महिलाओं को दुनियाभर में यौन उत्पीड़न की व्यथाओं के साथ एकजुट करने के बाद, #MeToo आंदोलन ने भारत में भी बहुत उथल-पुथल मचाई. 3 अक्तूबर को, कॉपीराइटर महिमा कुकरेजा ने कॉमेडियन उत्सव चक्रवर्ती पर आरोप लगाया कि वे महिलाओं के प्रति किस तरह की ओछी हरकतें करते हैं. 24 घंटे के भीतर, सोशल मीडिया पर #MeToo अभियान छा गया था.
भारत की महिलाएं यह खुलकर बताने लगीं कि उन्हें कार्यस्थलों पर क्या-क्या सहन करना पड़ा है. कुछ महिलाओं ने खुले तौर पर अपने साथ हुए शारीरिक और भावनात्मक उत्पीड़न का दर्द साझा किया तो कुछ ने अपनी पहचान छिपाकर उसके बारे में लिखा.
कुकरेजा पहली महिला नहीं थीं जिन्होंने यह चिनगारी सुलगाई. इसके एक हफ्ते पहले, अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने बॉलीवुड की गंदी हकीकत का खुलासा करते हुए करीब एक दशक पहले हॉर्न ओके प्लीज फिल्म के सेट पर अपने साथ हुए बर्ताव को याद किया था. दत्ता ने आरोप लगाया कि फिल्म के एक गाने की शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर ने उनका उत्पीडऩ किया था.
तनुश्री के इस खुलासे के बाद जाहिर होने लगा कि भारत के फिल्म उद्योग में भी कई हार्वे विंस्टीन हैं जिनसे बॉलीवुड को निपटने की जरूरत है. अमेरिका से लौटने के बाद दत्ता ने एक टीवी साक्षात्कार में यथास्थिति को चुनौती देने और गरिमा के लिए आवाज उठाने की अपील की तो सोशल मीडिया पर यह मुद्दा फिर से छा गया.
प्रिया रमानी सरीखी कुछ पत्रकारों ने दिग्गज पत्रकार, लेखक और पूर्व विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर जैसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए ट्विटर को हथियार बनाया, तो कला जगत के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा किए गए दुव्र्यवहारों की घटनाएं इंस्टाग्राम पर साझा की गईं.
लेकिन सोशल मीडिया ने जो ताकत प्रदान की, उसकी जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठे. सवाल उठे कि क्या सब सच बोल रहे हैं या फिर किसी के करियर और जीवन को नुक्सान पहुंचाने की भी नीयत से बातें उछाली जा रही हैं. जैसा कि कॉमेडियन और पटकथा लेखक वरुण ग्रोवर ने लिखा है, ''किसी भी अकाउंट को इसलिए कुछ पब्लिश करने से नहीं रोका जाना चाहिए कि उस पर नाम नहीं लिखा गया है.
लेकिन एक बार यदि आरोपी ने भी कुछ तथ्य-आधारित प्रति-आरोप लगाए हैं तो इस आंदोलन को इस बात की भी पड़ताल करनी चाहिए कि कहीं आरोपी के तर्क सही तो नहीं हैं. यदि किसी व्यक्ति पर लगाए गए आरोप झूठे पाए जाते हैं, तो आंदोलन उन आरोपों को खारिज किए जाने की घोषणा कर सकता है या कम से कम इतना तो हो ही सकता है कि जब तक दावों की जांच न हो जाए तब तकअकाउंट 'सत्यापन लंबित' के रूप में दर्शाया जाए.''
बाधाओं के बावजूद, #MeToo अभियान को बल मिला. कई मशहूर हस्तियां इसकी जद में आईं. भारत में, कला, पत्रकारिता और मनोरंजन के क्षेत्र के कुछ दिग्गजों पर लगे आरोपों के साथ यह आंदोलन तेज हो गया. सबसे ज्यादा आरोप अकबर के खिलाफ लगे. 16 महिलाओं ने बताया कि अकबर ने उनका उत्पीड़न किया. अकबर, जो अभी भी राज्यसभा के सदस्य हैं, के खिलाफ महिलाओं ने अपने निजी कार्यालय में जबरदस्ती करने, अकेले में छेड़छाड़ करने और अस्वीकार किए जाने पर उन्हें परेशान करने के आरोप लगाए हैं. अकबर ने महिलाओं की आवाज को दबाने की कोशिश भी की लेकिन महिलाओं ने अकबर के दुराचारों की पोल-पट्टी खोलना जारी रखा और अंततः 67 वर्षीय अकबर को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा.
