जाहिदा परवेज के पहली मंजिल स्थित दफ्तर पर सीबीआइ के संयुक्त निदेशक केशव कुमार के नेतृत्व में एक जांच दल ने 29 फरवरी, 2012 को दबिश दी. भोपाल के पॉश मार्केट एमपी नगर में आर्किटेक्चर कंपनी चलाने वाली 35 वर्षीया जाहिदा को महत्वाकांक्षी आरटीआइ कार्यकर्ता और ऊंची पहुंच वाली, 38 वर्षीया शहला मसूद की हत्या की प्रमुख संदिग्ध के रूप में एक दिन पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.
केशव कुमार को दबिश में जो अहम चीज मिली, वह जाहिदा की डायरी थी. उसमें हत्या वाले दिन, 16 अगस्त, 2011 की प्रविष्टि में लिखा था, ''उसे उसके घर के सामने गोली मार दी गई. मैं सुबह से ही परेशान थी...अली (साकिब अली 'डैंजर', जिसने भाड़े के हत्यारों को कथित रूप से हत्या का काम सौंपा था) ने 11:15 बजे के आसपास फोन किया कि मुबारक हो साहिब, हमने उसके घर के सामने काम कर दिया.'' जाहिदा ने लिखा कि उसने हत्या की पुष्टि करने के लिए अपने एक कर्मचारी को शहला के घर भेजा. ''उसके बाद मुझे सुकून मिला.''
केशव कुमार ने दिल्ली में तुरंत अपने सहयोगी सीबीआइ उप-महानिरीक्षक अरुण बोथरा को फोन किया. उनका संदेश एकदम साफ था, ''वह हमारी पकड़ में आ गई.'' दो घंटे तक चली तलाशी के दौरान, जांच दल के हाथ नाटकीय और घातक प्रेम त्रिकोण के रहस्य का पर्दाफाश करने वाला सबूत लग गया. भाजपा के ताकतवर विधायक 53 वर्षीय ध्रुव नारायण सिंह के साथ जाहिदा के प्रेम संबंध थे. उनकी दूसरी प्रेमिका शहला थी. जाहिदा किसी भी कीमत पर शहला को खत्म करना चाहती थी.
सीबीआइ को मिली सजिल्द डायरी में ध्रुव के साथ जाहिदा के यौन संबंधों, एक सीडी रिकॉर्डिंग, इस्तेमाल हो चुके कंडोम जो प्लास्टिकों की थैलियों में संभालकर रखे हुए थे और जिन पर उनके इस्तेमाल की तारीख भी लिखी थी, और प्लास्टिक की ही थैली में रखे बालों का एक गुच्छा मिला. भोपाल में चार इमली इलाके में स्थित सीबीआइ कार्यालय में की गई पूछताछ में अपराध स्वीकार कर लिया गया. इन सारी सूचनाओं का इस्तेमाल चार्जशीट तैयार करने में किया जाएगा जो मई के अंत में दाखिल की जानी है.
इस अप्रत्याशित प्रेम त्रिकोण में शामिल पात्र थेः प्रेम दीवानी जाहिदा, जिसकी शादी भोपाल के सबसे रईस बोहरा खानदानों में से एक में हुई थी; आशिक मिजाज ध्रुव नारायण सिंह, जो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार के पूर्व राज्यपाल गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं; और तेजतर्रार शहला, जो इवेंट मैनेजमेंट प्रोफेशनल थी और जिसने खुद को आरटीआइ कार्यकर्ता के रूप में स्थापित कर लिया था.
जिस दिन शहला की हत्या हुई, उस दिन वह अण्णा हजारे की एक रैली में भाग लेने वाली थी. इस हत्या ने उनींदे शहर भोपाल को स्तब्ध कर दिया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन दिन के भीतर सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए. उधर, ध्रुव को मध्य प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा.
यह त्रिकोण उस समय चतुर्भुज में तब्दील होता नजर आया जब राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता 56 वर्षीय तरुण विजय का नाम उछला. विजय और शहला पिछले दो साल में काफी करीब आ गए थे. सीबीआइ को जुलाई और अगस्त, 2011 में उनके बीच हुए 400 फोन कॉल के सबूत और 2010 में उनकी स्विट्जरलैंड यात्रा की अंतरंग तस्वीरें मिलीं. शहला के मोबाइल रिकॉर्ड बताते हैं कि विजय ने 15 अगस्त, 2011 और फिर अगली सुबह उसकी हत्या से ठीक पहले उससे लंबी बातचीत की थी.
सीबीआइ हत्या में विजय के शामिल होने की संभावना से इनकार करती है. इस प्रकरण में ध्रुव की भूमिका के बारे में जांच जारी है. सच जानने के लिए ध्रुव का 24 मार्च को पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ, जिसमें उन्होंने शहला, जाहिदा और अन्य महिलाओं के साथ संबंधों के बारे में शेखी बघारी. जो बात सामने आई, वह कुछ इस तरह हैः ध्रुव जाहिदा के साथ खतरनाक खेल खेल रहे थे.
