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शख्सियत: यूपी भाजपा का 'प्रियंका दांव'

फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली तेजतर्रार नेता प्रियंका सिंह रावत के जरिए भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दलितों और खासकर युवाओं के बीच पकड़ बनाने की रणनीति बनाई है.

प्रियंका सिंह रावत
प्रियंका सिंह रावत
अपडेटेड 27 अगस्त , 2020

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने 22 अगस्त को जब अपनी बहुप्रतीक्षि‍त टीम घोषि‍त की तो इसमें सबसे चौंकाने वाला नाम प्रियंका सिंह रावत का था. बाराबंकी की 35 वर्षीया पूर्व सांसद प्रियंका ने यूपी भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में धमाकेदार एंट्री मारते हुए सीधे प्रदेश महामंत्री के रूप में जगह बनाई है. पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में बाराबंकी (सुरक्षिेत) संसदीय क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने के बावजूद प्रि‍यंका पूरी निष्ठा के साथ पार्टी से जुड़ी रहीं और बाराबंकी में भाजपा के उम्मीदवार को पूरा समर्थन भी दिया. प्रियंका की इसी निष्ठा का ईनाम भाजपा ने तीन वरिष्ठ दलित नेताओं की दावेदारी को नकारते हुए इन्हें प्रदेश महामंत्री बनाकर दिया है. 43 सदस्यीय प्रदेश कार्यकारिणी में भाजपा ने आठ दलित नेताओं को जगह दी है जिसमें पासी जाति से संबंध रखने वाली प्रियंका सबसे युवा हैं.

यूपी में भाजपा के पास प्रभावशाली दलित नेताओं का अभाव है. पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने रामशंकर कठेरिया, कौशल किशोर, कृष्णा राज, कांता कर्दम जैसे नेताओं को आगे किया लेकिन ये पूरे यूपी में दलितों के बीच अपना प्रभाव छोड़ पाने में असमर्थ साबित हुए. फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली तेजतर्रार नेता प्रियंका के जरिए भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दलितों और खासकर युवाओं के बीच पकड़ बनाने की रणनीति बनाई है. 

मूल रूप से बरेली के एकता नगर इलाके की रहने वाली प्रियंका के पिता उत्तमराम सिंह ब्लॉक डेवलेपमेंट अफसर थे. ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से जुड़े पिता के कार्यक्षेत्र का असर प्रियंका पर बचपन से पड़ा था. प्रियंका को भी किसान, खेती जैसे विषयों पर काफी रुचि रहती थी. प्रारंभि‍क शि‍क्षा बरेली से पूरी करने के बाद प्रियंका ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीतिक शास्त्र से बीए और राजनीतिक शास्त्र विषय से एमए किया. विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही प्रियंका अखि‍ल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गई थीं. वर्ष 2007 में राजनीतिक शास्त्र से एमए करने के साथ ही प्रियंका ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन इन इलेक्ट्रॉनिक जर्नलिज्म का कोर्स भी किया. इसी वर्ष प्रिेयंका का विवाह इंडियन रेवेन्यु सर्विस (आइआरएस) के अधि‍कारी और गोंडा जिले के रहने वाले रघुनाथ सिंह से हुआ. वर्तमान में रघुनाथ आयकर विभाग में ज्वाइंट कमिशनर के पद पर तैनात हैं.

शादी के बाद प्रियंका पति के साथ नागपुर में आकर रहने लगीं और यहीं पर एक न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग और एंकरिंग भी करने लगीं. पत्रकारिता से जुड़ने के बाद प्रियंका के भीतर समाज के लिए कुछ करने की इच्छा लगातार बलवती होती गई. वह पत्रकारिता के साथ सक्रिय समाजसेवा भी करने लगीं. प्रि‍यंका का ससुराल गोंडा में था, बाराबंकी में भी इनका घर था और पिता रिटायर होने के बाद लखनऊ में बस गए थे. प्रियंका ने बाराबंकी में रहकर भी समाजसेवा के कार्यक्रम शुरू किए. वर्ष 2013 में तत्कालीन यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत‍ वाजपेयी ने प्रियंका रावत को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई और इन्हें बाराबंकी में जाकर पार्टी का काम करने का निर्देश दिया. इसके बाद प्रियंका पूरे जोश के साथ बाराबंकी में भाजपा को मजबूत करने में जुट गईं. धीरे-धीरे प्रियंका ने बाराबंकी के भाजपा संगठन में अपनी छवि मेहनतकश युवा कार्यकर्ता के रूप में बना ली.

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने विजयशंखनाद रैली का आयोजन शुरू किया तो इसके सफलतापूर्वक आयोजन में भी स्थानीय रूप से प्रियंका रावत ने बड़ी भूमिका निभाई थी. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बाराबंकी (सुरक्षि‍त) से उम्मीदवार बनाने के लिए एक नए और युवा नेता की जरूरत महसूस हुई तो पार्टी की खोज प्रियंका रावत पर आकर टिक गई. प्रियंका बाराबंकी (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की उम्मीदवार घोषि‍त हुईं और मोदी लहर पर सवार होकर लोकसभा चुनाव के रूप जीवन के पहले ही चुनाव में जीत का डंका बजा दिया. इसके बाद प्रि‍यंका रावत बाराबंकी में कृषि‍, शि‍क्षा, स्वास्थ्य, सड़क के क्षेत्र में विकास कार्य शुरू करवाए. प्रियंका ने बाढ से प्रभावित बाराबंकी में घाघरा नदी (अब सरयू) के किनारे रामनगर के सूरतगंज के तरफ काफी समय से अधूरे पड़े बांध का मुद्दा सदन में उठाकर सबका ध्यान खींचा था. इसके बाद यह बांध बनना शुरू हुआ.

सांसद के रूप में बाराबंकी में सड़कों को दुरुस्त करवाना और नई सड़क बनवाना प्रियंका की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. नेशनल हाइवे-28 पर बाराबंकी में रामनगर से रुपहिडिया बॉर्डर को जाने वाली सड़क, नेशनल हाइवे-56 को बनवाना प्रियंका की महत्वपूर्ण उपलब्धि‍ रही. इसके अलावा प्रि्यंका ने देवा रोड, लखनऊ आउटर रिंग रोड में बराबंकी के एक दर्जन गांव शामिल करवाए. प्रियंका के प्रयास से ही बाराबंकी में एक ट्रामा सेंटर और जि‍ले के दरियाबाद क्षेत्र में महाविद्यालय स्थापित हुआ. पांच साल के कार्यकाल में प्रियंका ने एक लाख से अ‍धि‍क किसानों के खेतों की मिट्टी का लैब से परीक्षण कराकर सर्टिफि‍केट दिलवाए जिससे कि उन्हें पता चल सके कि खेत में कितना उर्वरक डालना है.

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का टिकट न पाने वाली प्रियंका रावत की जितनी धमाकेदार एंट्री पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में महामंत्री के रूप में हुई है उससे कहीं ज्यादा बड़ी चुनौती उनके सामने भी है. संगठन में पदाधि‍कारी के तौर पर काम करने का अनुभव नहीं रखने वाली प्रियंका को अब यह साबित करना है कि यूपी भाजपा ने उनको खैरात में नहीं बल्कि‍ योग्यता के बूते इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है. अगर प्रि‍यंका यह साबि‍त कर सकीं तो यूपी में एक नये युवा दलित नेता का उभार होगा.

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