जनवरी के आखिर में जब भारत में नॉवेल कोरोनावायरस के आगमन की तस्दीक हुई, तभी से राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) परीक्षण क्षमता बढ़ाने, प्रशिक्षण देने और नई टेस्ट किट विकसित करने के मिशन में जुटा रहा है. इसी की कोशिशों का नतीजा है कि देश में अब कोविड की 107 वायरस रिसर्च और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाएं, 935 सरकारी अस्पताल प्रयोगशालाएं और 1,500 निजी प्रयोगशालाएं हैं.
शुरुआती दिनों में एनआइवी ने नमूने भेजने और उन्हें संस्थान तक लाने के लिए, यहां तक कि आधी रात को भी हवाई अड्डों पर कर्मचारी तैनात करने का पूरा खर्च उठाया. केंद्र की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम कहती हैं, ''चूंकि मरीजों को अलग-थलग रखने की जरूरत थी, इसलिए हमने जांच पूरी करने के लिए बहुत तेज रफ्तार से काम किया.'' एनआइवी रोज औसतन 3,000 नमूने संभालता है और भारत के कुल करीब एक-तिहाई नमूनों की जांच कर चुका है.
डॉ. अब्राहम कहती हैं, ''एनआइवी अच्छे टीमवर्क की वजह से वायरस से लड़ पाया. (दबाव कम करने के लिए) मैं निजी तौर पर खुद मध्यस्थ का काम करती हूं, लेकिन कई लोगों ने हमारी कामयाबी के लिए जरूर प्रार्थनाएं की होंगी.''
क्यों जीता: सरकारी और निजी कोविड परीक्षण प्रयोगशालाओं को ट्रबलशूटिंग और क्वालिटी कंट्रोल सहायता मुहैया की स्वदेशी मानव आइजीजी एलिसा टेस्ट किट (कोविड कवच एलिसा) विकसित की सार्स-कोव-2 वायरस की पहली माइक्रोस्कोप तस्वीर लेकर आए और वायरस को निकालने में कामयाबी पाई