वह यह जताकर उसकी जलन बढ़ाते रहते थे कि शहला के साथ उनके अब भी संबंध हैं. इससे जाहिदा के मन में शहला के प्रति जहर भर गया, जिसे उसने अपनी डायरी में बखूबी जाहिर भी किया है. जाहिदा लिखती है कि वह शहला पर नजर रखने के लिए उसके घरेलू नौकर इरशाद को पैसे देती थी.
सीबीआइ ने ध्रुव-जाहिदा संबंधों में आई दरार का फायदा उठाने का फैसला किया. उसने ध्रुव को जाहिदा के दफ्तर से मिली सीडी दिखाते हुए उनसे पूछताछ की. ध्रुव सीडी देखकर अवाक रह गए क्योंकि उन्हें जरा भी अंदाज नहीं था कि जाहिदा ने उनके साथ अंतरंग क्षणों को रिकॉर्ड कर लिया है. उन्होंने सीडी का राज न खोलने के लिए सीबीआइ से अनुरोध किया और जाहिदा के बारे में मुंह खोलने को राजी हो गए.
सीबीआइ के अधिकारियों ने गुप्त रूप से ध्रुव के जवाब को रिकॉर्ड कर लिया और उसे जाहिदा को दिखाया. जाहिदा तब तक जान चुकी थी कि सारा खेल खत्म हो गया. यह महसूस करते हुए कि वह लड़ाई में अकेली है, उसने कहा कि शहला की हत्या की साजिश में ध्रुव भी शामिल था. जाहिदा ने ध्रुव पर आरोप लगाया कि वे उसे शहला की हत्या के लिए उकसाते रहते थे. उसने यह भी दावा किया कि उन्होंने ही उसे साकिब अली 'डैंजर' से मिलवाया था. साकिब स्थानीय गुंडा है जिसने कथित रूप से इरफान और ताबिश खान नामक भाड़े के हत्यारों के जरिए शहला को मरवाया.
हालांकि जाहिदा अपने दावों के समर्थन में सबूत नहीं दे सकी. लेकिन सीबीआइ 15 अगस्त, 2011 को शहला को किए गए ध्रुव के कॉल की जांच कर रही है. 16 अगस्त को शहला की हत्या से 25 मिनट पहले सुबह 10:50 बजे उसकी लैंडलाइन पर ध्रुव की पत्नी वंदना का कॉल आया था. वंदना कुछ नहीं बोली और आठ सेकेंड बाद फोन काट दिया. उसके तुरंत बाद वंदना ने दिल्ली में विजय के नंबर पर कॉल किया. वे उनकी पत्नी, जिनका नाम भी वंदना था, को चेतावनी देना चाहती थीं.
वंदना ने सीबीआइ को बताया, ''मैं उनसे कहना चाहती थी कि शहला हमारे परिवारों को बर्बाद कर रही है.'' सीबीआइ ने हत्या में उनकी संभावित भूमिका की भी जांच की. लेकिन बाद में उसने इस विकल्प को खारिज कर दिया. ध्रुव और वंदना के दो बेटे हैं. बड़ा बेटा भोपाल स्थित नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट में पढ़ रहा है. तो छोटा बेटा भोपाल में ही कैंपियन स्कूल का छात्र है.
जब इंडिया टुडे ने भोपाल में ध्रुव नारायण सिंह को फोन किया तो उन्होंने बातचीत करने से इनकार कर दिया. वे भले ही शहला हत्याकांड से बरी हो जाएं, पर मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के चेयरमैन के रूप में उन्होंने दोनों महिलाओं को जो ठेके दिए थे, उनका जवाब उन्हें देना पड़ेगा. इस पद पर वे मई, 2011 तक थे. शहला को इवेंट मैनेजमेंट के ठेके दिए गए थे. इसी तरह जाहिदा को पहले आर्किटेक्ट के रूप में पैनल में रखा गया और फिर इंटीरियर डेकोरेशन के ठेके दिए गए.
ध्रुव के साथ शहला के संबंध 2000 से थे, जब वह पहली इवेंट कंपनी मिरेकल्स खोलने के लिए दिल्ली से भोपाल लौटी थी. उसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से जनसंचार का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद दिल्ली में अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ काम करते हुए इवेंट मैनेजमेंट का अनुभव हासिल किया था.
बताया जाता है कि 2003 और 2007 के बीच भोपाल विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के रूप में ध्रुव ने शहला के बिजनेस में मदद की थी. शहला ने भोपाल में संयुक्त रूप से मड चैलेंज कार रैली आयोजित करने के लिए उदय कल्चरल सोसाइटी के साथ काम किया था. ध्रुव इस सोसाइटी के संरक्षक थे.
दोनों के दोस्त बताते हैं कि ध्रुव ने शहला के कहने पर कायापलट ही कर लिया. उन्होंने अपना वजन घटाया और अपने वार्डरोब को सजने-संवरने की चीजों से भर दिया. जाहिर है, उन्हें शहला से इश्क हो गया था.
