किंजरापु राम मोहन नायडू, 34 वर्ष
राष्ट्रीय महासचिव लोकसभा नेता, टीडीपी
उनका कहना है कि उनके लिए पेशे के तौर पर राजनीति कभी विकल्प नहीं रही थी. उन्होंने पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की और लॉर्निंग आइलैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए (2011) किया.
वे साल 2009 में एक निवेश कंपनी के लिए बिजनेस डिवलपर मैनेजर के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन, नवंबर 2012 में उनके पिता और चार बार के सांसद तथा तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के संसदीय दल के नेता के. येरन नायडू की एक सड़क हादसे में दुखद मौत ने उनके जीवन की दिशा बदल दी.
टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने साल 2014 के संसदीय चुनावों से पहले युवा राम मोहन को 2013 में उनके पिता के श्रीकाकुलम लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया. उन्होंने कामयाबी हासिल की, और कैसे. अपने पिता के प्रति सहानुभित की लहर पर सवार होकर इस नौसिखुआ नेता ने 1,27,572 मतों के अंतर से जीत हासिल की. फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
वे कहते हैं, ''व्यक्तिगत तौर पर, उस उम्र में अपने पिता को खोना दुनिया के अंत जैसा महसूस हुआ. लेकिन, मैं अपने पिता की उस विरासत से अभिभूत था जिसे उन्होंने अपने 30 साल से ज्यादा के सियासी सफर में बनाया था.’’
आर.के. पुरम के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाई और केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने पिता के कार्यकाल के दौरान वे संसद और सांसदों से रू-ब-रू हो चुके थे, लेकिन खुद राजनीति में शामिल होना एक अलग बात थी. वे शायद ही कभी लोकसभा सत्र में मौजूद रहने से चूकते हैं.
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''राममोहन अपने निर्वाचन क्षेत्र और संसदीय काम में अच्छा संतुलन रखते हैं. उनका हिंदी, तेलुगू और अंग्रेजी में दक्ष होना मददगार है ’’
—अशोक गजपति राजू, पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री

