शायद ही किसी साधारण स्टार ने इस तरह से मुंह खोलने की हिम्मत की हो, जैसा कि 35 वर्षीय तारा चौधरी ने किया. कभी तेलुगु फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाने वाली और कथित तौर पर वेश्यावृत्ति का एक रैकेट चलाने वाली चौधरी के यहां 10 अप्रैल को पड़े छापे ने बहुत सनसनीखेज रहस्योद्घाटन किए हैं.
हैदराबाद पुलिस को उसके यहां से विजिटिंग कार्ड, अश्लील वीडियो और ऑडियो की क्लिप, जासूसी कैमरे और एक डायरी मिली है. इसमें छह सांसदों, 18 विधायकों, असरदार नेताओं, एक अवकाशप्राप्त अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक समेत 8 पुलिस अधिकारियों, 20 कारोबारियों-जिनमें सिनेमा उद्योग के लोग शामिल थे-और तमाम रईस छात्रों के रिकॉर्ड मौजूद हैं. आरोप है कि चौधरी पिछले सात साल से सेक्स, ब्लैकमेल और फि रौती का रैकेट चला रही थी.
पुलिस की जांच में पता चला है कि चौधरी और उसका 28 वर्षीय पति आर. दुर्गा प्रसाद न सिर्फ अमीर ग्राहकों को लड़कियां मुहैया कराते थे बल्कि फोन पर उनकी बातचीत और वीडियो भी फिरौती के लिए रिकॉर्ड करते थे.
पुलिस ने रिकॉर्डिंग की जांच के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों को बुला भेजा है और उसके रिकॉर्डिंग सहयोगी की भी तेजी से तलाश में जुट गई है. पुलिस का कहना है कि छापे के दौरान चौधरी और उसकी ओर से मुहैया कराई गई लड़कियों के साथ बनी 90 से ज्यादा सेक्स सीडी बरामद हुई हैं.
कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है. चौधरी ने 11 अप्रैल को एक स्थानीय अदालत को बताया कि 8 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच उसे हिरासत में लिए जाने के बाद सहायक पुलिस आयुक्त (बंजारा हिल्स) ई. शंकर रेड्डी ने उसके साथ जबरदस्ती की थी. उसने आरोप लगाया कि उसके इनकार करने पर रेड्डी ने एक महिला कांस्टेबल को बुलाकर उसकी पिटाई करने का आदेश दिया.
उसका दावा है कि पुलिस ने न सिर्फ उस पर झूठा मुकदमा किया है, बल्कि उसके संपर्क वाले लोगों को फिरौती के लिए कॉल भी किया है और उन्हें फं साने की धमकी दी है. चौधरी का तो यह भी दावा है कि सीडी उसे बदनाम करने के लिए पुलिस की ओर से ही बनवाई गई हैं.
असल में बीती 31 मार्च को विशाखापत्तनम की रहने वाली 20 साल की मरेपल्ली लक्ष्मी ने स्थानीय चैनल एचएमटीवी पर चौधरी के खिलाफ आरोप लगाया कि उसने उसका यौन उत्पीड़न करवाया है. इसके बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज करके चौधरी को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस का कहना है कि चौधरी मासूम लड़कियों को फि ल्म में काम दिलवाने का झंसा देती थी और फिर उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल देती थी. उसे 27 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. महिला अधिकार कार्यकर्ता जया विंध्याला कहती हैं, ''यही कोई छह साल पहले चौधरी खुद को एक महिला के चंगुल से बचाने की गुहार लगाने हमारे पास आई थी, जो सेक्स रैकेट चलाती थी. तब हमने उसे छुड़ा लिया था.''
अब तक चौधरी ने पांच तेलुगु फि ल्मों में छोटे-मोटे रोल किए हैं. ये फिल्में हैं कालीसोच्चीना अदृष्टम, रैकेट, प्रियासाखी, लव टिकट और मस्का. उसके संपर्क-संबंध सिर्फ टॉलीवुड तक ही सीमित नहीं थे बल्कि नेताओं और अफ सरों से भी उसने रिश्ते बना लिए थे. उसने कथित तौर पर कॉल गर्ल्स का एक ऐसा नेटवर्क खड़ा किया था, जिसके तहत आंध्र प्रदेश के गुंटूर और चिलकलूरीपेट के अलावा बंगलुरू, चेन्नै और मुंबई तक लड़कियां भेजी जाती थीं.
अभी शुरुआती जांच में पता चला है कि उसके शिकारों में सत्तारूढ़ कांग्रेस से जुड़े एक कारोबारी के अलावा गुंटुर का पूर्व मेयर भी शामिल था. पुलिस उसके हाथों कांग्रेस के एक सांसद को ब्लैकमेल किए जाने के आरोपों की भी जांच कर रही है. चौधरी फि रौती की रकम को कथित तौर पर फिल्मों की फाइनेंसिंग में लगाती थी और जल्द ही वह खुद भी एक तेलुगु फिल्म की प्रोड्यूसर बनने वाली थी.
प्रकाशम जिले की रहने वाली चौधरी का असली नाम रविल राजेश्वरी है. उसे पहली बार बंजारा हिल्स पुलिस ने 2005 में एक चकलाघर से गिरफ्तार किया था. इसके बाद 2010 में इसने गुंटूर के एक सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ अपनी नौकरानी से बलात्कार की कोशिश का आरोप लगाकर सुर्खियां बटोरी थीं. इस बार के छापों में पुलिस को उस मामले की असलियत का पता लगाने के लिए भी पर्याप्त ताजा सामग्री मुहैया कराई है.