जाहिदा मध्य प्रदेश के जबलपुर की है. असद परवेज से 1997 में शादी से पहले उसने वहां से इंटीरियर डेकोरेशन का कोर्स किया था. अमेरिका से इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने वाले 42 वर्षीय असद ने भोपाल में आर्किटेक्चर कंपनी शुरू करने में जाहिदा की मदद की थी. इस कंपनी को ध्रुव के जरिए हाइवे किऑस्क का ठेका मिला. यह ठेका दिलवाने में उन्होंने विधायक और मध्य प्रदेश पर्यटन निगम के चेयरमैन के रूप में अपने रसूख का प्रयोग किया था.
परवेज का परिवार संपन्न है. उसके पास सैफिया कॉलेज, दो पेट्रोल पंप और पुराने सैफिया रोड तथा भोपाल के नूर महल क्षेत्र में कई प्लॉट हैं. जाहिदा और असद की 13 और 6 वर्ष की दो बेटियां हैं. जाहिदा फिलहाल इंदौर जेल में बंद है, उसके पति कहीं छिपे हुए हैं और उनकी बेटियां अपने चाचा के पास हैं.
जाहिदा की सास फातिमा परवेज कहती हैं कि जाहिदा को जब शहला हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया तो उन्हें हैरानी नहीं हुई. जब इंडिया टुडे ने नूर महल इलाके में उनके घर में मुलाकात की तो उन्होंने कहा, ''जाहिदा हमेशा से ही गुस्सैल और अड़ियल थी. उसने हर कीमती चीज पर दावा करते हुए शुरू से हमें परेशान किया है. मेरा बेटा पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में है. उसके सामने मुंह नहीं खोल सकता.''
सीबीआइ ने जाहिदा की सहायिका 25 वर्षीया सबा फारूकी को भी इस संदेह में गिरफ्तार किया है कि वह अपराध में शामिल हो सकती है. सबा ने सीबीआइ को बताया कि उसने 'अप्पी' को कई बार चेतावनी देने की कोशिश की कि वे जो कुछ कर रही हैं उसका नतीजा बुरा होगा, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. जाहिदा ने सनक में आकर हाल ही में एक उच्चवर्गीय मुस्लिम मुहल्ले कोहे-फिजा में शहला के घर से बमुश्किल 100 मीटर दूर एक बंगला खरीदा था. शूटर इरफान और उसके साथियों ने शहला को बिल्कुल करीब से गोली मारने से पहले उसकी गतिविधियों पर यहीं से नजर रखी थी.
शहला अण्णा हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मध्य प्रदेश शाखा की संयोजक थी. उसका सबसे नया अभियान बाघों के संरक्षण के लिए था. उसके पिता, 70 वर्षीय मसूद सुल्तान कहते हैं, ''वह बहादुर, ईमानदार और खरी लड़की थी.'' शहला ने भोपाल के प्रतिष्ठित सेंट जोसफ्स कॉन्वेंट गर्ल्स स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद भोपाल बीएसएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था. इसके बाद वह दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में चली गई थी.
शहला के पिता ध्रुव और विजय से उसके संबंधों के बारे में जानते थे. सुल्तान कहते हैं, ''मैं जानता हूं तरुणजी शहला के काफी करीब थे. उसकी मौत के बाद उनके न आने पर मुझे बहुत बुरा लगा था. उन्होंने शहला की हत्या के बाद तुरंत फोन किया था, पर यह जानने के लिए कि खबर सही है या गलत.'' यदि विजय की प्रतिक्रिया से वे दुखी थे तो ध्रुव की प्रतिक्रिया से स्तब्ध.
सुल्तान याद करते हैं, ''घटना के तुरंत बाद मैंने यह सोचकर ध्रुवजी को फोन किया कि वे कुछ मदद करेंगे. मैंने कहा कि शहला नहीं रही. पर वे कुछ नहीं बोले. फिर फोन कट गया.''
विजय के संग दोस्ती बढ़ने के साथ शहला ने खुद को ध्रुव से अलग कर लिया था. विजय ने इंडिया टुडे से कहा कि शहला उनकी 'घनिष्ठ मित्र' थी और उसके साथ उनके 'बौद्धिक संबंध' थे. शहला के पिता के मुताबिक उनकी बेटी और विजय की भारत-चीन संबंधों पर एक पत्रिका शुरू करने की योजना थी. विजय पहले आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य के संपादक थे.
शहला ऊंची उड़ान भरना चाहती थी. उसके पिता कहते हैं कि वह बहुत तेजी और बहुत जल्दी से ऊपर उठी. ''यदि बीच हवा में उसकी जिंदगी खत्म नहीं हुई होती तो उसकी उड़ान को कोई नहीं रोक पाता.'' लेकिन क्रूर, बहुत तेज और टाली न जाने वाली चीज ने उसकी उड़ान रोक दी. और वह चीज थी मौत.