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सुशांत सिंह राजपूत मामलाः फिर भी ये जिद है कि हम...

एम्स की फोरेंसिक समीक्षा रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि राजपूत की मौत आत्महत्या का मामला है. इसमें कहा गया है कि विसरा में कोई विषैला पदार्थ नहीं पाया गया और जख्मों के निशान फांसी पर लटकने से जुड़े हैं

भंवरजाल गिरफ्तारी से दो दिन पहले रिया चक्रवर्ती एनसीबी के दफ्तर के बाहर
भंवरजाल गिरफ्तारी से दो दिन पहले रिया चक्रवर्ती एनसीबी के दफ्तर के बाहर
अपडेटेड 13 अक्टूबर , 2020

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की जांच में अहम मोड़ 29 सितंबर को आया. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सात डॉक्टरों के पैनल ने सीबीआइ के सामने एक फॉरेंसिक रिपोर्ट पेश की, जिसकी मुंबई के आरएन कूपर म्युनिसिपल जनरल हॉस्पिटल के डॉक्टरों के आकलन के साथ इस बात पर सहमति थी—कि राजपूत की मौत आत्महत्या ही थी, हत्या नहीं.


14 जून को राजपूत का शव बांद्रा स्थित उनके घर से पाए जाने के बाद से ही खबरों और सोशल मीडिया में साजिशों की अटकलें लगने लगी थीं, जिसमें उनके कत्ल के कारणों में उन्हें जहर देने से लेकर बॉलीवुड के दिग्गजों की सांठ-गांठ तक का हवाला दिया जा रहा था. हालांकि, मुंबई पुलिस की शुरुआती जांच में ऐसी किसी साजिश के संकेत नहीं मिले थे.

लेकिन घटिया अटकलबाजी—टीआरपी के लिए उतावले मीडिया हाउसों से लेकर कोविड संकट और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय बहस की दिशा बदलने की चाह रखने वाले नेताओं और बॉलीवुड में अपनी दुश्मनी भंजाने की मंशा वाली एक फिल्म स्टार ने इसमें कई सारी जांच एजेंसियों को एक साथ कूदने पर मजबूर कर दिया था. राजपूत के पिता के.के. सिंह की ओर से 25 जुलाई को पटना में दायर एक एफआइआर (प्राथमिकी) के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 31 जुलाई को जांच शुरू की. 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला सीबीआइ को सौंप दिया. 26 अगस्त को इस मामले में कूदने की बारी नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की थी.


22 अगस्त को सीबीआइ ने एम्स को इस बात के निर्देश दिए कि वह आर.एन. कूपर हॉस्पिटल के डॉक्टरों की ओर से किए गए पोस्टमॉर्टम की समीक्षा करे. एम्स की फॉरेंसिक समीक्षा में कथित रूप से यह कहा गया है कि राजपूत की मौत की वजह खुदकुशी ही है—उनके विसरा में कोई विषैला पदार्थ नहीं पाया गया है और उनके शरीर पर पाए गए जख्मों के निशान फांसी लगाने की वजह से हुए हैं—इससे अब इस भयावह तमाशे के खत्म होने की उम्मीद की जा सकती है. एम्स में फॉरेंसिक मेडिसिन ऐंड टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट के मुखिया और पैनल के प्रमुख डॉ. सुधीर के. गुप्ता कहते हैं, ''सीबीआइ की जांच शुरू होने के समय हर किसी के मन में शक था. हमने जांच की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. अब किसी किस्म का शक नहीं होना चाहिए.'' हालांकि, विवाद को जारी रखने में लगातार अपना दिमाग खपाए रखने वाले ऐसा नहीं मानते.


5 अक्तूबर को एक खबरिया चैनल ने 22 अगस्त को रिकॉर्ड की गई डॉ. गुप्ता की ऑडियो क्लिप का प्रसारण करके एम्स के पैनल की जांच पर शक पैदा करने की कोशिश की, जिसमें वे राजपूत की मौत के खुदकुशी होने के मामले पर अपनी राय रख रहे थे. हालांकि, बाद में डॉ. गुप्ता ने अपनी टिप्पणी के बारे में सफाई दी—उन्होंने इंडिया टुडे टीवी से कहा कि उनकी टिप्पणी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की समीक्षा करने से पहले की है और वे एम्स की उस टीम का हिस्सा नहीं थे जिसने सितंबर के दूसरे हफ्ते में राजपूत की मौत के मौका-ए-वारदात का दौरा किया था और आर.एन. कूपर हॉस्पिटल के डॉक्टरों से पूछताछ की थी. पर इसके बावजूद कयासों का दौर चलता रहा.


