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वित्तीय प्रोत्साहन पैकेजः कितने काम की सरकारी मदद?

विदेशी पूंजी और उद्यमशीलता पर कम निर्भरता. दरअसल, 1991 में मुक्त बाजार के आर्थिक सुधारों की शुरुआत से पहले आत्मनिर्भरता भारत की आर्थिक नीति का मुख्य स्तंभ थी.

मैत्रीश घटक
मैत्रीश घटक
अपडेटेड 25 मई , 2020

प्र. आप 'आत्मनिर्भर भारत’ नारे का क्या अर्थ लगाते हैं? क्या भारत आत्मनिर्भरता के लिए तैयार है?

डी.के. जोशी

अगर 'आत्मनिर्भर’ का अर्थ आयात के विकल्प को बढ़ावा देने के लिए आयात शुल्क है तो यह अच्छा विचार नहीं है. पर अगर इसका इस्तेमाल ज्यादा व्यापक अर्थ में किया जाता है और इसमें घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिशें शामिल हैं तो यह शर्तिया तौर पर अपनाए जाने योग्य है.

विनायक चटर्जी

यह सही है कि भू-राजनैतिक स्तर पर बहुत सारे देश ऐसा कर रहे हैं. यूएस कहता है अमेरिका फर्स्ट ब्रिटेन ब्रेग्जिट के साथ यूरोपीय संघ से बाहर आ गया है. पूरा विमर्श ही बदल गया है, अनेक देश आत्मनिर्भर होने की तरफ देख रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस पड़ाव पर आत्मनिर्भरता पर जोर देना सही है.

मैत्रीश घटक

व्यक्तिगत स्तर पर यह अच्छा नारा है और अच्छे गुणों का लक्षण है. मगर विशेषज्ञता, श्रम विभाजन, व्यापार और विनिमय आधुनिक अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं. मैं चिंतित हूं. ऐसा नहीं होना चाहिए कि यह नारा हमें संरक्षणवाद और अलगाववाद के रास्ते पर ले जाए. वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल के बीच डटकर खड़े रहने की क्षमता विकसित करना एक बात है, लेकिन आयात के विस्थापन पर आधारित अंतर्मुखी नजरिया रखना बिल्कुल अलग बात.

एन.आर. भानुमूर्ति

यह अब भी साफ नहीं है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का अर्थ क्या अंतर्मुखी और संरक्षणवादी मॉडल है, जो अतीत में नाकाम हो चुका है. अगर इसका अर्थ आयातों पर निर्भरता कम करते हुए घरेलू तौर पर उत्पादन की प्रक्रिया में विदेशी भागीदारी की इजाजत देना है, तो इसका कामयाब होना मुमकिन है. इसके लिए प्रतिस्पर्धा की क्षमता (व्यापारिक भागीदारों से ज्यादा) बढ़ाने की खातिर बहुत कुछ करने की जरूरत है. विकास की चौतरफा विशाल कमियों और खामियों के साथ प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़ाना बहुत मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है.

शमिका रवि

आत्मनिर्भर भारत का कुल अर्थ अनिश्चित वैश्विक भविष्य के विरुद्ध भारतीय अर्थव्यवस्था का लचीलापन और प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़ाना है.

आर. नागराज

आत्म-निर्भरता का अर्थ है घरेलू उत्पादन, बचत और निवेश पर और ज्यादा निर्भरता. दूसरे शब्दों में, इसका अर्थ है (i) वस्तुओं और सेवाओं के आयात और (ii) विदेशी पूंजी और उद्यमशीलता पर कम निर्भरता. दरअसल, 1991 में मुक्त बाजार के आर्थिक सुधारों की शुरुआत से पहले आत्मनिर्भरता भारत की आर्थिक नीति का मुख्य स्तंभ थी.

प्रधानमंत्री के और ज्यादा आत्मनिर्भरता के आह्वान और उदारीकरण तथा निजीकरण पर वित्त मंत्री का जोर—जो सामरिक प्रतिरक्षा से जुड़े उद्योगों तक में विदेशी पूंजी और उद्यमशीलता आकर्षित करने की चेष्टा करता है—के बीच अंतर्विरोध दिखाई देता है. सरकार को चाहिए कि वह अपनी नीतिगत घोषणाओं में इन अंतर्विरोधों को सुलझाए.

एस.सी. गर्ग

आपने इसे नारा कहा है. पैकेज को अब भी नीति के संदर्भ में स्पष्ट नहीं किया गया है. हम टेक्नोलॉजी, पूंजी और बाजारों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हैं. जब तक यह नारा ही रहता है और टेक्नोलॉजी के आयात, पूंजी के प्रवाह और खुले बाजार को सीमित करने की नीति में नहीं बदलता, हमें निम्न वृद्धि की वह नियति नहीं झेलनी पड़ेगी जो आजादी के पहले 40 सालों में हमने देखी है. हमें ऊंचे शुल्कों की दीवारें उठाकर घरेलू उत्पादन बढ़ाने, लोगों को अच्छे वैश्विक उत्पादों के विकल्प से वंचित करने और बेहतर वैश्विक टेक्नोलॉजी के ऊपर घरेलू टेक्नोलॉजी को तरजीह देने की कोशिशों के जाल में नहीं फंसना चाहिए.

‘‘मुझे भय है कि ये नारा कहीं हमें संरक्षणवाद के साथ अलग-थलग रहने की ओर न लेकर चला जाए’’

—मैत्रीश घटक

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