scorecardresearch

चाइनीज लोन ऐप का जानलेवा फंदा

कुछ हजार रुपए का कर्ज देकर लोगों को ब्लैकमेल करने और जबरदस्ती कई गुना रुपया उगाहने में लगे चाइनीज लोन ऐप्स के तौर-तरीकों की पड़ताल.

कानून की गिरफ्त में : इसी साल जुलाई में चाइनीज लोन ऐप के जरिए जबरन उगाही में लगे कुछ लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था
कानून की गिरफ्त में : इसी साल जुलाई में चाइनीज लोन ऐप के जरिए जबरन उगाही में लगे कुछ लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था
अपडेटेड 29 अगस्त , 2022

‘‘जीने की इच्छा मेरी भी है, पर मेरे हालात ऐसे नहीं रहे. आदमी मैं बुरा नहीं हूं. इसमें किसी की कोई गलती नहीं है. मेरी ही है. मैंने कई ऑनलाइन ऐप से लोन ले रखा है. जैसे-ट्रू बैलेंस, मोबी पॉकेट, मनी व्यू, स्मार्ट कॉइन, रुफिलो. पर लोन नहीं भर पा रहा हूं. इज्जत के डर से यह कदम उठा रहा हूं...’’ 

इंदौर के अमित यादव ने यह सुसाइड नोट बीते 22 अगस्त को लिखा था. अमित अपनी पत्नी टीना और दो बच्चों के साथ 21 अगस्त की देर रात उज्जैन के महाकाल मंदिर से दर्शन करके लौटे थे. अगले दिन दोपहर तक अमित के घर का दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसियों ने इसकी सूचना उनके  रिश्तेदारों को दी.

दोपहर को जब घर का दरवाजा तोड़ा गया तो भीतर मौत का सन्नाटा पसरा था. अमित ने पहले अपनी पत्नी और दो बच्चों की हत्या की और बाद में आत्महत्या कर ली. इंदौर में एक ही परिवार के चार सदस्यों की लोन ऐप की वजह से मौत का यह अकेला मामला नहीं है. आत्महत्या का ऐसा ही एक मामला इस साल अप्रैल में भी चर्चा में आया था.

हैदराबाद के जियागुडा में रहने वाली कमलाम्मा के लिए 17 अप्रैल का दिन किसी बुरे सपने की तरह था. वे जब अपनी दिहाड़ी पूरी करके सुबह आठ बजे घर लौटीं तो उन्हें उम्मीद थी कि दरवाजा खटखटाने पर हमेशा की तरह उनका बेटा राजकुमार दरवाजा खोलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आधे घंटे तक कोशिश करने के बाद भी जब घर के भीतर कोई हरकत नहीं हुई तो कमलाम्मा ने पड़ोस में रह रहे अपने रिश्तेदारों को बुलाया.

जब दरवाजा तोड़ा गया तो भीतर राजकुमार की लाश पंखे से लटकी हुई थी. कमलाम्मा को समझ में नहीं आ रहा था कि राजकुमार ने ऐसा जानलेवा कदम क्यों उठाया? इस वारदात की सूचना कुलसुमपुरा पुलिस थाने को दी गई. शुरुआत में पुलिस इस मामले को आत्महत्या का एक सामान्य मामला मानकर चल रही थी, लेकिन जब राजकुमार के फोन की जांच की गई तो माजरा कुछ और ही निकला.

इस केस की तहकीकात कर रहे सब इंस्पेक्टर वेणु गोपाल बताते हैं, ''राजकुमार के फोन की जांच से हमें पहली लीड मिली. उनके व्हाट्सऐप पर अलग-अलग नंबर से धमकी भरे मैसेज भेजे गए थे. उनके फोन में कुल 11 अलग-अलग लोन ऐप मिली थीं. इसमें से हार्मनी लोन और हसडी लोन की तरफ से उन्हें लगातार धमकी भरे मैसेज भेजे जा रहे थे.’’ ऐसे ही कुछ धमकी भरे मैसेज राजकुमार के दोस्तों और सहकर्मियों को भी मिले थे. उगाही एजेंट राजकुमार के दोस्तों से कह रहे थे कि वे उस पर लोन लौटाने का दबाव बनाएं.