राजपूत परिवार के वकील विकास सिंह ने 4 अक्तूबर को ट्विटर पर एम्स की रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाते हुए पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, ''एक्वस की रिपोर्ट से अत्यधिक परेशान हूं. (और मैं) सीबीआइ निदेशक से यह अनुरोध करूंगा कि वे एक नई फॉरेंसिक टीम गठित करें. एक्वस की टीम ने बिना शव के ही एक निर्णयात्मक रिपोर्ट कैसे पेश कर दी, वह भी कूपर हॉस्पिटल की तरफ से किए गए गलत पोस्टमॉर्टम के आधार पर, जहां मृत्यु के समय का उल्लेख भी नहीं है?'' इस मामले में संदिग्ध और राजपूत की पूर्व गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने इस मामले में तब तक कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जब तक कि सीबीआइ इस रिपोर्ट को आधिकारिक तौर पर पेश न कर दे. फिर भी, उन्होंने आरोप लगाया कि राजपूत परिवार अपने वकील के जरिए इस जांच पर प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने आरोप लगाया, ''वे एम्स की टीम पर दबाव डालकर जांच को बदल रहे हैं.'' उन्होंने साथ में जोड़ा, ''उनकी कोशिश है कि इस मामले में पहले से तय नतीजे आएं.''


कत्ल की बात को एक्वस की ओर से खारिज किए जाने के बावजूद सीबीआइ की जांच जारी रहेगी. 5 अक्तूबर को सीबीआइ के प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी 'आत्महत्या के लिए उकसाने' को शामिल करते हुए अपनी जांच जारी रखेगी. गौरतलब है कि यह आरोप अपनी एफआइआर में राजपूत के पिता ने लगाया भी है. प्रवक्ता ने कहा, ''सीबीआइ की जांच में सारे विकल्प अभी भी खुले हैं, और अगर जांच पर रोशनी डालने वाला कोई भी सुबूत मिलता है तो हम उस दिशा में भी जांच शुरू कर देंगे.''


मानशिंदे ने इंडिया टुडे को बताया कि आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप चक्रवर्ती पर लगाना 'सरासर झूठ' है. उनका कहना था कि ''वे 8 जून से 14 जून के बीच सुशांत के साथ नहीं रह रही थीं.'' यह एक तथ्य है कि दो महीने तक कई चरणों में पूछताछ के बाद भी अब तक एक भी चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है. उसके बावजूद ईडी उस मामले की भी जांच कर रहा है जिसमें राजपूत के पिता ने आरोप लगाया है कि चक्रवर्ती परिवार ने राजपूत के बैंक खाते से कई करोड़ रुपए उड़ा लिए.


इस मामले में सिर्फ एनसीबी ने ही आरोपपत्र दाखिल किए और गिरफ्तारियां की हैं. राजपूत को मादक पदार्थों की आपूर्ति करने और खरीदने के आरोपों में रिया चक्रवर्ती हालांकि जेल से रिहा हो गईं पर उनके भाई शौविक अभी न्यायिक हिरासत में हैं. रिया को 8 सितंबर को गिरफ्तार किया गया और 6 अक्तूबर को उनकी न्यायिक हिरासत को बढ़ाकर 20 अक्तूबर तक कर दिया गया. जांच के दौरान उनके पास से कोई मादक द्रव्य नहीं पाया गया और उन्होंने खुद भी ड्रग्स लेने से इनकार किया है. उनकी जमानत याचिका बॉम्बे हाइकोर्ट ने 7 अक्तूबर को मंजूर कर ली है और कुछ शर्तें भी लगाई हैं.

इस बीच, मुंबई पुलिस ने थोड़ी राहत की सांस ली है. मुंबई पुलिस कमिशनर परम बीर सिंह ने कहा, 'सत्यमेव जयते' क्योंकि सीबीआइ के हाथ में जांच जाने के बाद इस्तीफे की मांग उठने लगी थी. वे कहते हैं, ''अपनी जांच को लेकर हमारे मन में कोई शक नहीं था. यह एकदम पेशेवर और पूरी सचाई के साथ की जाने वाली जांच थी.'' वे ध्यान दिलाते हैं कि राजपूत परिवार—जिनमें सुशांत के पिता के.के. सिंह और उनकी बहनें नीतू, प्रियंका और मीतू—ने 16 जून को अपने बयान कहा कि उन्हें लगता है कि सुशांत की मौत खुदकुशी है और उन्हें इसमें किसी के शामिल होने का शक नहीं है.

वे साथ में जोड़ते हैं कि बाद में परिवार ने मुंबई पुलिस की जांच में सहयोग देने से इनकार कर दिया, और बार-बार अतिरिक्त बयान देने से मना करते रहे. कमिशनर यह भी कहते हैं कि वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत उन लोगों पर मुकदमा करने की कार्रवाई करेंगे जो सोशल मीडिया पर भ्रामक संदेश फैला रहे थे—खबरें हैं कि लाखों फेक सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल सुशांत की 'हत्या' वाले सिद्धांत को हवा देने के लिए और मुंबई पुलिस को बदनाम करने के लिए किया गया.

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