ओडिशा का कलिंगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, खेल इंफ्रास्ट्रक्चर में क्यों बन रहा मिसाल?
ओडिशा ने अपने 2 स्टेडियम- भुवनेश्वर के कलिंगा और राउरकेला के बिरसा मुंडा स्टेडियम में हॉकी विश्व कप 2023 होस्ट किया और 2026 में फीफा विश्व कप के क्वालिफायर मैच होस्ट करने जा रहा है

भारत 2036 में ओलंपिक होस्ट बनने की दावेदारी पेश कर रहा है, लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी कुछ है तो विश्व स्तरीय स्टेडियम और खेल इंफ्रास्ट्रक्चर. खेल इंस्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में भारत का एक राज्य ओडिशा बीते कुछ वक्त में मिसाल बनता दिख रहा है.
2023 में ओडिशा ने अपने 2 स्टेडियम- भुवनेश्वर के कलिंगा और राउरकेला के बिरसा मुंडा स्टेडियम में हॉकी विश्व कप होस्ट किया और 2026 में फीफा विश्व कप के क्वालिफायर मैच होस्ट करने जा रहा है.
लेकिन कलिंगा स्टेडियम एक बार फिर सुर्खियों में है. इसकी वजह है कि ओडिशा सरकार के खेल और युवा सर्विस डिपार्टमेंट ने दो बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं :
स्पोर्ट्स साइंस सेंटर- कलिंगा परिसर में बना स्पोर्ट्स साइंस सेंटर देश में इस तरह की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स फेसेलिटी है. इसका संचालन अभिनव बिंद्रा टारगेटिंग परफॉर्मेंस (ABTP) करता है, जिसमें स्पोर्ट्स साइंस और तकनीक के जरिए पैरा-एथलीट्स और अन्य प्रोफेशनल्स को फिजियोथेरेपी के साथ-साथ रिकवरी की सुविधाएं मिलती हैं.
इनडोर एथलेटिक्स सेंटर- ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा उद्घाटन के लिए तैयार इनडोर एथलेटिक्स सेंटर, भारत में पहला और दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा इनडोर एथलेटिक्स सेंटर है. इसमें 2,000 लोगों के बैठने की गैलरी के साथ 200 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक है. 80 मीटर प्लस 20 मीटर रनिंग ट्रैक और पोल वॉल्ट, शॉट पुट, लॉन्ग और हाई जंप, एक वेट ट्रेनिंग सेंटर, खिलाड़ियों के रहने की व्यवस्था, 60 ट्विन-शेयरिंग रूम और लाउंज की सुविधाएं हैं.
सेंटर को वर्ल्ड एथलेटिक्स से प्रतिष्ठित केटेगिरी 1 का सर्टिफिकेशन मिल चुका है. इस सर्टिफिकेशन के बाद इसके लिए प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी करना आसान हो जाएगा. इससे भारत में एथलेटिक्स को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. देखिए इन दो अत्याधुनिक खेल सेंटर्स के अंदर की खास चीजें.
भारत का 'सबसे बड़ा' ट्रेडमिल
इस सेंटर के अंदर वैलेंट अल्ट्रा 450 ट्रेडमिल लगा है. 450x300 सेमी (लगभग 15x10 फीट) के साइज के साथ इसे देश का सबसे बड़ा ट्रेडमिल भी कहा जा रहा है. इसमें नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों तरह के एलिवेशन की सुविधाएं हैं और यह 40 किमी प्रति घंटे तक की गति से काम कर सकता है. एक बार में ये 225 किलो मानव वजन झेल सकता है. ट्रेडमिल फॉल स्टॉप और इमरजेंसी स्टॉप बटन जैसी सुरक्षात्मक चीजों से लैस है.
एल्टीट्यूड ट्रेनिंग चेंबर
यहां स्पोर्ट्स साइंस सेंटर में एक एल्टीट्यूड ट्रेनिंग चेंबर है, जिसमें ऊंचाई पर ट्रेनिंग के लिए जरूरी उपकरण मौजूद है. इस सिस्टम का उपयोग वैश्विक स्तर के सैन्य समूह ट्रेनिंग और ऊंचाई वाले इलाकों में रहने के लिए करते हैं. इसका उद्देश्य उन एथलीट्स को ट्रेनिंग देना है जो ऊंचाई वाले (पहाड़ों में) खेलों या गतिविधियों से जुड़े हुए हैं. इसमें जलवायु और ऑक्सीजन का स्तर, दोनों के अनुसार ट्रेन किया जाता है, ताकि ऊंचाई पर जाकर किसी तरह की समस्या न हो.
ड्रीमपॉड्स
इस सेंटर में ड्रीमपॉड्स सेंसरी डेपरीवेशन फ्लोट टैंक लगे हुए हैं. ये एथलीट्स के प्रदर्शन सुधारने और खासकर रिकवरी में मदद करते हैं. आमतौर पर ये पश्चिमी देशों में प्रयोग किए जाते हैं. ड्रीमपॉड फ्लोट टैंक खेल की चोटों से उबरने में काफी मदद कर सकता है.
फ्लोट टैंक में एप्सम सॉल्ट (मैग्नीशियम सल्फेट) होता है, जिससे एथलीट बिना वजन महसूस किए आराम कर सकते हैं. इससे मांसपेशियों की रिकवरी में मदद मिलती है. इसकी सॉल्ट वॉटर थेरेपी रक्तप्रवाह में लैक्टिक एसिड को कम करती है, जिससे रिकवरी का समय तेज हो जाता है और एंडोर्फिन रिलीज होता है जिससे दर्द से राहत मिलती है.
क्रायो चैंबर
क्रायोथेरेपी चैंबर एक सिलेंडर के आकार की मशीन होती है. इसे धरती पर सबसे ठंडी चीजों में से एक कह सकते हैं. इसके अंदर का तापमान -140 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. क्रायोथेरेपी एथलीट्स को दिमाग और शरीर को संतुलित करके बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है.
इनके अलावा, कलिंगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बैडमिंटन इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार होने जा रहा है. इसमें 500 लोगों के बैठने की क्षमता वाले आठ बैडमिंटन कोर्ट, कैफेटेरिया, गेस्ट रूम और एक जिम होगा.