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महाराष्ट्रः मुंबई का राजा कौन

मराठी भाषी निम्न मध्यम वर्ग के वोटों के लिहाज से नारायण राणे भाजपा के लिए पॉइंट मैन हैं

सियासी जंग 24 अगस्त को मुंबई में नारायण राणे के जुहू स्थित आवास के बाहर शिवसेना-भाजपा कार्यकर्ताओं की भिड़ंत हो गई
सियासी जंग 24 अगस्त को मुंबई में नारायण राणे के जुहू स्थित आवास के बाहर शिवसेना-भाजपा कार्यकर्ताओं की भिड़ंत हो गई
अपडेटेड 9 सितंबर , 2021

मुंबई समेत महाराष्ट्र के 15 बड़े नगर निगमों के चुनाव नजदीक आ रहे हैं इसलिए भाजपा और शिवसेना के बीच जारी शीत युद्ध के और तीखे होने के आसार हैं. राज्य अभी भी कोविड-19 महामारी के मोर्चे पर संकट का सामना कर रहा है, ऐसे में दोस्त से दुश्मन बने दल एक-दूसरे को नीचा दिखाकर अपने नंबर बढ़ाने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते.

सत्तारूढ़ शिवसेना ने पहला हमला 24 अगस्त को किया जब महाराष्ट्र पुलिस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए भाजपा नेता और केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे को रत्नागिरि में गिरफ्तार किया. रायगढ़ के जिला न्यायाधीश ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया लेकिन उसी रात उन्हें जमानत भी दे दी गई. शिवसेना के पूर्व कद्दावर नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री राणे ने 18 अगस्त को मुंबई से सिंधुदुर्ग तक की 10 दिवसीय 'जन आशीर्वाद यात्रा' शुरू की थी. 23 अगस्त को महाड़ (रायगढ़ जिले) में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने देश की आजादी के 75वें वर्ष से अंजान होने को लेकर ठाकरे का मजाक उड़ाया था. राणे ने कहा था, ''अपना भाषण देते समय, वे (ठाकरे) मुख्य सचिव की ओर मुड़े और पूछा कि यह स्वतंत्रता का कौन-सा वर्ष है? मैं वहां होता तो इसके लिए उन्हें कसके एक थप्पड़ देता.''

तब से शिवसेना और भाजपा के बीच संबंध कटुता के नए स्तर पर पहुंच गए हैं. बयान पर हिंसक आक्रोश का प्रदर्शन करते हुए शिवसेना कार्यकर्ताओं ने नासिक में भाजपा कार्यालय पर पथराव किया. पूरे राज्य में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने राणे को 'कोंबडी चोर (मुर्गी चोर)' बताने वाले होर्डिंग भी लगाए. वे केंद्रीय मंत्री के लिए इस अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि मुंबई में अपनी युवावस्था में राणे चिकन की दुकान चलाया करते थे. इसके जवाब में, भाजपा कार्यकर्ताओं ने ठाकरे को 'घर कोंबड़ा (घर में घुसा रहने वाला)' बताते हुए पूरे शहर में होर्डिंग लगा दिए.

बीएमसी में बढ़ती ताकत
बीएमसी में बढ़ती ताकत

2018 के बाद दोनों दलों के बीच एक दूसरे के प्रति अपमानजनक शब्दों के प्रयोग की पहली हाइ-प्रोफाइल घटना है. 2018 में लखनऊ के एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ के छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते समय खड़ाऊं नहीं उतारने पर उद्धव ने टिप्पणी की थी कि योगी को इसके लिए चप्पलों से पीटा जाना चाहिए. हालांकि मामला सुलझ गया था लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने शिवसेना प्रमुख के खिलाफ नासिक और पुणे में अब (तीन साल बाद) शिकायत दर्ज कराई है. पार्टी ने भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ समारोह के बारे में ठाकरे को 'स्मरण कराने' के लिए 75,000 पत्र भेजने का अभियान भी शुरू किया है.

28 अगस्त को राणे ने आग में घी डालते हुए शिवसेना के अतीत के कुछ 'गंदे कार्यों' का पर्दाफाश करने की धमकी दी. शिवसेना के कभी नंबर-2 रहे राणे ने अपने गृह जिले सिंधुदुर्ग में जनता को संबोधित करते हुए कहा, ''रमेश मोरे को क्यों मारा गया? जय (जयवंत) जाधव की हत्या की योजना किसने बनाई? कौन अपनी भाभी के चेहरे पर तेजाब फेंकना चाहता था? मुझे सबके उत्तर पता हैं और मैं उन्हें सही समय पर जाहिर भी करूगा.'' मोरे और जाधव की 2000 की शुरुआत में जब हत्या हुई थी, वे शिवसेना के विधायक थे. उनकी हत्या क्यों की गई यह बात इतने वर्षों बाद भी रहस्य बनी हुई है. 'भाभी' वाली टिप्पणी पर कानाफूसी और अटकलें तो चल रही हैं लेकिन फिलहाल यह सब यहीं तक सीमित है.

