भारत में करीब 90 प्रतिशत खिलौनों का आयात किया जाता है, खासकर चीन से. आयात पर कई तरह के प्रतिबंधों और फैक्टरी में काम करने वाले लोगों की कमी के कारण खिलौना बनाने वाले उत्पादकों का कहना है कि अब उनके पास माल नहीं है.
30 अगस्त को 'मन की बात’ के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ''मुझे अक्सर ताज्जुब होता है कि तालाबंदी के दौरान छोटे बच्चे क्या करते होंगे. मैंने कई लोगों से चर्चा की कि हम बच्चों को नए खिलौने कैसे दिला सकते हैं. भारत खिलौनों का उत्पादन करने वाला बड़ा केंद्र कैसे बन सकता है. भारत को खिलौनों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना चाहिए.’’
ग्लोबल मार्केट रिसर्च फर्म आइएमएआरसी के मुताबिक, भारत में खिलौना बाजार करीब 10,000 करोड़ रु. का है. इसमें संगठित खिलौना उद्योग की हिस्सेदारी 3,500 से 4,500 करोड़ रु. की है. घरेलू खिलौनों का हिस्सा केवल 12-13 फीसद है जबकि 88 प्रतिशत हिस्सा मैटेल और फिशर प्राइस जैसे इंटरनेशनल ब्रांडों का है.
भारत आने वाले ज्यादातर खिलौने चीन के गुआंगडांग में बने होते हैं. चीन के विरोध के फलस्वरूप इंपोर्ट ड्यूटी बढऩे से इस उद्योग को गहरा झटका लगा. सभी तरह के खिलौनों की खुदरा बिक्री घटी है. कंस्ट्रक्शन टॉय और बोर्ड गेम्स की ऑनलाइन बिक्री थोड़ी बढ़ी है.
अखिल भारतीय खिलौना उत्पादक संघ के सदस्य और पीकॉक ट्वायज के मालिक जुजेर गाबाजीवाला कहते हैं कि गुजरात के वापी में उनकी फैक्टरी में बिजली बाधित होना बड़ी समस्या है. वे कहते हैं, ‘‘हमें सरकार की ओर से बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए सहयोग की काफी जरूरत है.’’
इस साल के बजट में खिलौनों के आयात पर शुल्क 20 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया. यह भी अनिवार्य कर दिया गया कि भारत में बने सभी खिलौनों को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) से प्रमाण-पत्र हासिल करना होगा. हालांकि बीआइएस की अनिवार्यता को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है लेकिन घरेलू खिलौना उत्पादकों के लिए सफर बहुत दुष्कर है.
अमित सुंद्रा, 49 वर्ष
निदेशक, राम चंदर ऐंड संस, दिल्ली
दिल्ली के कनॉट प्लेस में अमित सुंद्रा की खिलौनों की दुकान एक संस्था है. सुंद्रा कहते हैं, करीब 1935 से राम चंदर ऐंड संस ने इतना खराब समय कभी नहीं देखा था जब घंटों एक भी ग्राहक नहीं आता हो. बिक्री में महीनों की गिरावट के बाद सुंद्रा अब बिक्री बढ़ाने का तरीका पता लगा रहे हैं.
लॉकडाउन हटने के बाद हालत सुधरते दिख रहे हैं. सुंद्रा अपने नियमित ग्राहकों को व्हाट्सऐप पर निजी तौर पर आकर्षक प्रस्ताव भेज रहे हैं. वे कहते हैं, ''प्रत्येक बिक्री मायने रखती है. ढीलापन दिखाने का अब समय नहीं है.’’ उनकी करीब 60 प्रतिशत बिक्री अब ऑनलाइन होती है. उन्हें बिक्री में वृद्धि की उम्मीद है. उनका कहना है कि 2020 का साल भुलाना ही होगा.
क्षेत्र का कुल आकार
12,863 करोड़ रु.
(10 प्रतिशत संगठित और 90 प्रतिशत असंगठित)
रोजगार
उपलब्ध नहीं
जीडीपी में हिस्सेदारी
0.06%

