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चंदा कोचरः चंदा की मंद पड़ी चांदनी

आखिर में सब कुछ पैसे पर आकर टिक जाता है. जब आप किसी बैंक के मुखिया होते हैं तो आपके हर कदम की निगरानी होती है. साथ ही, फिर चाहे आप सिस्टम से खेलने वाले एयरलाइंस का बिजनेस चलाते हों या हीरे का कारोबार करते हों

चंद्रदीप कुमार
चंद्रदीप कुमार

वे फोर्ब्स और फार्चून में सबसे सशक्त महिलाओं की सूची में लगातार बनी रही हैं, पद्मभूषण पुरस्कार से सुशोभित हो चुकी हैं, भारत में रिटेल बैंकिंग क्रांति की प्रणेता रही हैं, उनकी हैसियत एक स्टार सीईओ की रही है और वे केवल बैंकिंग के क्षेत्र के लिए ही नहीं बल्कि महिलाओं के लिए एक आदर्श हस्ती रही हैं. अभी हाल तक वे आइसीआइसीआइ बैंक की पूर्व एमडी-सीईओ और एक बेदाग महिला थीं.

तभी एक शेयरधारक का पत्र प्रधानमंत्री, आरबीआइ और सेबी के पास पहुंचा. अरविंद गुप्ता के पास वीडियोकॉन और आइसीआइसीआइ, दोनों के शेयर थे, उन्होंने वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और आइसीआइसी की एमडी पर एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया. बताया जाता है कि धूत ने आइसीआइसीआइ बैंक से 3,250 करोड़ रु. के कर्ज के बदले में कोचर के पति दीपक की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी "नूपावर'' में अपना पैसा लगाया था. नूपावर में कई तरह के लेनदेन की जांच की जा रही है, जिनमें धूत से 64 करोड़ रु. का कर्ज, कई इकाइयों का गठन, और वीडियोकॉन को कर्ज मिलने के छह महीने बाद धूत के स्वामित्व वाले सभी शेयरों का कोचर को तबादला शामिल है.

इनके अलावा दीपक के भाई राजीव की फर्म अविस्ता एडवाइजरी ग्रुप की भी जांच की जा रही है जो आइसीआइसीआइ के ग्राहकों को सलाह देने का काम करती थी. चंदा ने इस साल 4 अक्तूबर को आइसीआइसीआइ और उसकी सहायक कंपनियों से इस्तीफा दे दिया. बैंक ने शुरू में किसी तरह की अनियमितता से इनकार करते हुए उनका बचाव किया था. लेकिन सीबीआइ ने फरवरी 2018 में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की और सेबी ने लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन करने के लिए उन्हें और बैंक को कारण बताओ नोटिस भेजा था. 28 मई को बैंक ने दोबारा उन पर भरोसा जताते हुए एक बयान जारी किया था. लेकिन अगले ही दिन वे सुप्रीम कोर्ट के अवकाशप्राप्त जज बी.एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक निष्पक्ष जांच पूरी होने तक छुट्टी पर चली गईं. फिर चार महीने बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

जोधपुर से कॉमर्स की ग्रेजुएट चंदा ने आइसीआइसीआइ में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर नौकरी शुरू की और तरक्की करते हुए  एमडी और फिर सीईओ के पद तक पहुंच गईं. उन्होंने उस वक्त जिम्मेदारी संभाली थी जब बैंक के मुनाफे में 1,000 करोड़ रु. से ज्यादा की कमी दर्ज की गई थी. उन्होंने 4 सी—कॉस्ट, क्रेडिट, सीएएसए (करेंट एकाउंट और सेविंग एकाउंट) रेशियो और कैपिटल—की रणनीति बनाकर परिसंपत्ति के मामले में अपने बैंक को देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बना दिया. उन्होंने सबसे बड़ी गिरावट के दौर से बैंक को उबारा. लेकिन अब वे अपने जीवन में गिरावट के इस दौर से खुद को कैसे उबारती हैं, यह देखने वाली बात होगी.

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