यूपी में प्राथमिक स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थाओं में पढ़ रहे विद्यार्थियों को घर बैठे पढ़ाई कराने के लिए जल्द ही दो नए शैक्षिक चैनल शुरू किए जाएंगे. दरअसल कोरोना महामारी के चलते अभी स्कूलों को खोलने पर अनिश्चितता है. कब से स्कूलों में पढ़ाई शुरू होगी, यह तय नहीं है. ऐसे में विद्यार्थियों को घर बैठे ही पढ़ाई के लिए कम्युनिटी रेडियो और एक कॉमन वेबसाइट बनाकर कम्युनिटी व्यूइंग की सुविधा दी जाएगी. यह फैसला डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में शिक्षा समिति की बैठक में लिया गया है. यह भी निर्णय लिया गया है कि योग्य शिक्षकों को विश्वस्तरीय ई-कंटेट तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा.
वहीं एकेटीयू कुलपति प्रो.विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी के सुझाव के अनुसार डेटा सर्विसेज की दरों को कम करने के लिए एक विशेष वेबसाइट तैयार की जाएगी. इसमें 80 फीसद खर्च शासन और 20 फीसद डेटा प्रोवाइडर कंपनी करेगी. इतिहास, हिंदी जैसे विषयों को रोचक ढंग से पढ़ाने के लिए कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की योजना बन रही हैं. विभाग हर जिले में ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर रहा है जो विषयों को रोचक ढंग से कह कर पढ़ा सकें.
इसके पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग स्वयंप्रभा चैनल के जरिए क्लासेज शुरू कर चुका है. इनमें प्रसारित होने वाले शिक्षकों के वीडियो को पहले जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) जांचते हैं. इसके बार संयुक्त निदेशक इनकी पड़ताल करते हैं. यहां से सेलेक्ट होकर वीडियो प्रमुख सचिव, माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला के पास आता है. आराधना वीडियो को अंतिम रूप से सेलेक्ट करके उसे उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को दिखाती हैं. डॉ. शर्मा की सहमति मिलते ही उसे स्वयंप्रभा चैनल के जरिए प्रसारित करने के लिए भेज दिया जाता है.
इसके अलावा कई सारे बच्चे लाइट न आने या अन्य कई वजहों से दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रम नहीं देख पाते थे. इन्हें ध्यान में रखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक यूट्यूब चैनल भी लॉन्च किया. दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले शैक्षिक कार्यक्रमों को इस यूट्यूब चैनल पर भी लोड कर दिया जाता है. इतना सब करने के बाद भी दुरुह इलाकों में रहने वाले बच्चे किसी भी तरह की ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं. इनके लिए 'डिस्टेंट लर्निंग प्रोग्राम' की शुरुआत की गई है. इसमें विभाग पाठ्यक्रम के मुताबिक शिक्षण सामग्री सभी डीआइओएस को भेज रहा है. डीआइओएस प्रधानाचार्यों के जरिए इसे वंचित छात्रों तक पहुंचाएंगे.
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