scorecardresearch

आवरण कथाः आसमानी चुनौती

महामारी के बाद इस महत्वपूर्ण उद्योग का उठ खड़े होना भारत की संपूर्ण आर्थिक वृद्धि के के लिहाज से काफी अहमितय रखेगा.

सब जमीन पर जंगबीर सिंह दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कार्गो पर
सब जमीन पर जंगबीर सिंह दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कार्गो पर
अपडेटेड 3 अक्टूबर , 2020

वायु परिवहन सेक्टर भारत के उड्डयन उद्योग का फलता-फूलता क्षेत्र रहा है. इसके यात्रियों की संख्या में वृद्धि लगातार चार वर्षों से दो अंकों में बनी रही जो औसतन 12.9. प्रतिशत रही है. जनवरी 2019 में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आइएटीए) ने पूर्वानुमान जाहिर किया था कि 2025 तक भारत इस क्षेत्र में यूके को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा. यह अध्ययन सामान्य स्थितियों के हिसाब से किया गया था, आपदा की कल्पना भी नहीं की गई थी.

दुनिया भर में कोविड की महामारी के पैर पसारने के कारण सभी देशों को अपना हवाई क्षेत्र और यात्री विमान सेवाओं को मजबूरन बंद करना पड़ा. कोविड की महामारी में नागरिक उड्डयन सबसे बड़ी मार झेलनी पड़ी है. वैश्विक स्तर पर इस साल 6.17 लाख करोड़ रु. का नुक्सान हुआ है. भारत में तालाबंदी ने इस सेक्टर को रसातल में पहुंचा दिया. देश की दो सबसे बड़ी व्यावसायिक एयरलाइनों इंडिगो और स्पाइसजेट, जिनका बाजार में हिस्सा क्रमश: 60 प्रतिशत और 13 प्रतिशत रहा है, को अप्रैल-जून की तिमाही में क्रमश: 2,844 करोड़ रु. और 593 करोड़ रु. का नुक्सान हुआ है. इन दोनों एयरलाइनों ने पिछले साल इसी तिमाही में क्रमश: 1,203 करोड़ रु. और 262 करोड़ रु. का मुनाफा दिखाया था.

जहां नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अभी तक शुरू नहीं हो पाई हैं, वहीं घरेलू हवाई यात्रा की मांग में भारी गिरावट आई है—पिछले साल जुलाई के मुकाबले 82 प्रतिशत. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने मई के अंत में घरेलू यात्रियों की संख्या में मामूली वृद्धि दर्ज की है. जुलाई में उससे पिछले महीने के मुकाबले यात्री आवाजाही में मात्र 6 प्रतिशत की वृद्धि.

अगले कुछ महीने तक यात्रियों की संक्चया में वृद्धि एक अंक में ही बनी रहने का अनुमान है क्योंकि कोविड का डर बरकरार है और लोग अभी गैर-जरूरी यात्रा से बचना चाहते हैं. अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने के लिए नागरिक उड्डयन के सेक्टर का दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होना बहुत जरूरी है. उदाहरण के लिए अगर विदेशी पर्यटक भारत आते हैं तो उससे देश के व्यापारियों का व्यापार बढ़ेगा और वे दुनिया भर में अपने सामान का कारोबार कर सकेंगे.

2019 की आइएटीए रिपोर्ट कहती है कि विदेशी पर्यटकों के पैसों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बहुत ताकत मिलती है और करीब 43 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार मिलता है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हवाई परिवहन उद्योग ने अनुमानित तौर पर 10.4 अरब डॉलर (76,649 करोड़ रु.) के सकल मूल्य वर्धन के साथ देश के जीडीपी में अपना योगदान दिया है.

एयरलाइन ऑपरेटर उद्योग को मौजूदा संकट से बाहर निकालने के लिए कई तरह के कदम की मांग कर रहे हैं, जैसे एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) को जीएसटी के तहत लाना, एटीएफ पर 11 प्रतिशत की एक्साइज ड्यूटी को खत्म करना और एटीएफ की कीमतों को पाक्षिक आधार पर तय करना, न कि मासिक आधार पर. इसके अलावा वे टैक्स और अन्य वैधानिक देनदारियों को छह महीने टालने, सेक्टर के लिए कम से कम 11,000 करोड़ रु. का ब्याज-मुक्त कर्ज मुहैया कराना और बैंकों व वित्तीय संस्थानों को कर्ज की अदायगी में छह महीने की छूट देने की मांग कर रहे हैं. 

''अंतरराष्ट्रीय उड़ानें अभी इतनी सीमित हैं कि सेक्टर के उबरने के लिहाज से उन्हें ऊंट के मुंह में जीरा कहा जा सकता है’’

केस स्टडी
जंगबीर सिंह, 50 वर्ष
डायरेक्टर, सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया, नई दिल्ली

 सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज ने पाया कि भारतीय हवाई अड्डों पर प्रति दिन करीब 400 अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या लॉकडाउन के दौरान घटकर 10 रह गई थी. तुर्की की ये कंपनी दशक भर पहले भारत आई और जल्दी ही सात हवाई अड्डों पर वह ग्राउंड हैंडलिंग करने लगी. महामारी से विमान सेवाएं ठप होने के कारण एयरलाइनों की कार्यपूंजी का प्रवाह थम गया.

सेलेबी को 8,000 कर्मचारियों को चार महीने तक वेतन देना पड़ा. आखिर एयरलाइनों से बकाया भुगतान मिलने के बाद कंपनी को जैसे जीवनदान मिला. लेकिन नियमित उड़ानें शुरू न होने से अनिश्चितता बनी हुई है. आशा की एकमात्र किरण यही है कि कार्गो सेवा लॉकडाउन में भी जारी रही है. सेलेबी ने खर्चों में कटौती की है और कार्गो की आय से यात्री कारोबार को मदद देने की बात सोच रही है.

क्षेत्र का कुल आकार 
2,57 लाख करोड़ रु.

रोजगार 13.4 लाख

जीडीपी में हिस्सेदारी 1.2%

Advertisement
Advertisement