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यूपीए ने बंद होने दिए यूरिया प्लांट: केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री

देश में यूरिया की कमी को लेकर मचे हाहाकार पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने इंडिया टुडे से खास बातचीत की.

अपडेटेड 13 जनवरी , 2015
देश में यूरिया की कमी को लेकर मचे हाहाकार पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने इंडिया टुडे के प्रमुख संवाददाता संतोष कुमार से खास बातचीत की. पेश हैं बातचीत के अंशः

यूरिया की कमी की वजह क्या है और उसे कैसे दूर करेंगे?
कमी नहीं है, लेकिन जो दक्षिण के तीन प्लांट बंद हुए हैं. उसके लिए यूपीए सरकार जिम्मेदार है. यूपीए सरकार ने ऐसा निर्देश दे दिया कि 30 जून, 2014 से ये प्लांट खुद बंद हो जाएं. यानी तीन कंपनियां बंद हो गईं, नागार्जुन प्लांट में पाइपलाइन में विस्फोट हो गया. मई में चुनाव के समय पुरानी सरकार ने आयात का निर्णय नहीं लिया, इसलिए यूरिया की शुरुआत में कमी हो गई. लेकिन हमने पूरी ताकत लगाकर आपूर्ति सुनिश्चित की.

दिसंबर में हमने 36 मीट्रिक टन की मांग को पूरा किया है. हुदहुद और नीलोफर तूफान की वजह से भी आयातित माल के पहुंचने में दिक्कत आई, लेकिन हमने पश्चिमी और पूर्वी तटों के सभी बंदरगाहों पर उर्वरक मंगवाया. पहले 40 रेक्स रोजाना लाया जाता था, लेकिन उसे हमने प्रति दिन 57-60 रेक्स तक पहुंचाया और यूरिया को किसानों तक पहुंचाया.
 
प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया की बात कर रहे है तो दूसरी तरफ फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं. ऐसे में कैसे संकट दूर होगा?
पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार गठन के दूसरे महीने में ही हमारे विभाग को प्रजेंटेशन देने के लिए बुलाया गया. जिसमें समग्रता के साथ चर्चा हुई और पहली बार ऐसा हुआ होगा कि खुद किसी प्रधानमंत्री ने दो घंटे तक खाद के मुद्दे पर चर्चा की होगी. उन्होंने जो दिशा निर्देश दिए उसमें सबसे अहम था कि हमें उर्वरक के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करनी है.

जो प्लांट बंद पड़े हैं, उसे पुनर्जीवित करेंगे. लेकिन इसके लिए गैस पाइपलाइन का ग्रिड होना चाहिए. बजट में अरुण जेटली जी ने नई गैस लाइन डालने के लिए 10,000 करोड़ रु. का प्रावधान किया है.

हम अभी यूरिया के मामले में आयात पर ही निर्भर हैं, आप इसे कम करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
अगले 5-6 साल में भारत उर्वरक के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा और अगले एक दशक में हम भी निर्यात करने वाला देश बन जाएंगे. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमने गोरखपुर प्लांट चालू करने की तैयारी कर ली है तो तलचर को वैकल्पिक ईंधन से प्रयोग के तौर पर शुरू कर रहे हैं. अगर कोयले के जरिए गैस ईंधन का प्रयोग सफल रहा तो नौ प्रदेशों को सीधा फायदा मिलेगा.

देश में कितनी खाद की कमी है?
देश में 3.2 करोड़ टन यूरिया की जरूरत है. हमारा घरेलू उत्पादन 2.3 करोड़ टन तक है और बाकी 90 लाख टन हम आयात करते हैं. लेकिन पिछले 10 साल में देश में एक भी प्लांट नहीं बना, बल्कि जो थे वे भी बंद हो गए. हमारी सरकार आने के बाद हमने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, तलचर, रामानुजम प्लांट को चालू करने की योजना बनाकर उस पर काम शुरू कर दिया है.

पहली बार उर्वरक के इतिहास में दो प्रदेश खासकर मध्य प्रदेश और कर्नाटक खुद आगे आए हैं. प्लांट के लिए जमीन देने के अलावा 10 फीसदी पूंजी निवेश भी करने की इच्छा जताई है. उर्वरक से जुड़े मामले तीन मंत्रालयों उर्वरक, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और कोयला मंत्रालय से जुड़े हैं. तीनों साथ में मिलकर काम करेंगे तो इस पूरे सेक्टर में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है.

फूलपुर प्लांट हाल ही में बंद हुआ है, ऐसे में देश यूरिया में कैसे आत्मनिर्भरता हासिल करेगा?
देखिए, हम बिना प्लांट लगाए भी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकते हैं. आयात कम होगा और अधिक उत्पादन के लिए हम मदद देंगे. फैक्ट्री इसे कबूल कर ले तो उत्पादन 20 लाख टन तक बढ़ जाएगा. इस दिशा में कैबिनेट नोट बनाया गया है. अभी समग्र खाद नीति पर राज्यों और विशेषज्ञों से चर्चा चल रही है.
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