निर्देशकः इम्तियाज अली
कलाकारः रणबीर कपूर, नरगिस फ़ाख़री
रॉकस्टार हीर-रांझा का सा ही किस्सा है पर यह हकी़की़ से ज्यादा मिज़ाजी और जिस्मानी इश्क़ है. जिम मॉरिसन बनने निकले दिल्ली के प्रीतमपुरा के, एक कॉलेज के खांटी जाट जनार्दन जाखड़ (कपूर) उर्फ जॉर्डन के संगीत में कोई तड़प नहीं आ पा रही. तड़प और शिद्दत पैदा करने के लिए अपने सद्गुरु, कैंटीन मालिक खटाना के मशविरे पर वह दिल तुड़वाने निकलता है.
बस दो कदम. सड़क के पल्ली तरफ सेंट स्टीफंस (कॉलेज) में बैठी है दिल तोड़ने की मशीन हीर (फ़ाख़री) जॉर्डन का प्रस्तावः ''मैं और तुम रॉक कर देंगे.'' जवाबः ''बगर ऑफ...टांगें तुड़वा दूंगी.'' फाइनली दोनों का भागकर जंगली जवानी फिल्म देखना, हीर की कश्मीर में शादी, उसका चेक की राजधानी प्राग में बसना, तड़पन में रांझड़े का कव्वाली और जगराते गाना, म्युजि़क इंडस्ट्री का उसे भुनाना और दोनों का फिर मिलन-बिछुड़न.
23 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे16 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
रॉकस्टार में इम्तियाज जब वी मेट वाले तेवर को ही आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं (हालांकि उतने कामयाब नहीं होते): मॉडर्न रोमांस की मिलवां जबान, ताजा वोकैबुलरी और आज के संदर्भ. एक नई, रोचक और रियलिस्टिक पृष्ठभूमि में किस्सा आगे बढ़ता है. दिल्ली के बाद कश्मीर में ब्याह के रिवाजों से संगीत भरे विजुअल और चेक देश की शांत-गुलाबी बसाहटें. फिल्म की जान बिलाशक् रणदीप हैं.
बेहतरीन अदायगी से वे युवाओं के बड़े तबके की आवाज बन जाते हैं. और नरगिस! दुविधा और द्वंद्व की एक समूची ग़ज़ल चेतन आनंद की हीर रांझा की प्रिया राजवंश-सी वे भी बहुत सुंदर नहीं पर रोटी से रिसती भाप-सी उनकी जैविक सांसों को दूर तक और देर तक महसूस किया जा सकता है. उत्तरार्ध में भी कथा का यथार्थ कायम रहता तो रॉकस्टार बेहतर होती.