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ऑनर किलिंग: भागी लड़की को गोली मारो

कानून का पालन करवाने वाले ही घर से भाग जाने वाली लड़कियों को गोली मार देने का रास्ता दिखा रहे हैं.

अपडेटेड 19 मई , 2012

''अगर मेरी बहन भाग गई होती तो मैं उसे गोली मार देता या खुद मर जाता. मैं कोई अंतर्यामी नहीं हूं, जो तुम्हारी बेटी को बरामद करा दूं. जिसकी बेटी भाग गई हो उसके लिए तो यह डूबकर मरने वाली बात है.'' सहारनपुर मंडल के डीआइजी एस.के. माथुर उस लाचार पिता शौकीन (37) को ऑनर किलिंग के लिए उकसा रहे थे, जो अपनी बेटी को बीते डेढ़ महीने से इधर-उधर तलाश रहा है.

माथुर 8 मई को प्रबुद्धनगर के एसपी दफ्तर का निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां फरियादियों की भीड़ जमा हो गई. इन्ही में एक प्रबुद्धनगर जिले के आदर्श मंडी क्षेत्र के गांव कसेरवा का निवासी शौकीन भी था, जो अपनी बेटी इशरतजहां (14) की खोज की गुहार लगाने पहुंचा था. शौकीन का आरोप है कि गांव के ही कुछ दबंग उसकी नाबालिग बेटी को उठाकर ले गए हैं.

पुलिस की संवेदनहीनता का यह केवल इकलौता वाकया नहीं है. नौ मई को संतकबीर नगर के पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने व्यापारियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में कहा, ''हमारे जिले में 70 फीसदी मामले लड़की भगाने के आते हैं. अब मैं लड़की पकडूं या चोर. विभाग लड़कियां पकड़ते-पकड़ते परेशान है.''

शौकीन की पीड़ा पर सहानुभूति जताने के बजाय डीआइजी ने जो बातें कहीं, उससे लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हलचल मच गई. डीआइजी खबरिया चैनलों में छाए रहे और राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पूरे प्रकरण पर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी इस बयान की निंदा करनी पड़ी. उन्होंने कहा, ''जनता को पुलिस से न्याय की उम्मीद होती है और अगर जिम्मेदार अफसर पद की गंभीरता को नहीं समझेंगे तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'' शासन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए माथुर को सहारनपुर रेंज से हटाकर पुलिस महानिदेशक कार्यालय, लखनऊ से संबद्ध कर दिया है.

माथुर कहते हैं, ''मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. मैंने शौकीन को उसकी बेटी को बरामद करने का आश्वासन दिया था. इस दौरान कही गई मेरी बातों को तोड़कर न्यूज चैनल में पेश किया गया है.'' शौकीन भी इस मुद्दे पर पुलिसिया रौब के आगे खड़े होने की हिम्मत नहीं उठा पा रहे. वह कहते हैं, ''डीआइजी ने मेरी बेटी के बारे में कोई गलत बात नहीं की, बल्कि उन्होंने उसे तत्काल बरामद कराने का भरोसा दिया था.''

वहीं दूसरी ओर एसपी धर्मेंद्र सिंह भी मीडिया पर इस पूरे मुद्दे में उनके बयान को तोड़कर पेश करने का आरोप लगाते हैं. इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने बताया, ''यह सही है कि मेरे जिले में सबसे ज्यादा 70 फीसदी मामले लड़कियों की गुमशुदगी के हैं और काफी संख्या में पुलिस बल इन्हें ढूंढ़ने में लगा है. ऐसे में मैंने चोरों से निपटने में पुलिस बल की कमी का हवाला दिया था, जिसे गलत ढंग से पेश किया गया है.'' इस मामले में भी तत्काल महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उन्हें पीएसी गोंडा में तैनात कर दिया गया है. लेकिन मामला यहीं ठंडा नहीं होने वाला. तमाम महिला संगठनों ने इस मुद्दे पर विधानसभा का घेराव करने का फैसला किया है. लखनऊ विवि की पूर्व कुलपति और सामाजिक संस्था (साझी दुनिया) की सचिव प्रो. रूपरेखा वर्मा कहती हैं, ''जो एसपी गुमशुदा लड़कियों को तलाशने की बजाय उन्हें पकड़ने जैसी शब्दावली का प्रयोग करता है, उससे उसकी गंदी सोच झलकती है. ऐसे अधिकारी को तो तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए.'' राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा कहती हैं, ''सबसे पहले तो ऐसे बयान के लिए माथुर को बर्खास्त करना चाहिए और फिर उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए जाने चाहिए.'' विपक्षी पार्टियों को भी इस प्रकरण पर सरकार को घेरने का हथियार मिल गया है. बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं, ''सपा सरकार गुंडे और माफियाओं से बनी है और इसके अधिकारी भी उन्हीं की भाषा बोल रहे हैं.''

समाजवादी परंपरा के युवा, उच्च शिक्षित और खुद अंतर्जातीय विवाह करने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने दोनों मामलों में बेहद तेजी से कार्रवाई की है जिससे प्रदेश के बड़बोले और असंवेदनशील अधिकारियों को सख्त संदेश पहुंचा है.

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