सुहानी सिंह/ अमिताभ श्रीवास्तव
एकदम खरा काम सुशांत सिंह राजपूत के नजरिए में अमूर्त चीज नहीं थी. काम में कोई कोर-कसर न छोड़ने के उनके रवैए से यही साबित होता है. वे किसी फिल्म की तैयारी में सात-सात महीने गुजार देते थे. केदारनाथ की तैयारी के लिए उन्होंने अपने कमरे को अपने किरदार कुली की रिहाइश की तरह बदल लिया था. एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी पर प्रेस वार्ता के दौरान एक पत्रकार ने यहां तक कह दिया था कि उनकी तैयारी का तरीका तीन बार ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित हॉलीवुड कलाकार डैनियल डे लेविस जैसा है. सुशांत को कोई और तरीका आता ही नहीं था.
अपने मानसिक संतुलन पर मंडरा रहे खतरे, जिसकी तस्दीक कम से कम दो मनोचिकित्सक कर चुके हैं, के मद्देनजर सुशांत जानते थे कि उनके लिए अदाकारी की पुख्ता तैयारी मुश्किल हो जाएगी. इंडिया टुडे टीवी पर प्रसारित एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के मुताबिक, जनवरी 2020 में अपने वित्तीय सलाहकारों के साथ बैठक में उन्हें यह कहते सुना गया कि उन्हें यकीन नहीं रह गया है कि वे बाइपोलर डिसऑर्डर के साथ ऐक्टिंग कर पाएंगे. मुंबई पुलिस के मुताबिक, सुशांत ने अपने नाम के साथ 'मेंटल हेल्थ' लिखकर गूगल किया, उन्हें चिंता थी कि मीडिया कहीं उनकी दशा भांप न ले. उन्होंने आखिरी बार जिस मनोचिकित्सक से सलाह ली थी, उन डॉ. कर्सी चावडा ने मुंबई पुलिस से कहा कि अभिनेता को जून के पहले हफ्ते में घबराहट और बेचैनी का दौरा पड़ा था और वे ''गहरी बेचैनी, अवसाद और वजूद के संकट'' जैसी मनोदशा से ग्रस्त थे. सुशांत ने दवा लेनी छोड़ दी थी और गांजे का धूम्रपान करने लगे थे, जैसा कि उनके घरेलू नौकर नीरज सिंह ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) को बताया. लेकिन इससे कोई राहत नहीं मिली. मानसिक स्वास्थ्य संगठन एमपावर से जुड़े मुंबई स्थित मनोचिकित्सक डॉ. जिराक मार्कर कहते हैं, ''गांजा अवसाद, बेचैनी, सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों को और बिगाड़ देता है. जब उसके सेवन से आपको बेहतर लगने लगता है तो वह और घातक बन जाता है.''
एक युवा सितारा
सुशांत अपनी भावनाओं और योजनाओं को नियमित डायरी में लिखते थे. एक दफे एक पत्रकार ने पूछा कि वह किसी के हाथ लग जाए तो? सुशांत ने कहा, ''उसे धांसू फिल्म का मसाला मिल जाएगा.'' पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे सुशांत का घरेलू नाम गुलशन था. घर के बाहर, वे शर्मीले थे, जैसा कि 2016 में आइआइटी मुंबई के छात्रों को उन्होंने बताया था. पर मंच पर पहुंचते ही, वे जैसे बदल गए. सुशांत ने पत्रकारों से बातचीत में बताया था कि कैसे पैसे से परिवार में ''बड़ा फर्क'' आया. पढ़ाई को कामयाबी का रास्ता माना गया. उन्होंने भी पढ़ाई में जोर लगाया और 10वीं की परीक्षा में इतने अच्छे अंक पाए कि दिल्ली आकर दो साल की स्कूली पढ़ाई और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर पाए. पटना में सुशांत के पड़ोसी बताते हैं कि यह सब संभव होने में उनकी मां उषा सिंह की बड़ी भूमिका थी. छह बच्चों की मां (एक बेटी की मौत छोटे में हो गई थी), उषा ने परिवार को बांधे रखा, घर चलाया और पति के औसत सरकारी वेतन से बड़े परिवार का पूरा ख्याल रखा. 13 दिसंबर 2012 को बाथरूम में गिरकर चोट लगने से उनकी मृत्यु हो गई. तब सुशांत 16 वर्ष के थे.