इस बीच, मुंबई में बार मालिकों से कथित जबरन वसूली के मामले में ठाकरे के एक भरोसेमंद सिपहसालार, परिवहन मंत्री अनिल परब को 29 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस भेजने के साथ केंद्र ने लड़ाई को आगे लेकर जाने के संकेत दे दिए हैं. बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे ने कथित तौर पर परब पर आरोप लगाए थे कि वे हर महीने 100 करोड़ रुपए की जबरन वसूली करने का दबाव बना रहे थे. ईडी ने अब परब को अपने मुंबई दफ्तर में पेश होने और रत्नगिरि के दापोली में अपने लक्जरी रिसॉर्ट के लिए आय के स्रोत बताने को कहा है. 30 अगस्त को ईडी ने कथित तौर पर बेहिसाब अचल संपत्तियां रखने के लिए यवतमाल-वाशिम से शिवसेना सांसद भावना गवली के कार्यालयों पर भी छापे मारे.

विवाद की जड़ बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के नियंत्रण की लड़ाई है जो एशिया का सबसे अमीर नगर निकाय है. इसका 2021-22 का वार्षिक बजट 39,039 करोड़ रुपए है, जो आठ राज्यों के बजट से ज्यादा है. बीएमसी चुनाव अगले साल के आरंभ में होने हैं और भाजपा इसमें शिवसेना के वर्चस्व को खत्म करना चाहती है, जिस पर 1997 से ही शिवसेना का कब्जा है.

मराठी भाषी निम्न मध्यम वर्ग के वोटों की लड़ाई में राणे भाजपा के लिए अब तक का सबसे अच्छा दांव रहे हैं. भाजपा के एक रणनीतिकार को लगता है कि राणे मुंबई में बसे कोंकण मूल के लोगों के वोट को प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि अतीत में उन पर समुदाय के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप भी लगे हैं. भाजपा 2017 में शिवसेना की 84 सीटों के मुकाबले केवल दो सीटें पीछे रह गई थी, लेकिन परेल, लालबाग और भायखला जैसे सेना के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में पैठ बनाने में भाजपा विफल रही थी. नाम न छापने का अनुरोध करते हुए भाजपा के एक रणनीतिकार कहते हैं, ''राणे इन क्षेत्रों में हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे. अगर हम मध्य मुंबई जीत जाते हैं तो हम बीएमसी में ठाकरे युग का अंत कर सकते हैं.''

राणे को आगे बढ़ाकर पार्टी ने एक बड़ा जुआ खेला है. राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई का कहना है कि अगर भाजपा राणे को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाती है तो इससे शिवसेना के ऐसे बहुत से हमदर्द जिनमें बिखराव है, एकजुट हो सकते हैं. शिवसेना प्रवक्ता अरविंद सावंत का कहना है कि राणे ने सारी विश्वसनीयता खो दी है. दक्षिण मुंबई, जिसमें परेल और भायखला शामिल हैं, के लोकसभा सांसद सावंत कहते हैं, ''भाजपा बदले की राजनीति कर रही है. मुंबईवासियों को शिवसेना की विकास की राजनीति पर पूरा भरोसा है.''

इस बीच, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष अशोक 'भाई' जगताप ने घोषणा की है कि पार्टी बीएमसी चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी. सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के वोटों के बंटने के साथ, भाजपा की योजना कुछ सीटों पर शिवसेना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को भी खड़ा करने की है. शिवसेना के असर वाले इलाकों में भाजपा और मनसे के बीच अंदरूनी समझौते की संभावना है. देसाई कहते हैं, ''बीएमसी में सत्ता उद्धव ठाकरे के लिए ऑक्सीजन की तरह है. भाजपा शिवसेना को वेंटिलेटर पर डालने की पूरी कोशिश करेगी.''

उद्धव ने बीएमसी चुनाव के लिए पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं. वे दो प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, दक्षिण और उत्तरी मुंबई को जोड़ने वाली तटीय सड़क और मेट्रो लाइन के अंधेरी-दहीसर खंड पर कड़ी नजर रख रहे हैं. शिवसेना के एक अंदरूनी सूत्र के मुताबिक, ठाकरे को उम्मीद है कि सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लगाकर मददगार बनेगी. चूंकि अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस, एआइएमआइएम, समाजवादी पार्टी और एनसीपी के बीच बंटते हैं, ठाकरे को अभी भी सबसे ज्यादा उम्मीद मराठीभाषी निम्न मध्यम वर्ग से है जो शिवसेना के मुख्य मतदाता हैं.

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