scorecardresearch

प्रकाशकों में खौफ का पर्याय बन गए हैं दीनानाथ बतरा

दीनानाथ बतरा ने प्रकाशकों की नींद उड़ा दी है. उन्होंने प्रकाशकों के खिलाफ इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है.

अपडेटेड 16 जून , 2014
पलासी टु पार्टीशन: अ हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न इंडिया किताब को 10 साल पहले प्रकाशित करने वाले हैदराबाद के पब्लिशिंग हाउस ओरिएंट ब्लैक्स्वान और किताब के लेखक शेखर बंद्योपाध्याय को 14 अप्रैल को दिल्ली के एक रिटायर्ड स्कूल टीचर की ओर से कानूनी नोटिस मिला.

तीन पेज वाली इस चिट्ठी में बंद्योपाध्याय पर अपनी किताब में आरएसएस के लिए 'अपमानजनक और अवमाननापूर्ण’ शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है, जबकि इस किताब को इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने 'सर्वश्रेष्ठ’ और उस समय के इतिहास का किसी भी अन्य इतिहासकार की किताब के मुकाबले सबसे ज्यादा तथ्यात्मक विवरण बताया है.

बंद्योपाध्याय कहते हैं, ''दुनियाभर में इतिहास के हजारों छात्र और शिक्षकों ने इसे पढ़ा है और मुझे अब तक सिर्फ सकारात्मक प्रतिक्रिया ही मिली है. लेकिन हाल में दर्ज शिकायत से मुझे नुकसान उठाना पड़ रहा है.” 85 वर्षीय दीनानाथ बतरा की ओर से भेजे गए नोटिस को देखते हुए पब्लिशिंग हाउस ने फैसला किया कि ऐसी सभी किताबों को प्रकाशित करने से पहले उनकी समीक्षा कर ली जाए, जिनसे ऐसी प्रतिक्रिया पैदा होने की संभावना हो सकती है.

16 मई को ओरिएंट ब्लैक्स्वान ने नवोदित लेखिका मेघा कुमार की किताब कम्युनलिज्म ऐंड सेक्सुअल वॉयलेंस: अहमदाबाद सिंस 1969 के प्रकाशन और वितरण को रोक दिया. किताब को ऑनलाइन बिक्री के लिए डाला गया था. 

लंदन के थिंक टैंक ऑक्सफोर्ड एनालिटिका के अपने ऑफिस से सीनियर साउथ एशिया एनालिस्ट मेघा ने फोन पर बताया कि प्रकाशक ने उनसे सीधे तौर पर कोई बात नहीं की है कि किताब का कौन-सा हिस्सा आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा कि यह एकेडमिक किताब है, जिसकी शुरुआत में बताया गया है कि किस तरह 1969 से अब तक मुस्लिम महिलाएं यौन हिंसा का सामना करती आई हैं.

भारत में जन्मीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की दक्षिण एशियाई इतिहास और राजनीति की पूर्व टीचर ने अप्रैल के अंत में पहली बार गौर किया कि उनकी किताब प्रकाशक की वेबसाइट पर मौजूद नहीं है. तब तक किताब की 10 प्रतियां बिक चुकी थीं.

उन्होंने प्रकाशक को चिट्ठी लिखी पर जवाब ओरिएंट ब्लैक्स्वान में ह्यूमैनिटीज और सोशल साइंस के प्रेसिडेंट उदय राव की ओर से आया वह भी 19 मई को. चिट्ठी में लिखा था, ''कानूनी कार्रवाई से बिल्कुल अलग हमें हमारे लेखकों, स्टाफ और उनके परिवारों के साथ हिंसक घटनाओं के होने की आशंका सता रही है, जिससे उनके जीवन और सुरक्षा पर खतरा हो सकता है.”

मेघा ने चिट्ठी में बहुत-सी बातों पर स्पष्टीकरण मांगा है और अपनी ओर से कार्रवाई के विकल्पों के बारे में कानूनी सलाह भी ले रही हैं. वे कहती हैं, ''मैं तो इससे बाहर निकल सकती हूं क्योंकि मैं लंदन में रहती हूं. लेकिन यह भारत के शिक्षाविदों और मीडिया के लिए चिंताजनक है.”

बतरा मार्च, 2014 को उस समय सुर्खियों में आ गए, जब उन्होंने पेंगुइन जैसे कद्दावर पब्लिशिंग हाउस पर मुकदमा ठोककर उसे न सिर्फ वेंडी डॉनिगर की किताब द हिंदूज: ऐन ऑल्टरनेटिव थ्योरी के प्रकाशन, वितरण और बिक्री पर रोक लगाने के लिए मजबूर किया, बल्कि स्टॉक में पड़ी सभी प्रतियां भी नष्ट करने पर बाध्य किया.

यह बतरा की कामयाबी की अकेली कहानी नहीं है. अब तक उन्होंने 10 कानूनी लड़ाइयां लड़ीं, जिनमें से नौ में किताबों से 'गलत तथ्यों’ को हटाने की मांग की गई थी— उन्हें सभी में जीत हासिल हुई.

