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महिला लेखक: लिख रहीं तकदीर परदे पर

किस्सागोई के जरिये बॉलीवुड में पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में सेंध लगा रही महिला ब्रिगेड.

अपडेटेड 21 जुलाई , 2012

उनका अपना एक अलग जॉब है. वे घर चलाना भी बखूबी जानती हैं. कहानी लिखना उनकी मजबूरी नहीं है और उससे समझौता करना तो उन्हें कतई मंजूर नहीं. उनकी लिखी कहानियां बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही हैं. एक समय तक पुरुषों का वर्चस्व मानी जाने वाली बॉलीवुड फिल्म राइटिंग में भी महिलाएं अपना दबदबा बनाती नजर आ रही हैं. पिछले छह माह में हिट हुईं अग्निपथ, कहानी, जन्नत-2 और विकी डोनर जैसी फिल्मों की कहानियां इस महिला स्क्रिप्ट राइटर ब्रिगेड की ही देन हैं.

इसमें सबसे पहला नाम विकी डोनर की कहानीकार जूही चतुर्वेदी का आता है. उन्होंने एक चुटकुला सुनाया. यही चुटकुला एक हिट फिल्म में तब्दील हो गया. हुआ यूं कि उन्होंने अपना दो लाइन का आइडिया फिल्मकार शुजीत सरकार को सुनाया. वे इसे सुनकर खूब हंसे. उन्हें इन दो लाइनों में एक सफल फिल्म की झ्लक नजर आई.

शुजीत ने जूही को इसे डेवलप करने के लिए दो-तीन दिन का समय दिया और इस तरह विकी डोनर नाम की एक नई किस्म की फिल्म आई और दर्शकों के दिलोदिमाग पर छा गई. जूही कहती हैं, ''क्रिएटिविटी जेंडर की मुहताज नहीं होती.''Women writer

लखनऊ की रहने वाली जूही ने 12 साल पहले दिल्ली स्थित विज्ञापन जगत से जुड़ी कंपनी ऑगलिवी से कॅरियर की शुरुआत की थी. लखनऊ कॉलेज ऑफ आर्ट से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएट जूही मानती हैं, ''अभी इंडस्ट्री अच्छी स्टेज में है. अगर आप में टैलेंट है तो आपको चीजें हासिल भी हो रही हैं.'' वे अपने नए ढंग से कहानी लिखने का श्रेय विज्ञापन जगत और लखनऊ जैसे छोटे शहर की पृष्ठभूमि को देती हैं. शुजीत की शूबाइट के लिए डायलॉग लिख चुकीं जूही अब उनके साथ उनकी अगली फिल्म जाफना  पर काम कर रही हैं.

अगर हम साल की पहली सबसे बड़ी हिट मूवी पर नजर डालें तो महिला ब्रिगेड की ही एक और सदस्य का नाम हमारे सामने आता है. यह नाम है इला बेदी दत्ता, जिन्होंने करण मल्होत्रा के साथ मिलकर अग्निपथ का जादू दोबारा कायम किया.

उर्दू के मशहूर लेखक राजेंद्र सिंह बेदी की पोती और निर्देशक नरेंद्र बेदी की बेटी इला का मानना है, ''टीवी के कारण मैं एक सक्षम राइटर बन सकी हूं'' इला ने करण के साथ मिलकर फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखा था. वे इस बात से खासी उत्साहित हैं कि एक महिला ने इस तरह की जबरदस्त एक्शन फिल्म लिखी. वे कहती हैं, ''एक औरत का इस तरह की एक्शन फिल्म लिखना, वाकई मेरे लिए खुशी की बात है.''

इला ने 10 साल पहले लेखन में कदम रखा था और अरुणा ईरानी के टीवी सीरियल मेहंदी तेरे नाम की के साथ शुरुआत की. पिछले साल मई में टीवी जगत के साथ उनका जुड़ाव उस समय और गहरा हो गया जब उन्होंने ट्रायोलॉजी क्रिकॉज नाम से प्रोडक्शन हाउस शुरू किया और इन दिनों .जी टीवी पर उनका सीरियल हिटलर दीदी खूब चल रहा है. इसकी कहानी उन्होंने ही लिखी है. फिलहाल वे दो फिल्में लिख रही हैं. पहली, इंद्र कुमार और अशोक ठकेरिया की है जबकि पूजा शेट्टी के साथ वे एक खिलाड़ी की सच्ची कहानी पर काम कर रही हैं.

इस साल की एक और सरप्राइज हिट फिल्म कहानी अगर एक औरत के संघर्ष की दास्तान है तो इसे लिखने वाली भी एक औरत ही है. इसकी कहानी बेस्टसेलिंग बुक आलमोस्ट सिंगल की लेखिका अद्वैता काला ने लिखी है. हालांकि कहानी का आइडिया फिल्म के निर्देशक सुजॉय घोष का था पर इसे शक्ल दी अद्वैता ने.

अद्वैता दिल्ली के शंग्रीला होटल में कम्युनिकेशन डायरेक्टर के तौर पर काम करती हैं. नौ से छह की अपनी इस नौकरी के अलावा वे पूरी तरह से लेखन को समर्पित हैं. वे कहती हैं, ''मुझे काम मांगना पसंद नहीं है. समझौता करना भी पसंद नहीं है. मुझे मंथली सेलरी किसी से मांगनी नहीं पड़ती. एक सच्चा कलाकार बनने का सही रास्ता यही है कि आपके पास एक नौकरी होनी चाहिए.''

