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छोटे उद्योगों से बड़ा लक्ष्य साधेंगे योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे प्रदेशों से यूपी लौट रहे मजदूरों और अन्य लोगों के लिए राज्य में ही रोजगार के अवसर प्रदान करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.

 अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
अपडेटेड 4 मई , 2020

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे प्रदेशों से यूपी लौट रहे मजदूरों और अन्य लोगों के लिए राज्य में ही रोजगार के अवसर प्रदान करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है. मुख्यमंत्री से निर्देश मिलने के बाद अधिकारी एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने में जुट गए हैं. योगी सरकार पहले चरण में पांच लाख लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के जरिए काम-धंधे में लगाने की तैयारी कर रही है. बाहर से यूपी आने वाले कुशल कामगारों को उनकी रुचि के हिसाब से ट्रेड का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा. कच्चे माल के लिए रॉ मटीरियल बैंक की स्थापना होगी. उनके उत्पाद के तुरंत भुगतान की व्यवस्था होगी और प्रोडक्ट डेवलपमेंट एवं मार्केटिंग के लिए एक अलग संस्था बनेगी.

लॉकडाउन लागू होते ही भारी उद्योग तो बंद हो गए थे और इनके मजदूरों का पलायन शुरू हो गया था. इसके बाद लघु मध्यम और सूक्ष्म उद्योग संचालकों ने योगी सरकार से बात की. सरकार ने इन उद्योगों के लिए कच्चा माल की व्यवस्था की. मजदूरों को इन्हीं छोटे उद्योगों में रुकने का इंतजाम किया गया. नतीजा यह हुआ कि लॉकडाउन का दूसरा फेज आते-आते प्रदेश में लघु उद्योगों की करीब चार हजार यूनिट चालू हो गईं. अब लॉकडाउन के तीसरे फेज में लघु उद्योगों को और विस्तार देने की योजना तैयार हो रही है.

मुख्यमंत्री के निर्देश मिलने के बाद प्रदेश में बंद पड़े लगभग ढाई लाख सूक्ष्म एवं कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवन देने की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है. पिछली सपा सरकार के कार्यकाल में ग्रामीण अंचलों में 100 से अधिक तरह के काम शुरू करने के लिये 10 लाख रुपये का लोन मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार योजना के तहत दिया गया था. खादी ग्रामोद्योग विभाग द्वारा संचालित इस योजना में सामान्य जाति के आवेदक को लाख रुपये तक के ऋण पर महज चार प्रतिशत ब्याज देय था. इससे ऊपर बैंक की जो भी ब्याज दर हो, उसमें अधिकतम दस फीसद तक का भुगतान बैंक शाखा को सीधे प्रदेश सरकार की ओर से करने की व्यवस्था थी. इस व्यवस्था के तहत चल रहे लगभग ढाई लाख सूक्ष्म एवं कुटीर उद्योग घोषित सुविधाओं के न मिलने से बंद हो गए.

एसोचैम के सदस्य संदीप सक्सेना का कहना है कि अगर इस व्यवस्था में शामिल उद्योगों को एक बार ‘बूस्ट डोज' दी जाए तो प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था में कुटीर एवं सूक्ष्म उद्यम अहम योगदान देगा. स्मॉल इंडस्ट्रीज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीमा) के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि मुंबई और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों से आने वाले प्रवासी श्रमिक स्किल्ड हैं. उनके पास कौशल के साथ अनुभव भी है. उनका प्रदेश में इस समय आना शुभ संकेत कहा जा सकता है. इन श्रमिकों की स्किल और अनुभव की जानकारी पर आधारित एक ‘डेटा शीट' जिलेवार तैयार की जानी चाहिए. यह डेटा शीट इनके लिए रोजगार नीति बनाने, चल रहे उद्यमों में उन्हें समायोजित करने या इनके स्वरोजगार की नीति बनाते वक्त काम आएगी. यह डेटा प्रदेश के लिए बहुमूल्य बौद्धिक एवं श्रम संपदा साबित होगी. इससे ग्राम एवं कस्बे स्तर तक आर्थिक गतिविधियों की गति बढ़ेगी.

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