उस दिन पुलिस की किस्मत चमक गई. जिसे उसने छोटा-मोटा बदमाश समझकर पकड़ा था, वह मंजा हुआ अपराधी और शार्प शूटर निकला. पिछले हफ्ते सतना पुलिस के हाथ एक सर्राफा व्यवसायी को लूट कर भाग रहा बदमाश सरमन शिवहरे लगा. जिस शिवहरे को वह नौसिखिया बदमाश समझ रही थी, जब उसने अपने कारनामों का खुलासा किया तो खुद पुलिस भी सन्न रह गई.
पन्ना जिले का रहने वाला सरमन मुख्य रूप से सर्राफा कारोबारियों को ही निशाना बनाता था. 25 जुलाई को सतना के मुख्त्यारगंज के सर्राफा व्यवसायी रामदत्त सोनी पर हमला कर सरमन और उसके दो साथी दुकान से जेवरातों से भरा बैग लेकर भागने लगे. सोनी और उनकी पत्नी शोभा के विरोध करने पर सरमन ने गोली चला दी, पर तब तक भीड़ जमा हो चुकी थी. सरमन के साथी तो भाग निकले लेकिन वह भीड़ के हाथ लग गया और लोगों ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया.
पुलिस के सामने जब सरमन ने अपना मुंह खोला तो पहेली बन चुके कई अनसुलझे मामलों के राज भी खुले. 30 साल के सरमन ने महज तीन साल में ग्वालियर से लेकर जबलपुर, इंदौर और प्रदेशभर में 18 लोगों की हत्या और लूट की वारदात कबूल की. यह भी पता चला कि बतौर शार्प शूटर वह कई राज्यों के अपराधियों से जुड़ा हुआ था. इस बीच सतना पुलिस ने ग्वालियर में सूचना दी, जिसकी वजह से सरमन के तीन साथी राजकिशोर, वेदप्रकाश और दीपक चौरसिया भी पकड़े गए जबकि एक अन्य साथी इंदर सिंह रीवा से पकड़ा गया. सतना में लूट के समय सरमन की चलाई गोली राजकिशोर के पैर में लग गई थी.
पिछले तीन साल से यह गिरोह प्रदेश के सर्राफा कारोबारियों के लिए खौफ का दूसरा नाम बना हुआ था और अनेक व्यवसायियों की हत्या भी कर चुका था. पिछले एक साल में ग्वालियर में रत्न कारोबारी राजेंद्र साहू, प्रभात अग्रवाल, राकेश जैन, नीरज गुप्ता, विजय जैन सहित कई व्यवसायियों की हत्या को सरमन और उसके गिरोह ने ही अंजाम दिया था. इंदौर में 2008 में एक हीरा व्यापारी और डॉ. वर्षा समेत उनके कंपाउंडर की हत्या भी सरमन ने ही की थी. वह पुलिस से लूटी गई पिस्तौल से हत्या करता था.
एक पिस्तौल उसने जबलपुर में हवलदार राजकुमार की हत्या करके लूटी थी और दूसरी ग्वालियर में शिवकांत नाम के सिपाही को गोली मारकर हासिल की थी. अब ग्वालियर, सतना, इंदौर और उज्जैन पुलिस सहित एसटीएफ इनका नेटवर्क खोजने में जुटी है. इंदौर और उज्जैन में सरमन के कई बैंक खाते और लॉकर मिले हैं. उसके पास से बीस फर्जी पैन कार्ड, 15 ड्राइविंग लाइसेंस और 25 सेलफोन भी बरामद हुए हैं.
ग्वालियर रेंज के आइजी विजय यादव बताते हैं, ''सरमन का एक साथी दीपक ग्वालियर में कई सर्राफा व्यवसायियों के यहां काम कर चुका था, इसलिए उसे उनसे संबंधित कई बातें मालूम थी जो वारदात में फायदेमंद साबित होती थीं. जबकि वेदप्रकाश और राजकिशोर तंत्र-मंत्र और पूजापाठ की आड़ में लूट का माल ठिकाने लगाते थे.'' लूट के माल से इन्होंने संपत्ति और कई कारें खरीदी थीं. राजकिशोर के ग्वालियर स्थित घर की तलाशी में लाखों रु. के गहने मिले, दीपक के घर से पुलिस को कई दर्जन फर्जी पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान-पत्र और सौ से भी ज्यादा बाइकों की चाबियां मिलीं हैं.
पूछताछ में सरमन ने यह भी बताया कि लूट की रकम को वह बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखता था. पिस्तौल भी वह लॉकर में ही रखता था. हालांकि उसके एक दर्जन लॉकरों में से ज्यादा रकम नहीं मिली है, इसलिए पुलिस को शक है कि लूटे गए पैसों और गहनों को वह कहीं और भी ठिकाने लगाता होगा.
प्रदेश एसटीएफ अब यह पता लगा रही है कि सरमन का संबंध किन-किन राज्यों के बदमाशों से है. एसटीएफ को यह भी शक है कि सरमन के संबंध मुंबई के अंडरवर्ल्ड से हो सकते हैं या वह किसी ऐसे गिरोह से जुड़ा हो सकता है जो प्रदेश में दहशत फैलाना चाहता हो. रीवा रेंज के आइजी जी.आर. मीणा कहते हैं, ''सरमन के अपराध करने की शैली को देखते हुए पुलिस को उसके गहरे आपराधिक संबंध होने का अंदेशा है जिसके बारे में पता लगाया जा रहा है.''
सरमन और उसके गिरोह के पकड़े जाने के बाद, इलाके में बढ़ते अपराध पर लगाम कसने में नाकाम रही ग्वालियर पुलिस राहत की सांस ले रही है, जिसे उम्मीद है कि पिछले डेढ़ साल से इलाके में जारी कारोबारियों की सनसनीखेज हत्या का सिलसिला शायद अब बंद हो सकेगा. सरमन जैसे शातिर अपराधियों से निबटने के गुर सिखाने के लिए प्रदेश पुलिस अब उसके अपराध करने की शैली को प्रशिक्षु सिपाहियों को पढ़ाने की भी तैयारी कर रही है.