
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 29 जनवरी को मुंबई मेट्रो के पहले ड्राइवर-रहित कोच का उद्घाटन किया. यह पल इसलिए भी अहम था क्योंकि इससे जुड़े एक विवाद का असर शहर की तीन मेट्रो लाइनों के भविष्य पर पड़ रहा था. ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार कंजूरमार्ग के 210 एकड़ के भूखंड के स्वामित्व के लिए केंद्र से कानूनी जंग लड़ रही है जहां मेट्रो डिपो का निर्माण प्रस्तावित है.
कोच का उद्घाटन करते हुए ठाकरे ने कहा, ''मुझे काम रोकने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी, पर यह सच नहीं है...आप देख सकते हैं कि कई सार्वजनिक बुनियादी ढांचों का काम पूरा होने वाला है.'' आलोचकों का कहना है कि ठाकरे का यह उत्साह फरवरी, 2022 में होने वाले बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनावों से जुड़ा है. बीएमसी एशिया का सबसे दौलतमंद नगर निकाय है जिसका सालाना बजट करीब 39,000 करोड़ रुपए का होता है. 1997 में चुनावी राजनीति में उद्धव के आगाज के बाद से बीएमसी पर शिवसेना की तगड़ी पकड़ है. विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें इस बार भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रही है, जिसने पिछले कुछ साल में शहर में अपना आधार बढ़ाया है.

ड्राइवर-रहित कोच दहीसर-डीएन नगर मेट्रो लाइन टूए और दहीसर-अंधेरी ईस्ट मेट्रो लाइन 7 पर दौड़ेगा, जिसके मई में शुरू होने की उम्मीद है. ठाकरे ने कहा कि अगले 3-4 साल शहर के लिए काफी अहम हैं क्योंकि कई मेट्रो गलियारों में ऑपरेशन शुरू हो जाएगा. ठाकरे सरकार के पास अगले साल तक शहर के कुछ और इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा सौंदर्यीकरण से जुड़ी परियोजनाएं हैं, जिनसे ठाकरे को उम्मीद है कि बीएमसी चुनावों से पहले शहर को लेकर उनका संकल्प दिखेगा.
ठाकरे अब लगातार दौरे भी करने लगे हैं. बीते साल 27 दिसंबर को, उन्होंने 29.2 किमी लंबे तटीय सड़क के कामकाज का निरीक्षण किया था, जो दक्षिणी मुंबई को समुद्री रास्ते के जरिए उत्तर मुंबई से जोड़ेगा. 28 जनवरी को मुख्यमंत्री ने विश्व विरासत में शामिल छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के ठीक सामने मौजूद ऐतिहासिक बीएमसी बिल्डिंग में हेरिटेज वॉक के कार्यक्रम की शुरुआत की.
2022 के बीएमसी चुनाव ठाकरे की कूव्वत की परीक्षा होंगे क्योंकि भाजपा मराठी वोटों के दूसरे दावेदार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) से गठजोड़ कर सकती है. अगर मनसे शिवसेना के वोट शेयर में कमी लाने में सफल रही तो भाजपा को बढ़त मिलेगी. ठाकरे इससे अनजान नहीं हैं. उन्होंने बीएमसी चुनावों में हाथ मिलाने के लिए पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी से बातचीत शुरू कर दी है. प्रेक्षकों का कहना है कि ऐसे गठजोड़ से सेना के हिंदू जनाधार को नुक्सान पहुंच सकता है. पर शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत के मुताबिक,पार्टी और मजबूत होगी. वे कहते हैं, ''मुंबई ने हमेशा शिवसेना को वोट दिया है. अगला चुनाव भी कोई अपवाद नहीं होगा.'' भाजपा के मुंबई प्रभारी अतुल भटखालकर कहते हैं, ''मुंबई को अच्छे प्रशासन की तलाश है तो उसे बदलाव करना होगा. हम एकमात्र विकल्प हैं.''
नवी मुंबई, औरंगाबाद, कल्याण-डोम्बिवली, वसई-विरार और कोल्हापुर के नगर निकायों के चुनाव के अगले दौर के बाद ठाकरे अपनी बीएमसी रणनीति की समीक्षा कर सकते हैं. ये चुनाव मार्च में होने हैं. उद्धव शहर के गुजराती वोटरों को लुभाने की फिराक में भी हैं और संकेत दे रहे हैं कि वे एक समावेशी नेता हैं. अगर शिवसेना नवी मुंबई और औरंगाबाद निगमों को जीत जाती है तो ठाकरे अपनी समावेशी सियासत जारी रखेंगे. अगर हार होती है, तो शायद वे अपने 'मराठी माणूस' के एजेंडे पर लौट जाएं.