कला जगत को भी अपने कुछ मशहूर नामों पर पुनर्विचार के लिए मजबूर होना पड़ा. एक गुमनाम शिकायतकर्ता ने जाने-माने इंस्टॉलेशन आर्टिस्ट 54 वर्षीय सुबोध गुप्ता पर अनुचित रूप से छूने का आरोप लगाया. गुप्ता ने आरोपों का खंडन किया, लेकिन गोवा में हाल ही में आयोजित सेरेंडिपिटी आट्र्स फेस्टिवल के क्यूरेटर का पद उन्हें छोडऩा पड़ा. कोच्चि बिनाले के सह-संस्थापक 47 वर्षीय कलाकार रियास कोमू पर एक महिला ने 'दुव्र्यवहार' का आरोप लगाया तो कोमू को बिनाले प्रबंधन के सभी पदों से हट जाने के लिए कह दिया गया.
पुरस्कार विजेता 77 वर्षीय चित्रकार जतिन दास पर एक उद्यमी ने आरोप लगाया कि उनके काम को व्यवस्थित करने में मदद मांगने के बहाने दास ने उनके साथ छेड़छाड़ की थी.'' 76 वर्षीय उपन्यासकार और नाटककार किरण नागरकर पर तीन पत्रकारों ने गलत तरीके से छूने के आरोप लगाए थे. उनके नाम से बने एक असत्यापित ट्विटर अकाउंट से इसका एक खंडन जारी किया गयाः ''मैं यौन असंगति के इन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन करता हूं. मेरे चरित्र के साथ-साथ मैं जिन विषयों को उठाता हूं, उस पर आघात की कोशिश की जा रही है.''
मनोरंजन उद्योग में, लेखक-निर्माता विनता नंदा ने फेसबुक पर अपने साथ हुई एक दुर्घटना साझा की, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड के सबसे संस्कारी पिता आलोक नाथ पर बलात्कार का आरोप लगाया. नाथ पर बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है. फिल्म उद्योग अब इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता. फिल्म निर्माता साजिद खान पर तीन महिलाओं ने अश्लील और अनुचित सवाल पूछने और बात करने का आरोप लगाया तो इंडियन फिल्म्स ऐंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (#MeToo) ने साजिद को एक साल के लिए निलंबित कर दिया.
कोंकणा सेन शर्मा, मेघना गुलजार, जोया अख्तर और रीमा कागती जैसी 11 महिला फिल्म निर्माताओं ने हस्ताक्षरित नोट जारी करके कहा कि वे 'अपराधियों के साथ काम नहीं करेंगी' और अपने साथियों से भी आग्रह किया कि वे भी ऐसे लोगों के साथ काम न करें. इसके बाद आमिर खान ने एक अन्य आरोपी सुभाष कपूर के निर्देशन में बन रही फिल्म मुगल छोड़ दी थी.
लगभग सभी आरोपियों ने आरोपों से इनकार किया है. कानूनी प्रक्रिया तो धीमी होगी, लेकिन संगठनों और मीडिया घरानों को कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के दिशा-निर्देशों का पालन करने में अधिक सतर्कता दिखाने की जरूरत है. #MeToo ने महिलाओं को उत्पीडऩ के खिलाफ बोलने की ताकत दी है. लगभग 40 साल पहले तक यौन उत्पीड़न नामक कोई शब्द अस्तित्व में नहीं था.
उस दौर की कल्पना भी आसान नहीं है. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में महिलाओं के एक समूह ने 1975 में इस शब्द का पहली बार प्रयोग उस वक्त किया जब उनकी एक सहयोगी कारमिता वुड ने एक सुपरवाइजर द्वारा गलत तरीके से छूए जाने पर विरोध जताते हुए इस्तीफा दिया. आगे की राह आसान नहीं है, लेकिन #MeToo अब एक ऐसी आवाज है जिसे दबाना आसान नहीं.
एम.जे. अकबर, 67 वर्ष
जिस अखबार के संपादक थे, वहां की 16 महिलाओं ने उन पर दुर्व्यवहार के आरोप लगाए
कठघरे में
नाना पाटेकर, 67 वर्ष
अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने उन पर दुव्र्यवहार का आरोप लगाया; आरोपों से इन्कार, अभिनेत्री को कानूनी नोटिस
अन्नू मलिक, 58 वर्ष
हिंदी सिनेमा की कई गायिकाओं ने शीलभंग करने का आरोप लगाया; मलिक का आरोपों से इनकार
सुबोध गुप्ता, 54 वर्ष
एक शिकायतकर्ता ने उन पर गलत ढंग से छूने का आरोप लगाया; आरोपों से इनकार
किरण नागरकर, 76 वर्ष
तीन पत्रकारों ने गलत तरीके से छूने का आरोप लगाया; आरोपों से इनकार
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