कहानी से पहले अनजाना अनजानी की स्टोरी लिखने वाली अद्वैता इन दिनों कहानी को उपन्यास की शक्ल देने में लगी हैं. यही नहीं, वे एक टीवी सीरियल भी लिख रही हैं हालांकि उसके कोई भी डीटेल देने से वे कन्नी काट जाती हैं. बॉलीवुड में कहानी लेखन में महिला ब्रिगेड के बढ़ते दखल पर अद्वैता कहती हैं, ''वाकई चीजें बदल रही हैं. मेल डामिनेटेड फील्ड में आगे आना सुखद अनुभव है.''

लंबे समय तक थिएटर करने के बाद कल्पना लाजिमी के साथ दरमियान फिल्म से बॉलीवुड में दस्तक देने वाली उर्मी जुवेकर ने शंघाई के साथ एक नए किस्म के भारत को दर्शकों के सामने पेश किया. फिल्म के बारे में वे बताती हैं, ''हमने रिवेंज नहीं बल्कि जस्टिस की फिल्म बनाई है. हम सिर्फ पॉजिटिव टाइप की फिल्म करना चाहते थे.'' बेशक ओए लकी! लकी ओए  के साथ बॉलीवुड में अपनी एक पहचान कायम कर चुकीं उर्मी घूमने-फिरने का शौक रखती हैं और उनका मानना है कि इस तरह उन्हें असली भारत और उसके नए-नए पात्रों से दो-चार होने का मौका मिलता है. वे डॉक्युमेंट्री के क्षेत्र में भी हाथ आजमा चुकी हैं. शंघाई के बाद वे इन दिनों दिबाकर बनर्जी के साथ मिलकर डिटेक्टिव स्टोरी पर काम कर रही हैं. इस फिल्म को व्योमकव्श बख्शी की कहानी पर आधारित बताया जा रहा है.

इस महिला ब्रिगेड में एक दिलचस्प नाम आयशा देवित्रे का है. वे पेशे से हेयरस्टाइलिस्ट हैं और उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम जाने तू... से इमरान खान की हेयरस्टाइलिस्ट के तौर पर रखा था. सेट पर वे अक्सर सबको अपने किस्से-कहानियां सुनाया करती थीं. एक दिन फिल्म के सेकंड असिस्टेंट डायरेक्टर शकुन बतरा ने उनसे कहा कि इतना अच्छा बोलती हो तो लिखती क्यों नहीं. बस इसी के साथ लिखना शुरू किया और फिर एक दिन वे शकुन के साथ करण जौहर के पास पहुंचीं.

स्क्रिप्ट अंग्रेजी में थी, करण ने उसे हिंदी में लिखने के लिए कहा. अब अहम भूमिका शकुन ने निभाई. कहानी उन्हें पसंद आई और इस तरह एक मैं और एक तू के साथ एक युवा लेखिका का बॉलीवुड में पदार्पण हुआ. खास यह कि फिल्म की हीरोइन करीना कपूर भी फिल्म में हेयर स्टाइलिस्ट बनी हैं.

आयशा बताती हैं, ''अब शकुन के साथ अपनी एक और फिल्म लिख रही हूं. एक दो आयडियाज हैं. लेकिन थोड़ा समय लगेगा.'' पारसी परिवार की आयशा बहुत अच्छी हिंदी लिखना नहीं जानतीं लेकिन ठीक-ठाक बोल लेती हैं. वैसे भी उनकी पूरी पर्सनेलिटी की झ्लक उनके आधुनिक किरदारों से मिल ही जाती है.

आने वाले छह माह पर नजर डालें तो इसमें दो ऐसी लेखिका उभर कर आती हैं, जो सिर्फ कहानियां ही नहीं लिख रही हैं बल्कि फिल्म का निर्देशन भी कर रही हैं. गौरी शिंदे इंग्लिश विंग्लिश और रीमा काग्टी तलाश. गौरी शिंदे फिल्म इंग्लिश विंग्लिश के साथ बॉलीवुड में कदम रखने जा रही हैं. ऐड मेकर गौरी ने कुछ समय पहले एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई थी जो बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गई थी. कविताओं और कहानियों के साथ शुरुआत करने वाली गौरी लिटरेचर में एमए हैं और न्यूयॉर्क से फिल्म मेकिंग का कोर्स चुकी हैं. लेखन में महिलाओं के बढ़ते दखल पर वे कहती हैं, ''माना जाता है कि एक औरत वूमन ओरिएंटेड फिल्म ही बनाएगी. यह सही नहीं है. कई टैलेंटेड औरतें इस सोच को बदल रही हैं.'' इस सोच को बदलने का बेहतरीन काम रीमा काग्टी करती नजर आती हैं. उन्होंने हनीमून ट्रैवल्स प्रा. लि. के साथ करियर की शुरुआत की थी. फिल्म की कहानी उन्होंने ही लिखी थी और निर्देशन भी उनका ही था. उनकी सस्पेंस ड्रामा तलाश  इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से है. फिल्म में मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान हैं. बेशक इस कड़ी में शगुफ्ता रफीक (जन्नत-2) और अनु मेनन और रीटा भाटिया (लंदन पेरिस न्यूयॉर्क) का भी नाम आता है.

यह बॉलीवुड का नया चेहरा है, जिसमें घर चलाने के साथ-साथ महिलाएं नए अंदाज में कहानियां कह रही हैं, उनकी सेक्सुअलिटी का नजरिया एकदम अलग किस्म का है, उनके पात्र दिल के काफी करीब और अपने आसपास के ही लगते हैं. इस पर जूही कहती हैं, ''वूमन राइटर पहले भी हुआ करती थीं, लेकिन अब उन्हें वह क्रेडिट  मिल रहा है, जो उनका हक था.''

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