अकेले हैदराबाद में लोन ऐप के ब्लैकमेल के चलते साल 2020 की शुरुआत से अब तक 9 आत्महत्या हो चुकी हैं. लोन उगाही के नाम पर हो रहे ब्लैकमेल के खिलाफ काम कर रहे एक गैर-सरकारी संगठन 'सेव देम इंडिया फाउंडेशन’ की तरफ से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक देश भर में लोन ऐप ब्लैकमेल के चलते 52 लोग आत्महत्या कर चुके हैं.

हैदराबाद पुलिस के पास लोन ऐप ब्लैकमेल की पहली शिकायत करीब दो साल पहले आई थी. नवंबर 2020 के आखिरी सप्ताह में 46 साल की सुधा (बदला हुआ नाम) अपनी शिकायत लेकर हैदराबाद की साइबर क्राइम सेल पहुंची. उनकी शिकायत थी कि उन्होंने एक इंस्टैंट लोन ऐप रूपी स्पेस से 5,000 रुपए का कर्ज लिया था.

कर्ज लौटाने की अंतिम तारीख 21 नवंबर, 2020 थी, लेकिन उन्हें कर्ज अदा करने में एक दिन की देर हो गई. पैसा देने के बाद भी सुधा को फोन कॉल आने शुरू हो गए. उन्हें उनकी फोटोशॉप की गई नंगी तस्वीरें भेजी जाने लगीं. लोन ऐप के उगाही एजेंट उन्हें ब्लैकमेल करके उनसे 60,000 रुपए देने की मांग कर रहे थे.

जब सुधा ने यह शिकायत दर्ज करवाई तो उस समय इंस्पेक्टर डी. प्रशांत ने इसे एक सामान्य साइबर फ्रॉड केस की तरह ही लिया. लेकिन इसके बाद उन्हें इस किस्म की कुछ और शिकायतें मिलीं. प्रशांत याद करते हैं, ''शुरुआत में यह हमारे लिए बिल्कुल नई चीज थी. लोन फ्रॉड केस में हम लीड की तलाश में थे.

इस बीच एक मुखबिर ने हमें टिप दी कि बेगमपेट में एक कॉल सेंटर चल रहा है, जिसकी गतिविधियां संदिग्ध हैं. हमें यह भी पता लगा कि पीड़ितों को जो फोन कॉल आ रहे हैं, उनमें से कई की लोकेशन गुरुग्राम (गुड़गांव) की है. हमने 6 दिसंबर, 2020 के रोज दोनों जगहों पर एक साथ छापामारी की.

तब हमें पहली बार एहसास हुआ कि यह मामला कितना फैला हुआ है. दोनों जगहों पर चल रहे कॉल सेंटर से 12 लोन ऐप चलाई जा रही थीं. इन कॉल सेंटर में 700 के करीब कर्मचारी काम रहे थे. इनका काम पीड़ितों को पहले लोन के जाल में फंसाना, फिर उन्हें धमकी भरे कॉल और मैसेज भेजना था. यह बहुत बड़ा आपराधिक नेटवर्क था.’’

26 दिसंबर, 2020 को हैदराबाद पुलिस की साइबर सेल ने बेंगलूरू के दो कॉल सेंटर पर छापा मारा. यहां से 42 लोन ऐप का कारोबार चलाया जा रहा था. ये 42 ऐप चार अलग-अलग कंपनियों लीयुफंग टेक्नोलॉजीज, पिन प्रिंट टेक्नोलॉजीज, हॉटफुल टेक्नोलॉजीज और नैबलूम टेक्नोलॉजीज चला रही थीं. दिलचस्प बात है कि आखिर की तीनों कंपनियां लीयुफंग टेक्नोलॉजीज की ही सहयोगी कंपनियां थीं.

