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सिकुड़ता जा रहा है एनडीए

छह साल में एक दर्जन से अधिक घटक दल छोड़ गए हैं गठबंधन. अकाली दल एनडीए छोड़ने की कगार पर है, वहीं जद (यू) के साथ भाजपा के रिश्तों में तनातनी चल रही है.

हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया (पीटीआइ)
हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया (पीटीआइ)
अपडेटेड 18 सितंबर , 2020

मोदी-2 मंत्रिमंडल से अकाली दल नेता हरसिमर कौर ने इस्तीफा दे दिया है. अकाली दल, एनडीए गठबंधन छोड़ने की कगार पर है, वहीं शिवसेना इसे छोड़ चुका है और जद (यू) के साथ भाजपा के रिश्तों में तनातनी चल रही है. ये तीनों ही दल भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी रहे हैं. इनके अलावा पिछले छह साल में एक दर्जन से ज्यादा दल एनडीए का साथ छोड़ चुके हैं.

2014 में एनडीए कुनबे में कुल मिलाकर 38 दल थे. छोटे-छोटे सहयोगी दलों के दम पर ही भाजपा ने उत्तर-पूर्व के कई राज्यों में सरकार बनाई. बावजूद इसके भाजपा अपने सहयोगी दलों को साधने में सफल नहीं हो पा रही है. शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है, "भाजपा, सहयोगी दलों को छलने में देर नहीं लगाती है. पार्टी को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि आखिर क्या बात है कि उनके सहयोगी, उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं." राजनीतिक मामलों के जानकार एन. अशोकन कहते हैं, "भाजपा के सामने दो उदाहरण हैं जिसके जरिए वह समझ सकती है कि एनडीए कितना महत्वपूर्ण है. पहला उदाहरण, झारखंड का है, जहां चुनाव से पहले आजसू, ने एनडीए छोड़ दिया और भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा. दूसरा उदाहरण हरियाणा है. यहां भी पार्टी सत्ता से बाहर रहती यदि जेजेपी को सहयोगी नहीं बनाती."

अशोकन का मानना है कि भाजपा, सहयोगी दलों की जगह विरोधी दलों के लोगों को तोड़कर, उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करा कर सरकार बनाने के फॉर्मूले को ज्यादा लाभकारी मान रही है. कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा जैसे राज्य इसके उदाहरण हैं. विदित हो कि पिछले छह साल में शिवसेना, टीडीपी, आजसू, स्वाभिमान शेतकारी संगठन, जीजीएम, हम, एजीपी, पीएमके, पीडीपी, जेएसपी, डीएमके, जीवीपी, एमजेपी सहित कुछ अन्य छोटे दलों ने एनडीए और भाजपा का साथ छोड़ा है.

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