फिल्म निर्माता सुभाष घई के मीडिया इंस्टीट्यूट को गोरेगांव (ईस्ट) में जमीन हस्तांतरण करने के मामले में बॉम्बे हाइकोर्ट की फटकार की वजह से विलासराव देशमुख एक नए विवाद में फंस गए हैं.
अमेरिका में पढ़े-लिखे उनके आर्किटेक्ट पुत्र रितेश ने 2002 में जब ऐक्टर बनने की इच्छा जताई, तो विज्ञान और तकनीकी मंत्री विलासराव देशमुख ने हामी भर दी. लेकिन 10 साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री अपने फैसले पर पछता रहे होंगे.
फरवरी
8 फरवरी 2012: तस्वीरों में इंडिया टुडे
1 फरवरी 2012: तस्वीरों में इंडिया टुडे
प्रोड्यूसर सुभाष घई की कंपनी मुक्ता आर्ट्स के फिल्म ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट-विस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल को बनाने के लिए 20 एकड़ जमीन देने के मामले में अनियमितताओं के लिए 9 फरवरी को बॉम्बे हाइकोर्ट ने देशमुख को आरोपी ठहराया. मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और उनके कनिष्ठ गिरीश गोडबोले ने विस्लिंग वुड्स को निर्देश दिया कि वह मुंबई के गोरेगांव (ईस्ट) में 14.5 एकड़ खाली जमीन तुरंत लौटाए और बाकी जिस 5.5 एकड़ जमीन पर स्टुडियो और बिल्डिंग खड़ी हुई है, उसे 31 जुलाई, 2014 तक खाली कर दे.
हाइकोर्ट ने मुक्ता आर्ट्स को यह भी निर्देश दिया कि वह 24 अक्तूबर, 2000 से, यानी जिस तिथि से महाराष्ट्र फिल्म, स्टेज ऐंड कल्चरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के साथ उनका संयुक्त उपक्रम शुरू हुआ है, 5 करोड़ 30 लाख रु. का सालाना किराया राज्य सरकार को अदा करे. देशमुख का दोष यह है कि उन्होंने संस्कृति मंत्री अशोक चव्हाण की ओर से किए गए इस सौदे के कड़े प्रतिरोध की अनदेखी की, रियायती दरों पर जमीन सौंप दी और 'अवैध' एग्रीमेंट पर बतौर गवाह हस्ताक्षर किए.
घई ने ऐलान किया कि उनकी कंपनी हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. उन्होंने हाइकोर्ट के फैसले के बाद कहा, ''मैं फिल्म निर्माता हूं और अगली पीढ़ी की शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूं. मुझे यकीन है कि मुझे सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ मिल जाएगा.''
घई के साथ देशमुख की दोस्ती 1970 के दशक से चली आ रही है, जब देशमुख पुणे के आइएलएस कॉलेज में कानून के छात्र थे और घई पड़ोस के ही फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआइआइ) में पढ़ते थे. 1985 से 90 के बीच संस्कृति मंत्री रहते हुए देशमुख कई फिल्मी हस्तियों के संपर्क में आए, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के साथ उनका संबंध पेशेवर स्तर पर जनवरी, 2003 तक नहीं पहुंचा था.
जनवरी, 2003 में रितेश की पहली फिल्म, तुझे मेरी कसम रिलीज हुई. देशमुख ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी हैसियत का इस्तेमाल किया और राज्य के पब्लिसिटी विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का हुक्म दिया कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहे.
2 जनवरी, 2003 को वडाला के आइमैक्स में फिल्म के प्रीमियर के निमंत्रण पत्र पब्लिसिटी विभाग ने बांटे थे. जब फिल्म के प्रीमियर का निमंत्रण कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंचा, तो उन्होंने एक कड़ी टिप्पणी से जवाब दिया, ''आपके राज्य में यह क्या चल रहा है?'' इसके लगभग 15 दिन बाद सोनिया ने फिल्म के प्रमोशन के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने पर देशमुख के स्थान पर सुशील कुमार शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया.
इस घटनाक्रम से देशमुख ने कोई सबक नहीं सीखा. वे 26/11 हमले के बाद 29 नवंबर, 2008 को मुख्यमंत्री की हैसियत से फिल्म प्रोड्यूसर रामगोपाल वर्मा को रितेश के साथ होटल ताज के एक 'दौरे' पर अपने साथ लेकर गए. हर समाचार चैनल पर उसका वीडियो दिखाए जाने के बाद देशमुख से एक बार फिर पद छोड़ने के लिए कह दिया गया.
केंद्रीय मंत्री पद के दुरुपयोग के दूसरे मामलों में भी वे फंस चुके हैं. दिसंबर, 2010 में काला पैसा सफव्द करने का धंधा करने वाले खामगांव के कांग्रेस विधायक दिलीप सानंद के खिलाफ एफआइआर दर्ज न करने के लिए पुलिस पर दबाव डालने को लेकर देशमुख पर सुप्रीम कोर्ट 10 लाख रु. का जुर्माना लगा चुका है. वे 2011 में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले में अपनी कथित भूमिका के लिए मुसीबत में फंस गए थे. राज्य की राजनीति में प्रवेश करने की देशमुख की संभावनाएं बॉम्बे हाइकोर्ट के फैसले से खत्म होती दिख रही हैं. उन्हें एक ऐसे पटकथा और संवाद लेखक की जरूरत है, जो सोनिया गांधी के सामने पढ़कर सुनाए जाने के लिए प्रभावी डायलॉग लिख कर दे सके.