इस कंपनी की सीईओ क्युई युआन युआन नाम की एक चाइनीज महिला थी, जिसे कंपनी में जेनिफर या सीसी के नाम से बुलाया जाता है. स्थानीय स्तर पर पैसों के कलेक्शन की जिम्मेदारी झू वेई उर्फ लैम्बो नाम के एक चाइनीज शख्स के पास थी. एक और चाइनीज महिला एंजिला का काम कंपनी के टेक्निकल ऑपरेशन देखना था. वह ऐप का बैकएंड संभालती थी.

पुलिस ने अपनी तहकीकात में पाया कि इन लोन ऐप ने पैसा ट्रांसफर करने के लिए वर्चुअल पेमेंट गेटवे रेजरपे पर 350 से ज्यादा वर्चुअल अकाउंट बनाए गए थे. इनके जरिए पीड़ितों से पैसे की उगाही की जाती थी.

इन सभी इंस्टैंट लोन ऐप की खास बात यह थी कि जैसे ही कोई ऐप इन्स्टॉल करता, उसका सारा डेटा क्लाउड पर सेव हो जाता. केवाइसी के नाम पर पीड़ित से उसके आधार कार्ड, पैन कार्ड और फोटो सहित पहचान से जुड़े तमाम दस्तावेज मांगे जाते. ये दस्तावेज बाद में रेजरपे जैसे पेमेंट गेटवे पर नए फर्जी वर्चुअल अकाउंट बनाने में काम लिए जाते.

वर्चुअल कॉल के लिए आइडी बनाई जातीं. पीड़ितों को कॉल करने के लिए एसटीआइ और ऐनक्स जैसे ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल किया जाता था. इन ऐप्लिकेशन की मदद से वर्चुअल नंबर से व्हाट्सऐप कॉल की जातीं. धमकी भरे मैसेज भेजे जाते. इन नंबर पर अगर कोई कॉल बैक करने की कोशिश करता तो वह लगता नहीं था. अगर कोई कॉल के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले इंटरनेट कनेक्शन का आइपी एड्रेस खंगालता तो यह किसी दूसरे देश का आइपी एड्रेस दिखाता. इस तरह से ये लोग लंबे समय तक पुलिस की गिरफ्त से बचते रहे थे.

एक बार केवाइसी होने के बाद पीड़ित के बैंक अकाउंट में पैसे डाल दिए जाते. इसमें जीएसटी, ब्याज और फाइल चार्ज के नाम पर कर्ज में दी जाने वाले रकम से दोगुना पैसा वसूला जाता. उदाहरण के तौर पर, 2,700 रुपए का लोन लेने वाले पीड़ित को सात दिन के भीतर 5,000 से ज्यादा की रकम चुकानी होती थी. लोन सात दिन के लिए दिया जाता था. लेकिन पांचवें दिन से पीड़ित को कॉल जानी शुरू हो जाती थीं.

ज्यादातर केस में लोग इतना पैसा नहीं चुका पाते थे. ऐसी स्थिति में पहले उस शख्स को ब्लैकमेल किया जाता. उसे धमकी भरे फोन किए जाते. उसकी फोन गैलरी से किसी महिला रिश्तेदार या उसकी खुद की तस्वीर को फोटोशॉप करके उसे ब्लैकमेल किया जाता.

अगर वह फिर भी पैसे नहीं देता तो दूसरे फेज में उसकी अश्लील फोटो और लोन की डिटेल उसके करीबी लोगों के पास जाती. पीड़ित शख्स के घर वालों और रिश्तेदारों को गालियां देना, उन्हें धमकाना आम हथकंडा था. फिर भी अगर कोई पैसा न दे तो पीड़ित के बारे में अपमानजनक बातें लिखकर उसके कॉन्टैक्ट लिस्ट के हर नंबर पर भेजना शुरू कर दिया जाता.

अगर कोई पीड़ित समय पर पैसा लौटा दे तो भी ये लोग उसका पीछा नहीं छोड़ते थे. समय पर पैसा लौटा देने वाले शख्स के बैंक अकाउंट में बिना उसे बताए पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता और फिर शोषण का नया चक्र शुरू होता. यह सारा काम झू वेई उर्फ लैम्बो की देखरेख में होता था.