अभिनेता ने हर साक्षात्कार में अपनी कामयाबी के पीछे मां के भरोसे को महत्वपूर्ण बताया. 2018 में उनकी बरसी पर सुशांत ने वह कविता साझा की, जो उन्होंने मां की याद में 2016 में लिखी थी—
''तुम्हारा वादा था कि मेरे साथ/रहोगी हमेशा,
मेरा वादा था/तुम्हें खुश रखूंगा हमेशा, चाहे जो हो
लगता है, हम दोनों गलत थे मां''
मां की असमय विदाई से हुआ खालीपन कभी भर नहीं पाया. पर उसके बाद सुशांत की बड़ी बहन नीतू सिंह उनके लिए मां जैसी हो गईं. नीतू से ही उनकी पूर्व मैनेजर श्रुति मोदी ने 26 नवंबर को एक व्हाट्सऐप चैट में सुशांत के डॉक्टरी पर्चे को साझा किया था. लेकिन दिल्ली में वकालत करने वाली उनकी बहन प्रियंका ही अभिनेता की सबसे करीबी थीं. श्रुति मोदी के वकील अशोक सरावगी के मुताबिक, प्रियंका ही सुशांत के बैंक खातों और अन्य निवेशों में नॉमनी हैं. दोनों ही बहनों ने मुंबई पुलिस को अपने बयान में कहा कि उनके भाई ने 'हताशा महसूस' करने का जिक्र किया था. प्रियंका ने 8 जून को दिल्ली के एक डॉक्टर से अपने भाई के लिए लिखित सलाह ली थी.
परेशानहाल दिमाग
सुशांत के साक्षात्कारों में उनके दार्शनिक रुझान की भी झलक मिलती थी. अपने अंतर्मुखी स्वभाव पर पूछने पर वे कहते थे, ''जब कुछ नहीं मालूम तो आप काफी बोलते हैं. जब आप कुछ जानते हैं तो बोलने को कुछ नहीं रह जाता.'' 2015 में लुक हू'ज टॉकिंग विद निरंजन नामक शो में सुशांत ने कहा, ''एक ही वक्त में दो सुशांत सक्रिय होते हैं. (मेरे भीतर) एक कुछ नहीं करना चाहता, (और दूसरा) यह जान चुका है कि चाहे जो कुछ भी पा लो, दिमागी तौर पर कुछ नहीं बदलेगा.'' उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें बंद जगहों में घबराहट होती है, केवल ''दो घंटे सो पाता हूं'' और ऐसा पार्टनर हूं ''जिसके साथ रहना मुश्किल है.'' उसके अगले साल गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे से रिश्ते टूटने के बाद सुशांत कुछ समय तक सोशल मीडिया से दूर रहे.
अगस्त 2018 में वे फिर ऑनलाइन सक्रिय हो गए और अपनी ''150 सपनों'' के प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी साझा करने लगे, जिसमें आयरनमैन ट्राइथेलॉन में हिस्सा लेने की ट्रेनिंग, और नासा स्पेश ट्रेनिंग वगैरह थीं. उन्होंने इसके लिए एक टीम भी बनाई थी, जिसमें सिद्धार्थ पिठानी शामिल थे. साल भर बाद सपनों की यह फेहरिस्त 50 पर आ टिकी और उसी साल सुशांत ने कापरी हाइट्स के अपने अपार्टमेंट को कुछ अजीबोगरीब एहसास के बाद छोड़ दिया. ड्रीम प्रोजेक्ट टीम बीते सितंबर में खत्म कर दी गई. गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के साथ यूरोप दौरे में सुशांत ने दो सपनों को जरूर पूरा किया. वे डिज्नीलैंड (पेरिस में) और स्वीट्जरलैंड की सीईआरएन लैबोरेटरी गए, उन्होंने ट्वीट किया, जहां ''मैटर (पदार्थ) मायने रखता है'' और जहां ''डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू का ईजाद हुआ.''
