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माय समीकरण से आगे बढ़ता राजद

राजद की ओर से अब सवर्ण और अति पिछड़ी जातियों को भी जोड़ने की कोशिश की जा रही है.

राजद नेता तेजस्वी यादाव (पीटीआइ)
राजद नेता तेजस्वी यादाव (पीटीआइ)
अपडेटेड 17 अक्टूबर , 2020

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने कोर वोट बैंक (मुस्लिम-यादव) को एकजुट रखते हुए अति पिछड़ा और सवर्णों को भी साधने की पहल शुरू कर दी है. इसके लिए राजद ने काफी संख्या में इन दोनों जातियों के प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. राजद के प्रति सवर्णों का भी रुझान हो इसके लिए न सिर्फ मनोज झा को राजद ने राज्यसभा का सदस्य बनाया बल्कि पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी सवर्ण वर्ग के जगदानंद सिंह को बनाया गया.

महागठबंधन का नेतृत्व कर रहा राजद इस बार कुल 144 सीटों पर चुनाव मैदान में है. इसकी सहयोगी कांग्रेस 70 और वामपंथी पार्टियां 29 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. राजद ने इस बार अति पिछड़ा वर्ग से 24 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. इसके अलावा 12 सवर्णों को भी टिकट दिया गया है. राजद ने अपने कोर वोटर को ध्यान में रखते हुए 58 यादव और 17 मुस्लिमों को प्रत्याशी बनाया है. राजद की तरफ से पहली बार इतनी संख्या में सवर्णों और अति पिछड़ों को टिकट दिया गया है.

राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा कहते हैं कि पार्टी समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलेगी. वह कहते हैं, "चाहे सवर्ण हो या फिर अति पिछड़ा नीतीश कुमार से सभी निराश हो चुके हैं और महागठबंधन को इस बार सभी जातियों और धर्मों के लोगों का आशीर्वाद मिलेगा.” मनोज झा के इस दलील पर पलटवार करते हुए बिहार प्रदेश भाजपा के महासचिव देवेश कुमार कहते हैं, “समाज का कोई भी वर्ग हो राजद के जंगलराज को भूला नहीं है. इसलिए राजद चाहे किसी भी जाति के लोगों को प्रत्याशी बनाए इससे फर्क नहीं पड़ने वाला है और एनडीए बड़े अंतर से चुनाव में जीत हासिल करेगा.”

बिहार के राजनीतिक दलों के जानकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "राजद ने जिस तरीके से टिकट दिया है उसका साफ मतलब है कि वह जद (यू) और भाजपा के कोर वोट में सेंध लगाने की कोशिश में है. यदि माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण  एकजुट रहता है और अति पिछड़ा और सवर्ण वोट यदि राजद को 15-20 फीसद भी मिला तो फिर राजद का प्रदर्शन काफी अच्छा रहेगा." मणिकांत का मानना है कि चूंकि राजद ने कांग्रेस को 70 सीटें दी है और लेफ्ट को 29 सीट दिया है, ऐसे में ब्राम्हण और अति पिछड़ों का वोट इस गठबंधन के खाते में जाएगा क्योंकि सवर्णों का विरोध कांग्रेस से नहीं है.

बिहार में जातीय समीकरण के हिसाब से ईबीसी की संख्या 26 फीसद है. यह तबका नीतीश कुमार का बड़ा वोट बैंक है. सवर्णों की संख्या लगभग 15 फीसद है जिनमें ज्यादातर भाजपा के समर्थक हैं. इसके उलट 26 फीसद ओबीसी और 17 फीसद मुस्लिम मिलाकर कुल 43 फीसद वोटर राजद के कोर वोटर माने जाते हैं. दलितों और महादलितों की संख्या लगभग 16 फीसद है जो दोनों प्रमुख गठबंधनों के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं.

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