दिल्ली के नारायणा विहार में सरस्वती बाल मंदिर के कैंपस में अपने साधारण से घर में बैठे आरएसएस के स्कूल विद्या भारती के पूर्व जनरल सेक्रेटरी बतरा के मुताबिक, मेघा की किताब हटाने के ओरिएंट ब्लैक्स्वान के फैसले से उनका कोई लेना-देना नहीं है. आरएसएस की शैक्षणिक शाखा विद्या भारती के पूर्व महासचिव  बतरा कहते हैं, ''यह विशुद्ध रूप से उनका अपना फैसला है.

मेरी आपत्ति बंद्योपाध्याय की किताब पर थी, जिसमें नाथूराम गोडसे को आरएसएस से जुड़ा हुआ बताया गया है. गोडसे एक धार्मिक कट्टरपंथी था और आरएसएस किसी भी तरह के कट्टरपंथ के खिलाफ है.” हिंदी में पोस्ट ग्रेजुएट होने के बावजूद कुरुक्षेत्र के स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने वाले पूर्व शिक्षक ने जोर देकर कहा कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन धार्मिक विश्वासों के खिलाफ 'झूठा प्रचार’ कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.

वे कहते हैं, ''डॉनिगर की मंशा गलत थी. उन्होंने किताब की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया था कि वे हिंदू धर्म में सेक्स तलाश रही हैं. वे यह दावा कैसे कर सकती हैं कि सूर्य ने कुंती के साथ बलात्कार किया? यह खराब भाषा है.” बजरंग दल और श्रीराम सेना के अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए अकसर हिंसा पर उतारू हो जाने को बतरा गलत ठहराते हैं.

वे कहते हैं, ''दिल्ली यूनिवर्सिटी के इंग्लिश कोर्स में ए.के. रामानुजन के रामायण पर लिखे आपत्तिजनक लेख को शामिल करने के खिलाफ मेरी कानूनी लड़ाई के दौरान कुछ छात्रों ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. उन्हें कानून के मुताबिक सजा मिलनी ही चाहिए.”

कैद में किताबेंउनके जीवन का मिशन शिक्षा व्यवस्था को 'शुद्ध’ करना और कोर्स की किताबों से 'गलत तथ्यों’ को हटाना है. 3 जून को मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ पाठ्यक्रम में बदलाव लाने, शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन, नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के पुनर्गठन और एनसीईआरटी के कामकाज में अनियमितताओं के संबंध में बतरा ने घंटे भर बातचीत की. बतरा कहते हैं, ''उन्होंने किताबों और पाठ्यक्रम सहित पूरी शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करने के लिए महीने भर में एक स्वायत्त आयोग का गठन करने का वादा किया है.”

बतरा पिछले कुछ वर्षों में एनसीईआरटी को कोर्स की विभिन्न किताबों से मुगल बादशाह औरंगजेब को संत और महावीर शिवाजी को डाकू बताने वाले अंशों सहित करीब 75 'आपत्तिजनक अंशों’ को हटाने के लिए मजबूर कर चुके हैं. उनके मुताबिक, ''नई किताबें तो और भी बदतर हैं. खासकर हिंदी की. उनमें नक्सलियों की लिखी गई कविताओं को शामिल किया गया है. आप उल्लू का पट्ठा और हरामजादा जैसे शब्द कैसे शामिल कर सकते हैं?”

प्रख्यात शिक्षाविद आर. गोविंदा मानते हैं कि समय-समय पर पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा होनी चाहिए. वे कहते हैं, ''बतरा बहुत समय से ये दावे कर रहे हैं और उन्हें अपना नजरिया रखने का अधिकार है. मुझे यकीन है कि सरकार सोच-समझकर फैसला लेगी.” शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के संस्थापक-अध्यक्ष बतरा का प्राथमिक लक्ष्य स्कूल की किताबों से 'राष्ट्र विरोधी’ या 'हिंदू विरोधी’ सामग्री हटाकर भारतीय शिक्षा का चेहरा बदलना है.

उन्होंने पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी और बीजेपी की सरकार वाले कई राज्यों में अनौपचारिक सलाहकार के तौर पर काम किया है. 2007 में उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नवीं और दसवीं क्लास में सेक्स शिक्षा देने की योजना छोडऩे पर मजबूर कर दिया था. वे कहते हैं, ''यौन शिक्षा के लिए शिक्षक कैसे प्रतीक इस्तेमाल करेंगे? नंगे लोग? टीचर अगर महिला हो तो उसकी क्या हालत होगी?”

नई सरकार के प्रस्तावित शिक्षा आयोग के एजेंडे के रूप में लंबी फेहरिस्त गिनाते हुए बतरा कहते हैं कि इसमें आत्म-चेतना, पर्यावरण शिक्षा, माता-पिता का प्रशिक्षण और सांस्कृतिक शिक्षा को मजबूत करने की कोशिश की जाएगी, जो आजीवन बरकरार रहेगी. वे अब अपने पूर्व आरएसएस सहयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. शायद सत्ता के गलियारों तक बतरा की पहुंच का ही प्रभाव है कि ओरिएंट ब्लैक्स्वान ने बिना किसी विरोध के हार मान ली है.
Advertisement
Advertisement