पटना: लव अफेयर में सबसे ज्यादा मर्डर वाला शहर! क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
बिहार में साल 2022 में प्रेम संबंधों (171) और अवैध संबंधों (132) के कारण 300 से ज्यादा हत्याएं हुईं हैं

एक समय था कि लोग प्यार में जीने-मरने की कसमें खाते थे. प्यार में अब भी आशिकों का परवान कुछ कम नहीं हुआ है. कोई लाल किले की दीवारों पर अपनी प्रेमिका का नाम उकेर देता है तो कोई 'फलक से चांद तोड़कर' लाने जैसे गानों को हकीकत में तब्दील करने के ख्वाब देखता है.
लेकिन NCRB के आंकड़ों को देखें तो लगता है कि बिहार की राजधानी पटना में प्यार करना जरा मुश्किल और रिस्की हो गया है. यहां लव अफेयर के मामलों में हत्याएं कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े?
बिहार में पिछले साल यानी 2022 में प्रेम संबंधों (171) और अवैध संबंधों (132) के कारण 300 से ज्यादा हत्याएं हुई हैं. हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2022 में होने वाली कुल हत्याओं में 11 प्रतिशत 'पैशन मर्डर' (गुस्से या ईर्ष्या में होने वाली हत्याएं) हैं.
लव अफेयर्स पर हत्याओं के मामले में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है. यूपी में पिछले साल ऐसे 253 मामले दर्ज किए गए थे. जाहिर तौर पर सामाजिक प्रगति हुई है, लेकिन लव अफेयर्स में होने वाली हत्याओं ने बॉलीवुड के उस पुराने डायलॉग की याद दिला दी है- 'वो मेरी नहीं तो किसी की नहीं हो सकती'.
चिंता की बात ये है कि आंकड़े कई सालों से स्थिर बने हुए हैं. 2021 में, बिहार में प्रेम संबंधों के कारण 174 और अवैध संबंधों के कारण 106 हत्याएं दर्ज की गईं थीं. 2022 में प्रेम संबंधों से जुड़ी हत्याओं में थोड़ी गिरावट आई, लेकिन अवैध संबंधों में हत्याओं की संख्या 106 से बढ़कर 132 हो गई. 2022 में बिहार में 2,930 हत्याएं दर्ज हुईं, जिसमें 10 प्रतिशत से ज्यादा प्रेम और अवैध संबंधों के चलते हुईं.
पटना क्यों सवालों में?
यदि डेटा को शहर-वार (20 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर) देखा जाए, तो 2022 में 19 महानगरीय शहरों में से बिहार की राजधानी पटना प्रेम संबंधों के चलते हुई हत्याओं के मामले में सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर रहा. वहां ऐसी 26 हत्याएं दर्ज की गईं. इसके बाद दूसरे नंबर पर दिल्ली रहा, जहां इस तरह के 16 मर्डर हुए.
क्या बोल रहे एक्सपर्ट?
पटना सिविल कोर्ट के वकील केडी मिश्रा इंडिया टुडे से बातचीत में कहते हैं कि इस तरह के अपराध लिंग-आधारित धारणाओं से उत्पन्न होते हैं और पुरुष भी इसके शिकार होते हैं. वे कहते हैं, "ये मानसिकता का मुद्दा है. ऐसे उदाहरण हैं कि पुरुष 'ना' नहीं सुनना चाहते या महिलाएं टॉक्सिक रिलेशन से बाहर निकलने के लिए तैयार नहीं होतीं. उदार (लिबरल) समाज के उलट, पितृसत्तात्मक भावना वाले समाज में लोग खराब रिश्ते में भी फंसे रह जाते हैं. अंत में इन रिश्तों के परिणाम अच्छे नहीं रहते."
पटना विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र पढ़ाने वाले प्रोफेसर ज्ञानेंद्र यादव इन मामलों को मौजूदा सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों और मनोवैज्ञानिक अपरिपक्वता दोनों का संकेत मानते हैं. वे कहते हैं कि हालांकि समाज परिवर्तन के दौर में है, फिर भी लड़कियों में मदद मांगने और खतरा महसूस होने पर पुलिस तक पहुंचने के बारे में जागरूकता की कमी है. प्रोफेसर ज्ञानेंद्र के मुताबिक, "लड़की या उसके माता-पिता को लगता है कि ऐसे मामलों में शिकायत करने से उनके अपने परिवार पर भी कलंक लग सकता है. इससे स्टॉकर्स या युवाओं को बढ़ावा मिलता है."
हालांकि सच्चाई ये है कि लव अफेयर्स या ऑनर किलिंग के चलते हत्या के मामले भारत में नए नहीं है. इसकी जड़ें भारतीय समाज में काफी गहरी हैं और एक्सपर्ट्स का मानना है कि कानून अकेला इससे नहीं लड़ सकता. समाज को अपनी भूमिका को स्वीकारनी होगा.