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‘‘ऐंकरिंग में माहिर विरले सिने-अभिनेता’’

वे जन्मदिन के जश्न से कुछ झिझकते हैं. मैं बस यही कहकर खत्म करना चाहूंगा कि ''प्रणाम सर, स्नेह और सम्मान के साथ, आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!’’

केबीसी के दौरान अमिताभ बच्चन
केबीसी के दौरान अमिताभ बच्चन
अपडेटेड 17 अक्टूबर , 2022

अमिताभ बच्चन@80

सिद्धार्थ बसु

मैं किसी 80 साल के दूसरे को नहीं जानता, जो कौन बनेगा करोड़पति जैसे जटिल, विस्तृत और रफ्तार वाले शो की रिकॉर्डिंग की मेहनत से गुजरता हो. उनकी सेहत चाहे जैसी हो, लंबे घंटों तक काम से थकान हो, लोकप्रिय शख्सियत होने के तनाव और दबाव हों, लेकिन जैसे ही अमिताभ बच्चन उस 'जोन’ में प्रवेश करते हैं, सब हवा हो जाता है.

वे लगातार हर रोज सेट पर 12-14 घंटे रहते हैं, हर रोज औसतन 90 मिनट के दो एपिसोड तैयार करवाते हैं. पिछले साल, अजीब तौर पर वे सुबह 9 बजे हाजिर हो जाते. मेकअप होता, कंटेस्टेंट को ब्रीफ किया जाता, शुरुआती पिच को संशोधित किया जाता, क्रिएटिव टीम के निर्देश आते, वे सेट पर आते, हमेशा तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत होता, और उनकी मौजूदगी से स्टूडियो में दर्शक गदगद हो उठते.

उन्होंने अक्सर कहा है कि दर्शकों और चाहने वालों (फैन्स) के प्यार और रिसपॉन्स से ही उन्हें ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है. इसमें मैं सिर्फ यह जोड़ना चाहूंगा कि उनका कला से प्यार, जुनून भी इसमें शामिल है, जिसका वे हर बार इजहार करते हैं.

वे उन बेहद थोड़े-से सिने-अभिनेताओं में हैं, जिनके साथ मैंने काम किया है, जिन्होंने ऐसे शो होस्ट करने में महारत हासिल की, जिसकी पटकथा लगभग न के बराबर लिखी होती है. और वे उसे खास तैयारी और लगातार बेहतरी के साथ अंजाम देते हैं. वे हजारवें शो के लिए बारीक से बारीक ब्योरों के साथ उतने ही तैयार और चुस्त थे, जैसे पहले शो के लिए थे.

हमेशा उनकी लंबाई, आवाज, हिंदी और अंग्रेजी दोनों में महारत, और स्टारडम का करिश्मा जादू बिखेरता है. वर्षों से हुआ यह है कि सिनेमा से रियल टाइम टीवी जैसे माध्यम में महारत की ओर उनका सफल पदार्पण हुआ है, जहां आपको मौके पर ही सोचना पड़ता है.

उनके प्रति कंटेस्टेंट की संवेदना सच्ची होती है, घर में बैठे दर्शकों से उनका उतना ही राब्ता होता है, जितना हॉट सीट पर बैठे शख्स से. यह सबसे उम्दा टीवी होस्ट की मिसाल है. वे आपसे बात करते हैं, न कि आपको बात सुनाते हैं, और वे सुनते हैं, बड़े करीने से नॉलेज गेम के दौरान मानवीय कहानियां निकाल लाते हैं. 

केबीसी के पहले सीजन में वे कुछ खिंचे-खिंचे-से, नरमी के साथ और बच-बच के बोल रहे थे. उन्हें पूरा यकीन नहीं था कि बड़े से छोटे परदे पर जाना कैसे होगा, शूटिंग की स्क्रिप्ट टुकड़ों में होती, स्वाभाविक नाटकीयता के साथ रियल टाइल में एपिसोड बदलना था, जिसमें रीटेक की कोई गुंजाइश नहीं थी. पहले कुछ सीजन में वे लाजवाब थे, मगर खासकर व्यावहारिक रुख के साथ.

वे चकित कंटेस्टेंट के साथ बड़े प्यार से मिलते हैं और उन्हें सहज कर देते हैं, वे दूर-दूर तक व्यक्तिगत होने से परहेज करते हैं, अपने बारे में कहना तो दूर की बात है. यह काफी बड़ा बदलाव है, जैसे शो और स्टार का मानवीयकरण हो गया है. बच्चन हमदर्दी रखने वाले होस्ट की भूमिका में उतर आए, और शो में पूरी तरह मजा लेने लगे.

बाइस साल हो गए, और वे आज भी उतनी ही मजबूती से शो को जारी रखे हुए हैं. बाहर से देखकर, मैं इतना ही कह सकता हूं कि अपनी कला के उस्ताद के साथ काम करना मेरा सौभाग्य है, जिनकी कार्यनिष्ठा दूसरों के लिए मिसाल होनी चाहिए. वे जन्मदिन के जश्न से कुछ झिझकते हैं. मैं बस यही कहकर खत्म करना चाहूंगा कि ''प्रणाम सर, स्नेह और सम्मान के साथ, आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं!’’

(लाजवाब क्विजमास्टर और टीवी शख्सियत सिद्धार्थ बसु 2014 तक केबीसी के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर रहे हैं)

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