेड 21 अगस्त , 2025

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 17 अगस्त को राहुल गांधी ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कर दी है. इस यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता 16 दिनों में 1300 किलोमीटर की यात्रा करेंगे, जिसके जरिए 23 जिलों की कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर सीधे पहुंचेंगे.

इनमें से 20 सीटों पर पिछली बार कांग्रेस चुनाव लड़ी थी, लेकिन सिर्फ आठ पर उसे जीत मिल पाई थी. क्या यही वजह है कि कांग्रेस इन 50 सीटों पर टारगेट कर रही है? राहुल गांधी की यात्रा का 4 पॉइंट में एनालिसिस करके जानेंगे कि इससे आगामी चुनाव में कांग्रेस को कितना फायदा मिल सकता है:

वोटर अधिकार यात्रा का रोडमैप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सासाराम के एसपी जैन कॉलेज से इस वोटर अधिकार यात्रा को हरी झंडी दिखाई. इसके बाद यात्रा के शुरुआती दो दिन राहुल ने जिस गाड़ी से सवारी की, उसकी ड्राइविंग सीट पर तेजस्वी दिखे.

साफ है कि दोनों नेता ये मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि महागठबंधन एकजुट है. राहुल और तेजस्वी की जोड़ी विधानसभा चुनाव से पहले सासाराम से लेकर सीमांचल तक घूम-घूमकर महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रही है.

अब 4 पॉइंट में समझने की कोशिश करते हैं कि इस यात्रा से कांग्रेस को क्या हासिल हो सकता है:

1. 23 जिले की जिन 50 सीटों पर राहुल गांधी जाएंगे, वहां यात्रा से क्या असर होगा?

50 विधानसभा सीट पर पहुंचेंगे राहुल
50 विधानसभा सीट पर पहुंचेंगे राहुल

पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक, 2020 की तरह ही इस बार भी विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है. 'वोट वाइव' के सर्वे में शामिल बिहार के 36.1 फीसद मतदाताओं ने महागठबंधन का समर्थन किया है. जबकि 35.4 फीसद ने NDA का सर्थन किया है. ऐसे में साफ है कि दोनों दलों के बीच करीबी मुकाबला है. अब सवाल है कि राहुल की यात्रा से नतीजे पर कितना असर पड़ेगा

इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल की यात्रा से कांग्रेस को दो फायदे होंगे- 1. पार्टी और संगठन को मजबूती मिलेगी. 2. कांग्रेस कैडर और उसके स्थानीय नेता लंबे समय के बाद जनता के बीच जमीन पर दिखेंगे.

बिहार में अब तक ऐसा लग रहा था कि सरकार के खिलाफ सिर्फ प्रशांत किशोर ही मैदान में हैं, लेकिन राहुल की यात्रा इस मिथ को भी तोड़ेगी. जिन 23 जिलों की 50 सीटों पर राहुल जाएंगे, उनमें से कांग्रेस के सिर्फ 8 विधायक हैं. अब देखने वाली बात ये है कि इससे उनको कितने सीटों का फायदा होगा.

सर्वे के मुताबिक फाइट करीबी है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी अगर कांग्रेस इन 50 में से एक दर्जन सीट जीत ले या फिर महागठबंधन की सीटों की संख्या 22 के बजाय 30 हो जाए. हालांकि, यह सबकुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी यात्रा का जनता पर कितना असर होता है, जो अभी दो दिन की यात्रा के बाद कहना मुश्किल है.

2. 50 में से 29 सीटों पर NDA विधायक हैं, क्या वहां के विधानसभा चुनाव में कुछ बदलेगा?

लोकसभा चुनाव में NDA को ज्यादा सीटों पर बढ़त
लोकसभा चुनाव में NDA को ज्यादा सीटों पर बढ़त

 

राहुल गांधी बिहार की जिन 50 विधानसभा सीटों पर वोट अधिकार यात्रा कर रहे हैं, उनमें से पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 22 सीटें मिली थीं. जबकि 28 सीटें NDA के खाते में गई थीं.

वहीं, अगर हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव की बात की जाए, तो इन 50 विधानसभा सीटों में से 38 पर NDA गठबंधन आगे रहा था. ऐसे में अगर जनता का मूड इस विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही रहा, तो महागठबंधन को 2020 की तुलना में 10 सीटों का सीधा नुकसान हो सकता है.

पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बहुमत के आंकड़े से थोड़ा पीछा रह गया था. महागठबंधन को 110 सीटें हासिल हुई थी, जबकि बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए था.

ऐसे में इस चुनाव में इन 10 सीटों का नुकसान महागठबंधन को सत्ता में लाने के सपने को तोड़ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो तेजस्वी के सीएम बनने का सपना इस बार भी साकार नहीं हो पाएगा.

ऐसे में अपनी यात्रा के जरिए लोगों तक पहुंचकर राहुल गांधी इन सीटों पर नतीजों में बढ़त हासिल करने की कोशिश करेंगे. हालांकि, पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी लोकसभा 2024 के आधार पर की जाने वाली तुलना को बहुत जायज नहीं मानते. उनका कहना है कि विधानसभा और लोकसभा का मामला अलग है.