हैदराबाद पुलिस ने 20 दिन के भीतर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गुरुग्राम, बेंगलूरू और हैदराबाद में कुल सात कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया था. गिरफ्तार लोगों में दो चीनी नागरिक भी शामिल थे. एक बार के लिए लगने लगा था कि अब हजारों पीड़ितों को चाइनीज लोन ऐप के शोषण से मुक्ति मिलेगी. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई.

पुलिस कार्रवाई के बाद भारत में बैठकर गिरोह चला रहे कई अपराधियों ने चीन लौटना शुरू कर दिया. चेन चाओपिंग भी उनमें से एक था. चाओपिंग गोल्डन बैगनाम से बेंगलूरू में उगाही का एक कॉल सेंटर चला रहा था. फरवरी 2021 में अपना कारोबार समेटकर वह अचानक गायब हो गया. उसके कॉल सेंटर में काम करने वाले 300 से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए. इन लोगों में शब्बीर और उमाकांत यादव भी थे, जो रातो-रात बेरोजगार हो गए थे.

इस बीच अगस्त 2021 में हैदराबाद साइबर सेल के पास ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट के नाम पर आठ लाख रुपए की ठगी का एक केस आया. इस केस की जांच पुलिस को बेंगलूरू में शब्बीर तक ले गई. उसने गिरफ्तारी के बाद जो खुलासे किए वे चौंकाने वाले थे. शब्बीर ने जुलाई 2020 में चाओपिंग के कॉल सेंटर गोल्डन बैग में काम करना शुरू किया था. कॉल सेंटर में बतौर टीम लीडर वह लोगों को लोन देने के नाम पर चाइनीज ऐप के जाल में फंसाने का काम करता था.

चीन लौटने के बाद अप्रैल, 2021 में चाओपिंग ने वर्चुअल कॉलिंग ऐप डिंगटॉक के जरिए शब्बीर से संपर्क साधा. उसने बेरोजगार शब्बीर के सामने एक नई कंपनी का डायरेक्टर बनने का ऑफर दिया. साथ ही गोल्डन बैगमें उसके सहकर्मी रहे उमाकांत को डिप्टी डायरेक्टर बनने का ऑफर मिला. दोनों चाओपिंग के लिए काम करने को तैयार हो गए.

चाओपिंग ने 2020 के नवंबर में स्काईलिंक टेक्नोलॉजीज नाम से एक कंपनी भारत में रजिस्टर करवा रखी थी. चाओपिंग के इशारे पर शब्बीर और उमाकांत ने मिलकर 100 लोगों को ऑनलाइन जॉब पोर्टल के जरिए रिक्रूट किया और नया कॉल सेंटर चलाना शुरू कर दिया. ये लोग इन्वेस्टमेंट फ्रॉड के अलावा ओशियन रुपीज, बॉक्स कैश, मालू लोन, लाइफ वॉलेट, एलीफैंट कैश, दत्ता रूपी लोन जैसी कई ऑनलाइन इंस्टैंट लोन ऐप चला रहे थे.

शब्बीर के खुलासे से दो बातें साफ थीं. पहली कि ऑनलाइन ठगी करने वाले इन चीनी गिरोहों का आपराधिक जाल लोन ऐप तक सीमित नहीं था. वे इन्वेस्टमेंट और गेमिंग ऐप जैसे ठगी के कई तरीके अपना रहे थे. दूसरी बात कि पुलिस की कार्रवाई इन गिरोहों की सेहत पर कोई खास असर नहीं डाल रही थी. अगर पुलिस एक मॉड्यूल का भांडा फोड़ रही थी, तो चीनी सरगना अपने आपराधिक गिरोह में काम करने के लिए नए आदमी तलाश ले रहे थे. लेकिन ऑनलाइन उगाही का यह नेटवर्क सिर्फ हैदराबाद या तेलंगाना तक महदूद नहीं था.

