जब हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं, बैक टू बेसिक की बात करते हैं तब मैं विशेष रूप से कहना चाहूंगा-योग हमारी पुरातन पारंपरिक अमूल्य देन है. योग सिर्फ व्यायाम भर नहीं, अपने आप से, विश्व और प्रकृति से तादात्मय का माध्यम है. इसके जरिए जीवन शैली में बदलाव लाकर हम जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार बनेंगे.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में बढ़ाने की अपील की थी, तब आयुष मंत्रालय (नोडल बॉडी) को अंदाजा नहीं था कि लोग इसके प्रति इतने उत्साहित होंगे.
21 जून के अंतरराष्ट्रीय आयोजन के लिए आयुष मंत्रालय ने पहले 35,000 और बाद में दो हजार टी-शर्ट और योगा मैट बनवाए थे, लेकिन मांग इतनी आ गई कि उसे इतने कम समय में पूरा कर पाना संभव नहीं था. मंत्रालय में योग दिवस आयोजन का कामकाज देख रहे संयुक्त सचिव अनिल गनेरीवाला इंडिया टुडे से कहते हैं, “2-3 महीने पहले हमने सोचा भी नहीं था कि आयोजन में भाग लेने के लिए लोगों का उत्साह इस कदर होगा.” सरकार ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. प्रति एनजीओ एक लाख रु. की राशि दी गई. केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ. ईश्वर एन. आचार्य बताते हैं कि एनजीओ को दी गई एक लाख रु. की राशि अगले साल भी जारी रहेगी. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन पर अकेले परिषद ने 6.5 करोड़ रु. खर्च किए तो केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद येस्सो नाईक के मुताबिक पूरे आयोजन का कुल खर्च 25 से 30 करोड़ रु. के बीचे होने का अनुमान है.
योग पर धार्मिक विवाद के बाद भी बढ़े रुझानों ने सरकार की उम्मीदों को नई उड़ान दी है. सांस्कृतिक मोर्चे पर योग को दुनिया भर में बड़ी पहचान दिलाकर संघ परिवार का दिल जीतने वाले प्रधानमंत्री मोदी अब योग को एक उद्योग का भी रूप देने की योजना पर काम करते दिख रहे हैं.
योग में मेक इन इंडिया का तड़का
पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को सफल बनाने में जुटी मोदी सरकार ने अभी बहुत ज्यादा होमवर्क नहीं किया है, लेकिन उसकी रणनीति योग को एक इंडस्ट्री के रूप में खड़ा करने की है. अंतरराष्ट्रीय मान्यता के बाद योग से जुड़े विश्वविद्यालय, कॉलेज, योग प्रशिक्षक, योग के लिए जरूरी सामान मैट-ड्रेस आदि की मांग बढऩा लाजिमी है. गनेरीवाला कहते हैं, “योग के नए सिरे से फोकस में आने से आयुष मंत्रालय की जिम्मेदारी भी बढ़ेगी. जैसे अमेरिका में योग की अलग इंडस्ट्री बन चुकी है, वैसी ही इंडस्ट्री की संभावना अब भारत में भी दिख रही है.” एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका में योग इंडस्ट्री करीब 27 अरब डॉलर की हो चुकी है, जबकि योग की जड़ें भारत में हैं. आयुर्वेदिक और अन्य वैकल्पिक दवाइयों के निर्यात के मामले में भारत दूसरा बड़ा देश है. इससे निश्चित तौर से इस कारोबार में बढ़ोतरी होगी और भारत को इस लिहाज से तैयारी भी करनी होगी.
हालांकि डॉ. आचार्य कहते हैं, “भारत में योग कभी इंडस्ट्री के रूप में विकसित नहीं हुआ है और योग दिवस की मान्यता के बाद उद्योग की बजाए मुझे लगता है कि प्रशिक्षित और कुशल मैन पावर बढ़ेगी, साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे.” परिषद योग के लिए 6 केंद्रीय संस्थान स्थापित कर रही है. इसमें से दो अभी पाइपलाइन में हैं तो कर्नाटक, हरियाणा में निर्माण कार्य चल रहा है, जबकि भुवनेश्वर में जमीन लेने की प्रक्रिया जारी है. दिल्ली के रोहिणी में इस तरह का पहला संस्थान तैयार है और ओपीडी की सुविधा शुरू हो चुकी है. साथ ही हर संस्थान में मरीजों को भर्ती करने के लिहाज से कम से कम 100 बिस्तर तैयार किए जाएंगे. परिषद की कोशिश इन संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ जोडऩे की भी है.
विवाद के बावजूद आगे बढ़ेगी सरकार
योग दिवस पर आसनों को लेकर जमकर राजनैतिक बयानबाजी हुई. लेकिन सरकार किसी तरह के विवाद में फंसकर अपने एजेंडे को कमजोर करना नहीं चाहती. योग को 177 देशोंके जबरदस्त समर्थन से अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता मिलने से संघ परिवार मोदी से खुश है. विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय की दलील है, “योग का क्या अर्थ है, इसे महज कुछ दिनों में मोदी ने दुनिया को बता दिया.”
अब सरकार योग को स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. नाईक कहते हैं, “हमारी मंशा योग को पाठ्यक्रम में शामिल करने की है. हमें यह करना है, लेकिन अंतिम फैसला कमेटी की सिफारिश के मुताबिक करेंगे.” लेकिन सूत्रों के मुताबिक पाठ्यक्रम में शामिल करने से पहले सरकार की मंशा शारीरिक शिक्षा (पीटी) में योग को अनिवार्य करना है. इसके लिए आयुष मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है. साथ ही सेना, पुलिस, अर्ध सैनिक बलों में भी योग को शामिल करने की दिशा में सरकार काम कर रही है.
जाहिर है कि मोदी सरकार ने योग के माध्यम से दोहरे एजेंडे पर कदम आगे बढ़ा दिए हैं.
योग के बहाने सध रही सियासत भी
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के जरिए मोदी सरकार ने सांस्कृतिक विरासत के संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए इसे सबको स्वास्थ्य के लक्ष्य के साथ बतौर उद्योग स्थापित करने की दिशा में भी उठाया कदम.

अपडेटेड 22 जून , 2015
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