बड़े धोखे हैं इस सादगी में?

आरोप है कि पांडे की फर्म आइसेक ने कर्मचारियों की जासूसी करने के एवज में 4.45 करोड़ रु. लिए थे

शिकंजा : चित्रा रामकृष्ण मार्च में सीबीआइ मुख्यालय में (बाएं) और संजय पांडे दिल्ली के ईडी दफ्तर में 19 जुलाई को
शिकंजा : चित्रा रामकृष्ण मार्च में सीबीआइ मुख्यालय में (बाएं) और संजय पांडे दिल्ली के ईडी दफ्तर में 19 जुलाई को

जब महाराष्ट्र के तत्कालीन कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडे ने दिसंबर, 2021 में एक अवैध फोन-टैपिंग मामले में साथी आइपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की, तब उन्हें इस बात का बहुत कम अंदेशा रहा होगा कि किसी रोज खुद वे ऐसे ही आरोप में जेल चले जाएंगे. प्रवर्तन निदेशालय ने 19 जुलाई को पांडे को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के कर्मचारियों की कथित अवैध जासूसी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, जिसे संभावित रूप से एक बड़े घोटाले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. पांडे कुछ दिन पहले मुंबई के पुलिस आयुक्त के पद से 'बेदाग' करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए थे.

आरोपों की जड़ में आइसेक सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड है. यह एक सुरक्षा ऑडिट फर्म है जिसे 2001 में पांडे ने शुरू किया था. सीबीआइ का दावा है कि एनएसई की तत्कालीन प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण और वाइस चेयरमैन रवि नारायण ने यह पता लगाने के लिए कि क्या उनके कर्मचारी, एक्सचेंज से जुड़ी जानकारी लीक कर रहे थे, 2009 और 2017 के बीच जासूसी कराने के लिए आइसेक की सेवाएं ली थीं. फर्म ने कथित तौर पर अनुबंध राशि के रूप में लगभग 4.45 करोड़ रुपए प्राप्त किए थे. इसी दौरान एनएसई में को-लोकेशन घोटाला भी हुआ था.

को-लोकेशन में कुछ आइटी उपकरणों को स्थापित करके सूचनाओं से संबंधित हेर-फेर कराया जाता है. यह घोटाला रामकृष्ण और नारायण के कथित अनुचित व्यवहार से संबंधित है, जिसमें उन्होंने बेहतर हार्डवेयर की मदद से एल्गोरिद्म ट्रेडिंग में लगे कुछ दलालों को फास्ट को-लोकेशन की सुविधा प्रदान की थी. इससे दलालों को अनुचित फायदा मिला, और उन्हें भारी व्यापारिक लाभ हुआ. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पाया है कि एनएसई की को-लोकेशन सुविधा में कम से कम 15 स्टॉक ब्रोकरों को इस तरह की तरजीही पहुंच दी गई थी.

2019 में, सेबी ने एनएसई को 624.89 करोड़ रुपए लौटाने का निर्देश दिया और इसे फंड के लिए बाजार का रुख करने से छह महीने के लिए रोक लगा दी. इसने रामकृष्ण और नारायण को इस अवधि के दौरान अपने वेतन का 25 प्रतिशत वापस करने को भी कहा और उनके पांच साल तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार से जुड़े संस्थान के साथ जुड़ाव पर प्रतिबंध लगा दिया. 2015-16 में धीरे-धीरे घोटाले का पर्दाफाश होने लगा तो रामकृष्ण और नारायण दोनों ने इस्तीफा दे दिया था.

घोटाले की जांच के दौरान, सीबीआइ ने दावा किया है कि उसने आइसेक को हुए भुगतान की रसीदें, रिकॉर्डिंग, आवाज के नमूने और रिकॉर्डिंग के मूल प्रतिलेख (ट्रांसक्रिप्ट्स) बरामद किए हैं. आइसेक के परिसर से दो लैपटॉप बरामद किए गए. फोन टैपिंग के साक्ष्य चार एमटीएनएल लाइनों पर पाए गए, जिनमें प्रत्येक लाइन से एक बार में 30 कॉलों को समायोजित किया जाता था. एजेंसी ने संजय पांडे के आवास सहित मुंबई, पुणे, कोटा, लखनऊ और दिल्ली-एनसीआर में 18 परिसरों पर छापेमारी की थी. 

ईडी ने भी रामकृष्ण, नारायण और पांडे के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. एजेंसी ने 13 जुलाई को रामकृष्ण को गिरफ्तार किया था. 

आइआइटी कानपुर से स्नातक संजय पांडेय की छवि एक सादगी पसंद, ईमानदार और संवेदनशील अधिकारी की थी. नौकरी छोड़कर 2001 में आइसेक सर्विसेज नाम से एक कंपनी शुरू की. लंबे समय बाद, 2011 में वे फिर से पुलिस बल में शामिल हो गए.

पांडे ने 2020 में महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को एक ऐसी रिपोर्ट भेजी थी जिसने सनसनी मचा दी थी. उनकी रिपोर्ट में कहा गया था कि एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी की भगोड़े सरगना दाऊद इब्राहिम के साथ मिलीभगत है. इससे प्रभावित होकर, उद्धव ने उन्हें संघ लोक सेवा आयोग से अनिवार्य अनुमोदन के बिना ही, अप्रैल 2021 में कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त कर दिया. अपने 10 महीने के कार्यकाल के दौरान, पांडे ने आइपीएस अधिकारियों रश्मि शुक्ला और परमबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई को मंजूरी दी. अपने मंत्रियों के कथित भ्रष्टाचार का ब्योरा लीक करने के कारण दोनों उद्धव के निशाने पर थे. उद्धव ने फरवरी 2022 में पांडे को मुंबई का पुलिस आयुक्त बनाया.

उनकी निगरानी में, भाजपा नेताओं नितेश राणे और मोहित भारतीय के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए और निर्दलीय विधायक रवि राणा और उनकी सांसद पत्नी नवनीत को सीएम आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. पांडे खुद को बहुत सादगीपसंद अधिकारी के रूप में दर्शाने की कोशिश करते थे. वे लोकल ट्रेन से ऑफिस जाते थे. वे ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में गिरफ्तार होने वाले पहले पुलिस आयुक्त भी हैं. पांडे कितने साधारण थे, इसका पता जांच में चल जाएगा.

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