रिजर्व बैंक की नवंबर, 2021 में आई रिपोर्ट की मानें तो जनवरी 2020 से लेकर मार्च 2021 के बीच देशभर में ऑनलाइन लोन ऐप की धोखाधड़ी के मामलों में 2,562 एफआइआर दर्ज हुईं. लेकिन ऑनलाइन लोन ऐप के पीड़ितों की मदद में लगे गैर सरकारी संगठन सेव देम इंडिया के चेयरमेन प्रवीण कलाईसेल्वन की मानें तो पीड़ितों की असल संख्या इससे कई गुना बड़ी है.

वे कहते हैं, ''हमें 1 जनवरी, 2022 से 15 अगस्त, 2022 के बीच साढ़े सात महीने में 47,195 शिकायतें मिल चुकी हैं. लेकिन यह आंकड़ा भी असल तस्वीर पेश नहीं करता. पीड़ितों की एक बड़ी तादाद तक अभी हमारी पहुंच नहीं हैं. दूसरी बात यह है कि पांच या दस हजार का लोन लेने वाले ज्यादातर पीडि़त निम्न आर्थिक वर्ग से आते हैं. हम उन्हें एफआइआर दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं, लेकिन वे परेशानी के डर से ऐसा नहीं करते.’’

2021 की शुरुआत में पुलिस ने जब चाइनीज लोन ऐप पर शिकंजा कसना शुरू किया तो इन आपराधिक गिरोहों ने अपने काम करने के तरीके में बड़ा बदलाव किया. उगाही करने के लिए बने कॉल सेंटर को भारत के पड़ोसी देशों में शिफ्ट किया जाने लगा.

दिल्ली पुलिस इंटेलिजेंस फ्यूजन ऐंड स्ट्रेटीजिक ऑपरेशन (इफसो) यूनिट के डीसीपी के.पी.एस. मल्होत्रा बताते हैं, ''दो महीने लंबे चले ऑपरेशन में हमने दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और बिहार में अलग-अलग जगह छापे मारकर लोन ऐप उगाही रैकेट से जुड़े 22 आरोपियों को गिक्रतार किया है. लेकिन पुलिस की कार्रवाई के चलते एक नया ट्रेंड दिख रहा है. उगाही के लिए चल रहे कई कॉल सेंटर के नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में शिफ्ट होने की बात सामने आई है.’’

25 जुलाई, 2022 को काठमांडू पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस बात को और पुख्ता कर दिया. काठमांडू पुलिस ने नेपाल के अलग-अलग इलाकों में चल रहे तीन बड़े कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया. ये कॉल सेंटर भारत में चल रहे इंस्टैंट लोन ऐप फ्रॉड से जुड़े हुए थे. लेकिन यहां सवाल यह भी था कि चाइनीज लोन ऐप से उगाहे जाने वाले पैसे भारत से बाहर कैसे जाते थे? इसका जवाब है, क्रिप्टोकरेंसी.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 5 अगस्त को भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज ऐप वजीर-एक्स चलाने वाली कंपनी जनमाई लैब प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर पर छापामारी करके उसके तमाम अकाउंट सीज कर दिए. इन अकाउंट में कुल 64.67 करोड़ रुपए की रकम मौजूद थी. ईडी का दावा है कि वजीर-एक्स पर 2,790 करोड़ से ज्यादा का संदिग्ध लेनदेन हुआ है.

इसी तरह ईडी ने बेंगलूरू की एक कंपनी येलो ट्यून पर कार्रवाई करते हुए उसके बैंक अकाउंट और तमाम प्रॉपर्टी जब्त कर ली थी. यह कंपनी फ्लिपवोल्ट नाम के एक क्रिप्टो एक्सचेंज की मदद से सैकड़ों करोड़ रुपए चीन भेज रही थी.

इस कंपनी को चलाने वाले दो शख्स अलेक्स और कैडी (असल नाम पता नहीं) चीनी नागरिक हैं. इन लोगों ने फर्जी डायरेक्टर के नाम पर 23 शेल कंपनी (ऐसी कंपनियां जो सिर्फ कागजों पर होती हैं और इनके नाम पर कई अवैध लेनदेन चलते हैं) बना रखी थीं. इनमें से कई कंपनियां लोन ऐप के जरिए ब्लैकमेल और उगाही में लगी हुई थीं. 

