महाराष्ट्र
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 13 अप्रैल को लॉकडाउन का ऐलान किया तब तक महाराष्ट्र में रोज औसतन 60,000 नए मामलों दर्ज होने लगे थे. ये फरवरी के आखिर के मुकाबले करीब चार गुना थे. लॉकडाउन के दौरान दवाई, सब्जी और किराने के सामान सरीखी जरूरी चीजों की दुकानों को सुबह 7 से शाम 8 बजे तक खोलने की इजाजत दी गई है. 20 अप्रैल से किराने की दुकानों के खुलने का समय सुबह 7 से दोपहर 11 बजे कर दिया गया. होटल, बार, रेस्तरां, जिम, स्पा और सैलून बंद पड़े हैं.
राज्य में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए करीब 500 प्रयोगशालाएं हैं, लेकिन बढ़ते बोझ की वजह से टेस्ट और रिपोर्ट में देर हो रही है. टेस्ट के लिए औसतन दो दिन बाद का समय मिलता है जबकि रिपोर्ट आने में तीन दिन लग जाते हैं. स्वास्थ्य मंत्री राजेश तोपे कहते हैं कि 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है, लेकिन यह मुश्किल दिखाई देता है.
महाराष्ट्र की पॉजिटिविटी दर 19 अप्रैल को 16.19 फीसद थी. राज्य रेमडेसिविर की कमी भारी है.
राज्य की कोविड-19 टास्कफोर्स के प्रमुख डॉ. संजय ओक कहते हैं कि रेमडेसिविर जिंदगी बचाने की गारंटी नहीं है, पर यह अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि कम करने में मददगार है. रेमडेसिविर के काले बाजार में 20,000-30,000 रुपए प्रति वायल जितनी ऊंची कीमत पर बिकने की खबरें हैं. ठाणे के बाशिंदे अनुरुद्ध पाटील हैरान रह गए जब एक डीलर ने एक शीशी के लिए उनसे 22,000 रु. मांगे. पाटील कहते हैं, ''मुझे पिता के लिए तीन शीशियां चाहिए थीं. खुशकिस्मती से एक दोस्त ने अपनी मां के लिए खरीदी शीशियों में से बाकी बची मुझे दे दीं. तीन शीशियों के लिए मुझे महज 3,600 रु. देने पड़े, ‘’राज्य सरकार ने हेल्पलाइन शुरू की है जहां मरीज रेमडेसिविर के लिए नाम लिखवा सकते हैं.
अस्पतालों के लिए जिला कलेक्टर के पास, जिन्हें इस इंजेक्शन के वितरण का नोडल अफसर बनाया गया है, अपनी मांग दर्ज करवाना अनिवार्य है. सरकार ने रेमडेसिविर की 8,00,000 शीशियों की आपूर्ति के लिए दो बार टेंडर बुलाए लेकिन खाद्य और दवा प्रशासन मंत्री राजेंद्र शिंगणे कहते हैं कि सरकार द्वारा तय 1,656 रुपए की दर से इंजक्शन सप्लाई करने में कंपनी की दिलचस्पी नहीं थी. शिंगणे बताते हैं, ''एक कंपनी 30 मई के बाद ही शीशियां दे सकेगी. दूसरी रोज केवल 500 शीशियां दे सकती है.’’
महामारी पर नियंत्रण की कोशिशें मुंबई-पुणे इलाके के इर्द-गिर्द सिमटी हैं, जबकि विदर्भ इलाका सबसे ज्यादा तकलीफ झेल रहा है. 19 अप्रैल को नागपुर जिले में राज्य भर में सबसे ज्यादा 113 मौतें दर्ज की गईं. 17 अप्रैल को बॉम्बे हाइकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह नागपुर को रेमडेसिविर की 10,000 शीशियों मुहैया करे.
महाराष्ट्र में मेडिकल ऑक्सीजन की भी कमी है. राज्य कोविड के मरीजों के लिए रोज 1,200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का इंतजाम कर रहा है, पर ये कुल जरूरत से 500 मीट्रिक टन कम है. उम्मीद है कि विशाखापत्तनम और नवी मुंबई के बीच चलाई जा रही 'ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ रेल अप्रैल के आखिर तक कमी को पूरा कर देगी.
राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वाडेट्टीवार कहते हैं कि नए मामलों में कमी नहीं आई तो सरकार मई के पहले हफ्ते से कड़ी पाबंदियां लग सकती है. महाराष्ट्र 19 अप्रैल तक करीब 1.30 करोड़ लोगों को कोविड टीके लगा चुका था. तोपे कहते हैं कि वैक्सीन की सप्लाई पर्याप्त हो तो रोज 8,00,000 लोगों को टीके लगाए जा सकते हैं.
मेडिकल ऑक्सीजन की रोजाना कमी 500 मीट्रिक टन की है. यह कमी अप्रैल अंत तक दूर होने की उम्मीद
सक्रिय मामले
1798,892
पॉजिटिव दर
23.3 %
कोविड से मौत
9,159

