इस जेल में आपको फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते कैदी नजर आएं तो हैरान मत होइएगा. यह 'अतुल सर' की क्लास का कमाल है. 1874 में बनी मध्य प्रदेश की पहली जेल में इन दिनों तीस से ज्यादा कैदी अंग्रेजी सीख रहे हैं. इससे भी दिलचस्प बात यह है कि कैदियों के अंग्रेजी शिक्षक अतुल आनंद खुद भी एक कैदी ही हैं और आजीवन कैद की सजा काट रहे हैं.
अंग्रेजी की क्लास शुरू होने का वाकया कुछ इस तरह है. कुछ समय पहले यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के कुछेक कोर्स शुरू हुए थे. उनमें एमबीए का कोर्स अंग्रेजी में था. यहां के कुछ कैदी एमबीए करना चाहते थे लेकिन अंग्रेजी का ज्ञान न होना सीखने की ललक में आड़े आ रहा था. तब जेल प्रशासन की ओर से जेल में अंग्रेजी की कोचिंग का इंतजाम किया गया गया. कुछ दिनों तक तो बाहर के शिक्षक ने अंग्रेजी की क्लास ली लेकिन किन्ही कारणों से यह क्लास जल्द ही बंद हो गई.
अंग्रेजी सीखने की कैदियों की ललक को देखकर आनंद ने उन्हें अंग्रेजी सिखाने का बीड़ा उठाया. पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर 24 साल के आनंद पिछले साल दिसंबर माह से एक पुलिस जवान की हत्या के आरोप में आजीवन कैद की सजा काट रहे हैं. आनंद बताते हैं कि सजा होने के बाद वह हिम्मत हार चुके थे लेकिन जब से उन्होंने कैदियों को पढ़ाना शुरू किया है, तब से उनके जीवन में नई आशा का संचार होने लगा है. वे पिछले तीन माह से जेल में हर रोज सुबह दो घंटे कैदियों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं. कैदियों और आनंद के उत्साह को देखते हुए जेल प्रशासन ने भी इस पहल को प्रोत्साहित किया.
आनंद के पढ़ाने के कौशल को देखते हुए अब क्लास में एमबीए की तैयारी कर रहे कैदियों के अलावा वे कैदी भी जुड़ने लगे हैं जिनका अंग्रेजी के साथ कभी कोई रिश्ता नहीं रहा.
ऐसे ही एक कैदी 52 साल के अयोध्या प्रसाद अंग्रेजी की एक भी क्लास नहीं छोड़ते. पिछले नौ साल से जेल में बंद प्रसाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. वे कहते हैं, ''आज के समय में अंग्रेजी सीखना बहुत जरूरी है. मेरी बहुत इच्छा है कि मैं अपनी तीनों बेटियों के साथ फर्राटेदार अंगेजी में बात करके उन्हें हैरान कर दूं.''
प्रसाद सुबह की क्लास में जो कुछ भी सीखते हैं, रात में दूसरे कैदियों के साथ मिलकर उसका अभ्यास भी करते हैं. ये कैदी एक-दूसरे के साथ जहां तक संभव हो, अंग्रेजी में बात करने की कोशिश करते हैं. जब कोई दिक्कत आती है तो तुरंत अपने शिक्षक से पूछ लेते हैं, जो उनके आस-पास ही मौजूद रहते हैं. 'अतुल सर की क्लास' के इन छात्रों का कहना है कि अंग्रेजी सीखने में पहली बार उन्हें इतना मजा आ रहा है.
जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकर भी इस पहल से खासे खुश हैं. वे कहते हैं, ''अतुल आनंद की अंग्रेजी क्लास ने यहां के माहौल को और अच्छा कर दिया है. बंदी भी खुश हैं और इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं.'' ताम्रकर कहते हैं कि जेल का असल उद्देश्य यही है कि कैदी जब यहां से रिहा हों तब तक अपराध की दुनिया से पूरी तरह से दूर हो चुके हों और सम्मानजनक जीवन जीने के काबिल बन सकें. जेल प्रशासन इस बात से भी खुश है कि कैदियों को अंग्रेजी सीखने के लिए बाहर के शिक्षक का मुहताज नहीं होना पड़ रहा है. यह पहल कैदियों के जीवन में उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है.