चेहरा न होने से चुनाव नहीं जीत सकते, मैं ऐसा नहीं मानता: ओम प्रकाश माथुर

यूपी चुनाव की तैयारी को लेकर यूपी बीजेपी के प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से विशेष संवाददाता संतोष कुमार की खास बातचीत.

यूपी बीजेपी के प्रभारी ओम प्रकाश माथुर
यूपी बीजेपी के प्रभारी ओम प्रकाश माथुर

मोदी सरकार के कार्यकाल के सबसे बड़े चुनाव के लिए बीजेपी का सब कुछ दांव पर है. इसके लिए बीजेपी कितनी तैयार है, इस पर विशेष संवाददाता  संतोष कुमार ने यूपी बीजेपी के प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से बातचीत कीः

यूपी को लेकर बीजेपी कितनी तैयार है?
यूपी में सबसे बड़ी चुनौती 2014 के जनादेश को 2017 तक बरकरार रखना है. इसके लिए हमने सदस्यता से तैयारी शुरू की. दो करोड़ सदस्यता का लक्ष्य पूरा किया. इससे पहले प्रदेश में 35-40 लाख तक ही सदस्यता होती थी. कुल मिलाकर मिशन 265 प्लस हो, इस दृष्टि से हम पूरे संगठनात्मक, राजनैतिक और सामाजिक समीकरण के साथ आगे बढ़ रहे हैं.

यूपी में गठबंधन को लेकर आपकी क्या रणनीति है?
हमारी बातचीत सभी जगह चल रही है. हम चाहेंगे कि सभी छोटे दल हमारे साथ आएं. सिर्फ साथ आएं या फिर और क्या हो, इसको लेकर प्रयास जारी है. हम चाहेंगे कि मतों का विभाजन कम हो.

आप प्रभारी हैं और आप पहले निजी राय बता चुके हैं कि सीएम प्रोजेक्ट नहीं होना चाहिए, अब क्या सोच है आपकी?
हमारी पार्टी में किसी की निजी राय नहीं होती, सामूहिकता से निर्णय होते हैं. इस बारे में संसदीय बोर्ड तय करेगा और जब भी बोर्ड पूछेगा मैं अपनी बात कहूंगा. 

बिहार में पीएम मोदी का चेहरा रखा और उनकी धुंआधार रैलियां हुईं, क्या यूपी में भी उसे दोहराएंगे?
महाराष्ट्र, हरियाणा में चेहरा नहीं था, चुनाव जीते. इसलिए यह धारणा बना देना कि चेहरा नहीं होने से चुनाव नहीं जीत सकते या चेहरा होने से जीत सकते हैं, मैं यह सही नहीं मानता. यह पार्टी का अंदरूनी मामला होता है. लेकिन पीएम की बात है तो वे सिर्फ देश ही नहीं इस समय दुनिया का चेहरा हैं. दुनिया उनका मार्गदर्शन चाहती है. वे हमारे लोकप्रिय नेता हैं ही.

पर क्या यूपी में भी उनकी रैलियां बिहार की तरह ही होंगी?
मैंने बताया न कि कहीं का उदाहरण कहीं फिट नहीं होता. हर प्रदेश की अपनी राजनैतिक परिस्थितियां होती हैं.

कहा जाता है कि बीजेपी ध्रुवीकरण की रणनीति पर काम कर रही है, पार्टी आखिर किस मुद्दे पर आगे बढऩा चाहती है?
हमारा मुद्दा है केंद्र सरकार की ओर से किया गया विकास और प्रदेश की वर्तमान सरकार की विफलता, कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और एक शद्ब्रद में कहें तो वर्तमान सपा सरकार से प्रदेश का सामाजिक जीवन मुक्त होना चाहता है.

बार-बार आपके लोग ही बयान देते हैं जो भड़काऊ और ध्रुवीकरण की ओर इशारा करता है.
आप इसे हिंदुत्व से जोड़कर क्यों देखते हैं? किसी प्रांत में एक समाज दूसरे समाज की वजह से पलायन करता है तो यह ठीक है क्या? यूपी में कानून व्यवस्था की स्थिति ऐसी है कि सरेआम एसपी, मारा जाता है. सरकार कानून-व्यवस्था क्यों नहीं संभाल पा रही? इसलिए इसे हिंदुत्व के नजरिए से देखना सही नहीं है.

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