उगाही से आने वाले पैसे को पहले एक शेल कंपनी से दूसरी शेल कंपनी के फर्जी पते पर खोले गए चालू खाते में घुमाया जाता. फिर इस पैसे को फ्लिपवोल्ट के जरिए क्रिप्टोकरेंसी के बदलकर चीन भेज दिया जाता. फ्लिपवोल्ट क्रिप्टोकरेंसी का एक वॉलेट है, जिससे पैसा भेजने के लिए आपको किसी केवाइसी की जरूरत नहीं थी.

ईडी ने जब क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन के सिलसिले की पड़ताल की तो पाया कि करीब 370 करोड़ रुपए कीमत की क्रिप्टोकरेंसी येलो ट्यून से जुड़ी शेल कंपनियों के अकाउंट पूल में मौजूद थी. छापामारी के बाद इसे सीज कर दिया गया. अकेले हैदराबाद पुलिस ने 100 के करीब लोन ऐप के लेनदेन की जांच करते हुए पाया कि इन ऐप पर कुल डेढ़ करोड़ दफा ट्रांजैक्शन हुआ है. इसमें कुल 21,000 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है. यह पैसा क्रिप्टो के जरिए चीन और हांगकांग भेजा जा रहा था. 

ज्यादातर क्रिप्टो एक्सचेंज ऐप रिजर्व बैंक की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों, मसलन केवाइसी या फिर ऐंटी मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) और कॉम्बैटिंग ऑफ फाइनेंसिंग ऑफ टेरेरिज्म (सीएफटी) का पालन नहीं करते. इसी के चलते हाल ही में रिजर्व बैंक ने देश के तमाम बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के दौरान सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं.

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज में एक ब्लॉकचेन लेजर यानी एक डिजिटल रजिस्टर होता है, जिसमें लेनदेन का विवरण दर्ज होता है. इससे सरकारी एजेंसियां किसी भी क्रिप्टो एक्सचेंज की पड़ताल कर सकती हैं. लेकिन क्रिप्टो एक्सचेंज के साथ एक दिक्तत है. अगर आप अपनी क्रिप्टोकरेंसी को क्रिप्टो वॉलेट में डालकर उसे प्राइवेसी कॉइन में तब्दील कर देते हैं तो उसके बाद उसका ब्लॉकचेन लेजर मिलना मुश्किल हो जाता है.

इंटरनेट पर सैकड़ो मुफ्त क्रिप्टो वॉलेट हैं, जिन्हें खोलने के लिए आपको किसी खास पहचान पत्र की जरूरत नहीं होती. ये वॉलेट आपको यह सुविधा भी देते हैं कि आप अपने प्राइवेसी कॉइन को जब चाहें फिर से क्रिप्टोकरेंसी में बदल सकते हैं और उसे अपने पसंद के देश में नकद रकम के तौर पर भुना सकते हैं. इस वजह से क्रिप्टोकरेंसी आपराधिक गतिविधि का जरिया बन जाती है. 

नवंबर 2021 में आरबीआइ के वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लेंडिंग ऐप (लोन ऐप) पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें बताया गया कि 2017 से 2020 के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए कर्ज के लेनदेन की रकम में 12 गुना का उछाल देखा गया. 2017 में यह आंकड़ा 11,671 करोड़ रुपए था जो 2020 आते-आते बढ़कर 1,41,821 करोड़ रुपए हो गया.

जनवरी और फरवरी 2021 के बीच 81 ऐप स्टोर की जांच में पाया गया कि उस समय भारत में 1,100 से ज्यादा डिजिटल लोन ऐप मौजूद थे. इसमें से आरबीआइ ने लगभग 600 ऐप को गैरकानूनी माना. आरबीआइ के निर्देश के बाद गूगल प्ले स्टोर ने इन ऐप को प्ले स्टोर से हटा भी दिया था. लेकिन पिछले दो साल में जिस तरह से चाइनीज लोन ऐप का जाल बेपर्दा हो रहा है, इन आंकड़ों में कई गुना का उछाल देखा जा सकता है.

