
तस्वीरों में देखने पर एकबारगी ये चीटियों की कॉलोनी जैसा कुछ लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है. ये तस्वीरें मिलेनियल और जेन ज़ी पीढ़ियों के विश्व में देखी गई सबसे भयानक मानवीय त्रासदी को दिखाती हैं. गज़ा के आसमान से ली गई ये सैटेलाइट तस्वीरें अकाल से जूझ रहे लोगों को दिखाती हैं. लोग बुनियादी खाद्य सामग्री जैसे आटा पाने के लिए राहत ट्रकों के चारों ओर हताशा से घेरा बनाए हुए हैं.
ये तस्वीर अमेरिकी कंपनी प्लैनेट लैब्स ने ली हैं. ये जगह इजरायली सैन्य विभाजन मोराग कॉरिडोर से लगभग 200 मीटर उत्तर में है. यही कॉरिडोर गज़ा पट्टी को विभाजित करता है और खान यूनिस और रफाह शहरों को अलग करता है. इस जगह की पहचान ओपन-सोर्स रिसर्चर जैक्स गोडिन ने भी की.
राहत सामग्री चाहने वालों की कतार ट्रकों से खान यूनिस शहर की ओर लगभग 2 किलोमीटर तक फैली है. सोशल मीडिया पर ऐसी और भी तस्वीरें और वीडियो देखे गए हैं. सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में उन जगहों पर फैली हताशा और अराजकता बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है जहां राहत सामग्री लिए ट्रक पहुंचे हैं.

सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में अकाल
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने चेतावनी दी है कि गज़ा में 25 फीसद छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं कुपोषित हैं. साथ ही इजरायल पर भुखमरी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया. राहत वितरण स्थलों पर उच्च मृत्यु दर की आलोचना भी की गई.
यूनिसेफ के एक अधिकारी ने कहा कि भोजन की कमी ने बच्चों को कचरे के ढेर में भोजन तलाशने के लिए मजबूर किया. तीन बच्चों की एक मां अमल अबू अस्सी ने रॉयटर्स को बताया कि बच्चे मर रहे हैं. वे पीले पड़ गए हैं और हड्डियों का ढांचा बन गए हैं. उन्होंने जाने कब से अंडे, मांस और फल जैसे पोषक भोजन को देखा ही नहीं है. ज़ाहिर तौर पर पुरुषों के पास नौकरियां नहीं हैं. जीने का कोई साधन नहीं है. यहां जीवन पूरी तरह से खात्मे के कगार पर है. उन्होंने खाना पकाने के लिए ईंधन की कमी की भी शिकायत की.
अमल ने कहा कि लोग राहत पाने के लिए लंबी दूरी दौड़ते हैं. वे अपमानित, घायल और पिटे हुए लौटते हैं. इजरायल पर ग़ज़ा में नागरिकों के खिलाफ अत्याचारों का आरोप है. उसने महीनों से खाद्य राहत ट्रकों के प्रवेश को हर मुमकिन कोशिश करके रोका है. इससे बेहद खतरनाक कुपोषण बढ़ता ही जा रहा है.
इस चुनौती से निपटने के लिए कई देशों ने हवाई जहाज से गज़ा में राहत सामग्री गिराई. लेकिन गज़ा के नागरिकों का कहना है कि यह उतना असरदार साबित नहीं हुआ जितना हो सकता था या होना चाहिए था. एक फिलस्तीनी व्यक्ति मोहम्मद अबूल एनिद ने रॉयटर्स को बताया कि एक बार राहत पैकेज एक छत पर गिरा. लोग उस घर पर टूट पड़े. ये राहत वितरण का सही तरीका नहीं है. लोग एक राहत पार्सल के लिए हम पर हमला करते हैं. लोग भूखे हैं और इसने उन्हें आक्रामक बना दिया है.

रोटी के बदले गोली!
हाल के हफ्तों में गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन की तरफ से चलाई जा रहे राहत सामग्री वितरण के दौरान कई नागरिक मारे गए हैं. इस फाउंडेशन को अमेरिका और इजरायल का समर्थन प्राप्त है. ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार करीब 600 फलस्तीनी इन जगहों पर राहत सामग्री लेते समय मारे गए.
यूके के स्काई न्यूज की तफ्तीश में पाया गया कि जब फाउंडेशन राहत वितरण करता है तब मृत्यु दर बढ़ जाती है. यह चैरिटी फाउंडेशन अक्सर 30 मिनट से भी कम समय की सूचना के साथ राहत सामग्री बांटने की शुरुआत करता है.