साथ ही अमिताभ तिवारी ने कहा, “कांग्रेस एक तरह से SIR के ट्रैप में फंस गई है. जनता को इससे काफी ज्यादा मतलब नहीं है. कांग्रेस बीते महीने भर से SIR पर फंसी है. क्राइम, महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा बिल्कुल गायब है. ऐसे में मुझे नहीं लगता इसका ज्यादा असर होने वाला है.”

हालांकि, अमिताभ ये जरूर मानते हैं कि ‘वोट चोरी’ के स्लोगन को अगर कांग्रेस और महागठबंधन जनता के बीच स्थापित करने में सफल रहती है तो उसे जरूर फायदा मिलेगा.

3. न्याय यात्रा वाले 14 में से 6 राज्यों में कांग्रेस को 30 फीसद से ज्यादा वोट मिले थे, क्या बिहार यात्रा से वोट फीसद बढ़ेगा?

यात्रा से राहुल को कितना फायदा
यात्रा से राहुल को कितना फायदा

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद कांग्रेस को सिर्फ कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीत मिली. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में उसे हार का सामना करना पड़ा था.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक स्थानीय मुद्दे, स्थानीय स्तर पर पार्टी संगठन, जनता का मूड और मजबूत ब्रांड होने पर ही यात्राओं से वोट प्रतिशत बढ़ता है.

साथ ही रशीद किदवई का कहना है कि राजनीति में अक्सर वो यात्राएं सफल होती हैं, जो एक खास इलाके तक सीमित हों. जहां भावनात्मक मुद्दे हों. 2004 में राजशेखर रेड्डी की आंध्र प्रदेश यात्रा और 1982 में एनटी रामा राव की चैतन्य यात्रा इसका उदाहरण है.

राष्ट्रीय स्तर पर की जाने वाले यात्राओं का फायदा छोटी यात्राओं की तुलना में कम मिलता है. ऐसे में देखना ये होगा कि राहुल और तेजस्वी वोट चोरी के मामले को कितना जनता से जोड़ पाते हैं.

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल बिहार के अररिया, किशनगंज, कटिहार समेत 7 जिलों में गए थे. इसका फायदा भी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में मिला. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में ज्यादा सीटें जीतीं. अब बिहार में कांग्रेस के एक के बजाय तीन लोकसभा सांसद हैं.

कटिहार, सासाराम और किशनगंज से कांग्रेस के सांसद हैं. राहुल की वोटर अधिकार यात्रा भी यहां से गुजर रही है. भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस का वोट बिहार में 1.35 फीसद बढ़कर 9.20 फीसद हो गया था. इस बार भी यात्रा से उनको फायदा मिलने और सीट बढ़ने की पूरी संभावना है.

4. बिहार में कांग्रेस के पास बड़ी लीडरशिप नहीं, क्या वोटर अधिकार यात्रा से कुछ बदलेगा?

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का कहना है कि बिहार में भले ही कांग्रेस के पास कोई मजबूत स्थानीय नेता नहीं हो, लेकिन राहुल गांधी इसके बावजूद पार्टी को बढ़त दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि बड़े नेताओं की इमेज से पार्टी को फायदा मिलता है.

नरेंद्र मोदी इसके ताजा उदाहरण हैं. उनके दम पर कई राज्यों में BJP ने चुनाव जीती है. राहुल गांधी भले ही उतने मजबूत राष्ट्रीय नेता नहीं हों, लेकिन वे भारत जोड़ो यात्रा, भारत न्याय यात्रा के जरिए ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं.

रशीद आगे यह भी कहते हैं, “चुनाव में हवा माहौल बनाती है. राहुल वही हवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो निश्चिततौर पर कांग्रेस को फायदा मिलेगा. जैसे पिछले चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी थी. उसी तरह इस बार NDA में नीतीश कमजोर कड़ी हैं. उम्र की वजह से कुछ लोगों को नीतीश अस्वस्थ लग रहे हैं. ऐसे में अगर NDA वोटबैंक में जरा भी सेंध लगाने में राहुल को सफलता मिली तो फायदा निश्चित है.”

रशीद आगे कहते हैं कि राहुल की यात्रा में जिस तरह से भीड़ जुट रही है, वह अगर वोट में कनवर्ट हो जाए तो कांग्रेस को कम से कम 10 से 15 सीटों का फायदा हो सकता है.

ग्राफिक्स : नीलिमा सचान

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राजीव गांधी
राजीव गांधी

साल 1987, कांग्रेस को हरियाणा के विधानसभा चुनाव में ताऊ देवीलाल की इंडियन नेशनल लोकदल ने करारी शिकस्त दी. कांग्रेस पार्टी को 90 में से सिर्फ 5 सीटें मिल पाई. मां इंदिरा के निधन के बाद कांग्रेस में अपनी धाक जमाने की कोशिश में लगे राजीव के लिए यह हार एक जोरदार झटका थी. यहां क्लिक कर पूरी स्टोरी पढ़िए.

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