पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की काट के तौर पर आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के शब्दों में, धरतीपुत्र की तलाश में है. 7 मार्च को पार्टी को बुजुर्ग अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद मिथुन चक्रवर्ती मिल गए. हालांकि यह अब भी अस्पष्ट है कि तीन बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता और बंगाल की बॉलीवुड को अब तक की सबसे बड़ी देन मिथुन को भाजपा क्या मुख्यमंत्री बनाने पर विचार कर रही है.
चक्रवर्ती की भाजपा में एंट्री कोलकाता के ब्रिगेड रोड में आयोजित भारी भीड़ वाली रैली में हुई जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया. नरेंद्र मोदी ने करीब एक घंटे तक चले अपने संबोधन में चक्रवर्ती को बंगाल का काबिल बेटा बताया जो कि राज्य में असल परिवर्तन के लिए आया है. जैसे ही चक्रवर्ती का नाम पुकारा गया भीड़ उत्तेजित हो उठी. युवा और महिलाओं ने बैरीकेड पार करने की कोशिश की और उनकी एक झलक के लिए वीआइपी घेरे के पास जाने के लिए घमासान मच गया. 70 साल के चक्रवर्ती कुर्ता-पायजामा पहने और काली बुनी हुई टोपी में मंच पर नमूदार हुए.
भाजपा ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआइ (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली को भी लाने की कोशिश की थी. लेकिन गांगुली ने स्पष्ट कर दिया कि वे राजनीति से दूर रहना चाहते हैं और वे पीएम की ब्रिगेड रोड रैली में नहीं आए. इसलिए चक्रवर्ती वहां थे, गैर परंपरागत लुक वाला यह अभिनेता 1970 के दशक में मुंबई गया और उसने वहां प्रसिद्धि और कामयाबी दोनों पाई.
हाल के हफ्तों में फिल्म व टीवी से जुड़े बंगाल के कुछ लोग भाजपा में आए हैं. इनमें अभिनेता यश दासगुप्ता, सरबंती चटर्जी, हिरन चटर्जी, पायेल सरकार, सौमिली बिस्वास और पपिया अधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा पार्टी प्रसेनजित चटर्जी और रितुपर्णा सेनगुप्ता को भी लाने का प्रयास कर रही है. फिलहाल तो चक्रवर्ती भाजपा का सबसे बड़ा दांव हैं.
चक्रवर्ती की एंट्री से भाजपा को ममता के सबसे बड़े आरोप-यह बाहरी लोगों की पार्टी है जो बंगाल की संस्कृति व लोकाचार से अनभिज्ञ है- से निपटने में मदद मिल सकती है. हालांकि चक्रवर्ती जैसे सितारे कोई बड़ा राजनीतिक परिवर्तन तो नहीं कर सकते लेकिन वे लोगों को हवा का रुख तो बता सकते हैं कि 27 मार्च से होने वाले 294 विधानसभा सीटों के चुनाव में किस तरफ जाना है. आठ चरणों वाले इस चुनाव के नतीजे 2 मई को आएंगे.
चक्रवर्ती ने अपने 10 मिनट के भाषण में नाटकीय ढंग से चेतावनी दी, “मैं नुक्सान न पहुंचाने वाला सांप नहीं बल्कि कोबरा हूं; डंसूंगा तो तुम फोटो बन जाओगे”. उन्होंने लोगों को अपने सादगीपूर्ण अतीत की याद दिलाई कि उनका जन्म उत्तरी कोलकाता की अंधी गलियों में हुआ था. चक्रवर्ती के शब्दों में, “पते के लिए हम ये बताते थे कि हम जोराबागान पुलिस थाने के पीछे रहते हैं ताकि पोस्टमैन हमारा घर ढूंढ सके.” जाहिर है उनका निशाना ममता ही थीं जो हमेशा सादे जीवन, सादे कपड़ों और कोलकाता में सिंगल स्टोरी घर में रहने का जिक्र करती हैं ताकि लोगों को लगे कि ये उनके ही बीच से निकली हैं.
2014 से 2016 के बीच जब चक्रवर्ती राज्यसभा सांसद थे तो उनका नाम सारधा घोटाले में भी लिया गया था. वे उस चिट फंड कंपनी के ब्रान्ड एंबेसडर थे. जैसे ही विवाद बढ़ा उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को 1.2 करोड़ रुपए लौटा दिए जो उन्होंने कंपनी से मेहनताने के तौर पर लिए थे. साथ ही टीएमसी भी छोड़ दी और ममता से सारे रिश्ते खत्म कर लिए. तब टीएमसी ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाए थे कि किस तरह केंद्रीय एजेंसियां चक्रवर्ती और पार्टी के बीच दरार डाल रही हैं.
तब से टीएमसी ने अपना रुख कड़ा कर लिया. ब्रिगेड रोड रैली के तुरंत बाद टीएमसी एमपी सौगत राय ने दावा किया कि चक्रवर्ती की “कोई प्रतिष्ठा, कोई सम्मान और जनता में कोई असर नहीं है.” चक्रवर्ती के आने से भगवा खेमे में जरूर बहुत उत्साह दिखा. एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “उन्होंने उस भाषा में बोला जिसे लोग बेहतर समझते हैं. बहुत राजनीतिक हुए बगैर उन्होंने राजनीतिक संदेश दे दिया जिसकी न तो अनदेखी की जा सकती है और न ही उसकी कोई काट है. अब हमारे साथ मिथुन दा हैं, जो बंगाल के पुत्र हैं और उन्होंने राज्य और देश का मान बढ़ाया है. अब भाजपा तृणमूल कांग्रेस के संकुचित क्षेत्रीय और विभाजनकारी अफसानों का अंत कर देगी.”
***