बिखराव
सुशांत ने निरंजन के टॉक शो में कहा, ''मेरी राय में हर कोई मानसिक तौर पर असहज रहता है. इसका कोई उपाय नहीं है.'' उनका मानसिक संतुलन पिछले अक्तूबर में इटली से लौटने के बाद बिगड़ने लगा. वे कुछ समय रिया के साथ रहे, वाटरस्टोन्स होटल में ठहरे और फिर हिंदुजा अस्पताल में पहुंच गए, जहां उन्हें चार दिनों तक रहना पड़ा. उनके हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा ने सीबीआइ से कहा कि नवंबर में अपनी बहनों के साथ दिल्ली जाने की योजना उन्होंने आखिरी पल में टाल दी. सुशांत परिवार के वकील विकास सिंह उसके टलने के लिए रिया और उनके परिवार को दोषी मानते हैं. मोदी के वकील सरावगी का दावा है कि वाटरस्टोन्स में उनकी बहनों से भेंट ही उन्हें अस्पताल में दाखिल कराने की वजह बनी.
जनवरी तक सुशांत एक ब्रान्ड के विज्ञापन का करार गंवा चुके थे, क्योंकि, बकौल सरावगी, उनकी ''शारीरिक या मानसिक हालत ठीक नहीं थी.'' बकौल मिरांडा, उन्होंने केरल के उपचार केंद्र में महीने भर रहने की योजना भी टाल दी और अपनी बहन नीतू के साथ महीने भर चंडीगढ़ में रहने का मन बनाया. पर वे दो दिन में ही लौट आए. पिठानी याद करते हैं कि एक मौके पर सुशांत को ''सांस रुकने'' जैसा महसूस होने लगा और उन्होंने डॉ. चावडा के सुझाव के अनुसार टैबलेट लिया. उनके मुताबिक, नीतू को इस सबकी सूचना दी गई. रिया का भी कहना है कि उन्होंने नवंबर में ऐसा ही किया था.
टूटने का एहसास
लॉकडाउन के बाद सुशांत के घर में खर्च कटौती की कोशिश होने लगी. मिरांडा के अनुसार, सुशांत को अप्रैल के बाद कोई भुगतान नहीं मिला. सुशांत ने उनसे कहा कि पावना फार्म हाउस की लीज खत्म करा दे और कुछ संपत्ति बेच दे. पिठानी ने कहा कि सुशांत के कहने पर जनवरी में जब वे सुशांत के बांद्रा के माउंट ब्लांक घर में रहने और काम करने लगे तो सुशांत ने घर के महीने का बजट 30,000 रु. तक लाने की बात कही. बकौल पिठानी, जून में सुशांत 'काफी कमजोरी' महसूस कर रहे थे और ज्यादातर कमरे में रहते थे. लॉकडाउन में उनके रोजाना के व्यायाम बंद हो गए थे. टीवी एक हफ्ते से खुला ही नहीं था. डॉ. चावडा से सलाह मांगी गई. रिया 8 जून को चली गईं. अपनी मैनेजर रही दिशा सालियान की मौत से सुशांत कुछ वक्त के लिए हिल गए. पिठानी ने एक बातचीत में कहा, ''वे पूरे दिन रोते रहे और उनकी बहन (मीतू) ने उनका ख्याल रखा.'' 10 जून को सुशांत ने पिठानी से हार्ड डिस्क से उनकी सभी वीडियो रिकॉर्डिंग डिलीट कर देने को कहा. 12 जून को मीतू के जाने के बाद उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं खाया. उनका आखिरी नाश्ता नारियल पानी और अनार का जूस था.
निरंजन से सुशांत ने कहा था, ''एक बात हम सभी भविष्य के बारे में शर्तिया जानते हैं कि हम एक दिन मर जाएंगे.'' 14 जून की दोपहर सुशांत अपने कमरे में लटके पाए गए. सीबीआइ तय करेगी कि 34 साल के सुशांत अपनी नियति के मालिक थे या फिर किसी और ने इसकी योजना रची थी. 14 जून तक उनकी जिंदगी में ऐसा बेहद थोड़ा है, जो बताए कि वे खुदमुख्तार नहीं थे.