डिजिटल लेंडिंग ऐप रिजर्व बैंक के लिए भी चिंता का सबब बने हुए हैं. जून 2022 में एक कार्यक्रम में बोलते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इन आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए जल्द ही नए नियम बनाने की बात कही थी. इस कार्यक्रम में उनका कहना था, ''लोन देने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्मों में से ज्यादातर अनाधिकृत, गैर-पंजीकृत और अवैध हैं, हम इनके नियमन के लिए जल्दी ही एक विस्तृत ढांचा तैयार करने वाले हैं.’’ 

12 अगस्त को रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी करके लोन देने वाली तमाम नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए फाइनेंशियल सर्विस की आउट सोर्सिंग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इन दिशा-निर्देशों में रिजर्व बैंक ने लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर या कर्जा देने वाले सभी संस्थानों से कहा है कि वे अपने डिजिटल लोन या फिनटेक से जुड़े विवादों को निपटाने के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करें. यह नोडल ऑफिसर अपने ही संस्थान के खिलाफ आने वाले मामलों में भी ऐक्शन लेने के लिए स्वतंत्र होगा. 

इन दिशा-निर्देशों में दूसरी बड़ी बात यह है कि डिजिटल लेंडिंग ऐप केवाइसी के लिए ग्राहकों से जो डेटा लेते हैं, उन्हें भारत के सर्वर पर ही सेव किया जाए और ग्राहक की अनुमति के बिना इसका उपयोग न हो.

हालांकि रिजर्व बैंक के ये दिशा-निर्देश चाइनीज लोन ऐप के शोषण से मुक्ति दिला पाएंगे? यह सवाल जस का तस बना हुआ है. डेटा प्राइवेसी कानूनों पर नजर रखने वाली एडवोकेट खुशबू जैन कहती हैं, ''रिजर्व बैंक के नए दिशा-निर्देश डिजिटल लैंडिंग ऐप से जुड़े लगभग सभी मुद्दों को एक कानूनी ढांचे में लाने की कोशिश करते हैं. लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि ये दिशा-निर्देश सिर्फ रेगुलेटेड निकायों की ही बात करते हैं.

लेकिन ऑनलाइन लोन फ्रॉड से जुड़े ज्यादातर ऐप चीन से चल रहे हैं और भारत में उनका कारोबार गैर-कानूनी है. ऐसे में ये नए दिशा-निर्देश लोन ऐप फ्रॉड को रोकने में बहुत कारगर साबित होते हुए नहीं दिख रहे. इंटरनेट की दुनिया आपको अज्ञात बने रहने की गुंजाइश देती है. ऐसे में डेटा चोरी के जरिए ब्लैकमेल करना सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि रणनीति से जुड़ा मसला भी है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इस तरह के गैरकानूनी ऐप हमारी साइबर सीमा में घुसपैठ न कर पाएं.’’

साल 2016 के दौरान चीन में भी इस तरह के लोन ऐप से हलचल मची थी. लेकिन चीन की सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए दो साल के भीतर ही इन पर काबू पा लिया. दूसरी तरफ भारत में इस तरह के अपराधों से निबटने के लिए न तो कोई मजबूत कानूनी ढांचा है और न ही कोई पेशेवर एजेंसी. फिलहाल भारत में अलग-अलग राज्यों की पुलिस ही इन अपराधों की तह तक जाने का काम कर रही है लेकिन उसकी जांच चीन की दीवार नहीं लांघ पा रही.

दूसरी चिंता की बात इन गिरोहों के काम करने के तरीके में आया बदलाव है. अब इनके कॉल सेंटर पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी चल रहे हैं. इससे भी पुलिस के हाथ बंध जाते हैं. ऐसे में एक सख्त कानून इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है जो हमारे साइबर स्पेस की स्वच्छता सुनिश्चित करे.

Advertisement
Advertisement