scorecardresearch

भारतीय नौसेना के नए युद्धपोत का नाम मणिपुर से जोड़कर क्यों रखा गया? इसमें क्या है खास?

26 दिसंबर को INS इंफाल नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया. यह भारत का पहला ऐसा युद्धपोत है जिसका नाम नॉर्थ-ईस्ट के किसी शहर के नाम पर रखा गया है

अपडेटेड 28 दिसंबर , 2023

भारत समुद्री क्षेत्र में लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा है और इसमें नौसेना ने एक और उपलब्धि हासिल की है. 26 दिसंबर को INS इंफाल नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया. यह ऐसा पहला युद्धपोत है जिसका नाम नॉर्थ ईस्ट के किसी शहर के नाम पर रखा गया है.

ऐसे में सवाल उठता है कि इसका नाम मणिपुर से जोड़कर क्यों रखा गया है. साथ ही इस युद्धपोत की खासियत क्या है और कैसे यह भारतीय नौसेना को मजबूती देने वाला है.

आईएनएस इंफाल

INS इंफाल का नाम नॉर्थ ईस्ट को महत्व देने के लिए मणिपुर की राजधानी इंफाल के नाम पर रखा गया है. इसकी मंजूरी राष्ट्रपति ने 2019 में ही दे दी थी.  इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि के लिए इम्फाल, मणिपुर और पूर्वोत्तर के योगदान को सम्मान देने की कोशिश की गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मणिपुर के बलिदान और योगदान के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है. इस मौके पर राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह भी मौजूद थे. 

भारतीय नौसेना अपने सभी युद्धपोतों का नाम शहरों के नाम पर ही रखती है. इसी परंपरा को कायम रखते हुए नए युद्धपोत को नाम रखा गया है. नौसेना के नए युद्धपोत का नाम मणिपुर की राजधानी के नाम पर रखने के बाद चर्चाओं का एक कारण यह भी है कि मणिपुर बीते कई महीनों से जातीय हिंसा की चपेट में है. इसमें सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई है. 

क्या है INS इंफाल? 

INS इंफाल आधुनिक गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर, विशाखापत्तनम क्लास का तीसरा युद्धपोत है. यह एक डिस्ट्रॉयर युद्धपोत है यानी दुश्मन की तरफ से होने वाले हमलों को नाकाम करने में इसकी बड़ी भूमिका रहेगी. भारतीय नौसेना ने अपने प्रोजेक्ट 15B के तहत इसका निर्माण करवाया है. इस प्रोजेक्ट के तहत 4 डिस्ट्रॉयर बनने हैं, जिसमें से INS इंफाल तीसरा है. पहले दो-  INS विशाखापत्तनम, INS मोरमुगाओ भी तैयार हो गए हैं. इस प्रोजेक्ट में केवल INS सूरत का काम बाकी है. INS इंफाल का वजन करीब साढ़े 7 हजार टन का है. खासबात ये है कि इसका निर्माण स्वदेशी तकनीक से हुआ है. एक समय भारत को ये जहाज सोवियत संघ से खरीदने पड़ते थे. INS इंफाल की कमान ‘गनरी और मिसाइल स्पेशलिस्ट’ कैप्टन केके चौधरी संभालेंगे.

क्या है INS इंफाल की खासियत?

  • INS इंफाल 163 मीटर लंबा, 17.4 मीटर चौड़ा और साढ़े 7 हजार टन से ज्यादा वजन वाला है.
     
  • INS इंफाल में सतह से सतह पर मार करने वाले 16 ब्रम्होज क्रूज मिसाइलें लग सकती हैं. इसके अलावा सतह से हवा में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाले 32 बराक मिसाइल लोड किए जा सकते हैं. 
     
  • जहाज को गति देने के लिए INS इंफाल में 4 टरबाइन लगे हैं. इसकी अधिकतम गति 30 नॉटिकल मील प्रति घंटा है. 
     
  • जहाज के आगे वाले हिस्से  में 127mm की मेन गन है जो लंबी दूरी तक मार कर सकती है. कम दूरी पर वार करने के लिए 30mm वाली चार AK-630 गन लगी हैं. पनडुब्बी से किए गए हमले को नाकाम करने के लिए भी इसमें सिस्टम मैजूद है.
     
  • इस जहाज में 350 लोग सावर हो सकते हैं. क्रू में 50 ऑफिसर और 250 सेलर (जवान) रहेंगे. INS इंफाल लगातार 45 दिनों तक तैनात रह सकता है. 
     
  • INS इंफाल में HAL जैसे 4 हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं.  इस जहाज पर स्टेल्थ तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. इसका मतलब है कि दुश्मन के सेंसर्स के लिए इस जहाज को पकड़ना मुश्किल होगा.
     
  • INS इंफाल में इस तरह का सिस्टम है कि अगर जहाज के किसी एक हिस्से में आग लग जाए तो वो दूसरे हिस्सों में नहीं फैलेगी. ऐसे ही युद्ध में एक हिस्सा डैमेज हो जाए, तो बाकी हिस्से अपना काम जारी रख सकते हैं.
     
  • INS इंफाल में टोटल एटमॉस्फेरिक कंट्रोल सिस्टम (TACS) है, जो इसमें सवार क्रू को किसी तरीके के केमिकल, बायोलॉजिकल या न्यूक्लियर खतरों से बचा सकता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह INS इंफाल नौसेना को सौंपते हुए

नए खतरों से निपटने से सक्षम

INS इंफाल जैसे डिस्ट्रायर्स को मल्टीटास्किंग युद्धपोत कहा जा सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि परिस्थिति के हिसाब से कहीं भी तैनात किया जा सकता है. INS विक्रांत INS विक्रमादित्य जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स की सुरक्षा में इसे तैनात किया जा सकता है. यह सामरिक महत्व वाले किसी सिविलियन जहाज को भी एस्कॉर्ट कर सकता है. इसके अलावा लाल सागर में भारतीय हितों की रक्षा कर सकता है. लाल सागर में भारत के लिए हाल ही में चुनौतियां बढ़ी हैं. 

लाल सागर में जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमले ने समुद्री यातायात को प्रभावित कर दिया है. कम से कम 10 कंपनियां अन्य मार्गों से अपना माल पहुंचा रही हैं, जिससे लागत में बढ़ोतरी होने की संभावना है. 19 दिसंबर को सऊदी अरब से चले 'चेम प्लूटो' जहाज को 4 दिन बाद गुजरात के पास अरब सागर में निशाना बनाया गया था. हाल ही में एम साई बाबा नाम का एक और जहाज जो भारत की ओर आ रहा था हमले का शिकार हुआ. यह तेल से लदा था और इसमें चालक दल के सभी 25 सदस्य भारतीय थे. व्यापारिक जहाजों पर हमले की घटनाओं के बाद भारत ने अरब सागर के कई क्षेत्रों में INS मोर्मुगाओ, INS कोच्चि और INS कोलकाता नाम के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर तैनात कर दिए हैं.

Advertisement
Advertisement