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योगी के इलाके की झील बनी यूपी की पहली वेटलैंड

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के पूर्वी छोर पर स्थित रामगढ़ झील प्रदेश की पहली वेटलैंड बन गई है. यह प्राकृतिक झील 737 हेक्टेयर में फैली है.

रामगढ़ झील
रामगढ़ झील
अपडेटेड 19 जून , 2020

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के पूर्वी छोर पर स्थित रामगढ़ झील प्रदेश की पहली वेटलैंड बन गई है. इसके लिए प्रारंभिक अधिसूचना 15 जून को जारी हो गई है. यह प्राकृतिक झील 737 हेक्टेयर में फैली है. मुख्यमंत्री योगी ने 9 मार्च 2018 को रामगढ़ताल (झील) को वेटलैंड (आर्द्रभूमि) घोषित किया था लेकिन अधिसूचना में कुछ गाटों का अंकन त्रुटिपूर्ण होने से वापस ले लिया गया था. अब तकनीकी परीक्षण और आपत्तियों की सुनवाई के बाद अंतिम अधिसूचना जारी हो जाएगी.

नोटिफिकेशन के बाद झील के 50 मीटर के दायरे में कोई नया उद्योग नहीं लग सकता. पुरानी इकाईयों के विस्तार पर रोक होगी. इस दायरे में खतरनाक किस्म के कचरे, पालीथिन, नान बायोग्रेडिबल वस्तुओं ठोस कचरे, गंदा पानी, अशोधित सीवेज के निस्तारण पर भी रोक होगी. नौकायन के लिए जेट्टी को छोड़ कर हर तरह के निर्माण कार्य पर रोक होगी. बंधे का निर्माण, मछली पालन, सिंघाड़े की खेती, सडक़ निर्माण और पशुओं को चराने आदि की गतिविधियों को जिला स्तर डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति रेगुलेट करेगी.

गोरखपुर की रामगढ़ झील देखरेख के अभाव में बदहाल हो चुकी थी. महानगर के करीब आधे दर्जन नालों का मल-जल सीधे इसमें गिरता था. किनारों से गुजरने पर पानी से दुर्गंध आती थी. झील का बड़े हिस्से में जलकुंभी से पटा था. सिल्ट पटने से झील की औसत गहराई लगातार घट रही थी. पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा कम होने से जैव विविधता लगातार घट रही थी. बतौर सांसद योगी इसके लिए संसद से लेकर सड़क तक लगातार आवाज उठाते रहे. इसमें गति तब आई जब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सूबे की कुछ अन्य झीलों के साथ रामगढ़ को भी राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल कर लिया. पिछली सरकारों ने इसके बावजूद भी रामगढ़ झील के सुंदरीकरण के लिए कोई प्रयास नहीं किए.

मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही योगी ने रामगढ़ झील में सुधार के प्रयास तेज किए थे. इस झील के समीप ही चिड़ियाघर भी बन रहा है. कानपुर और लखनऊ के बाद यह यूपी का तीसरा चिड़ियाघर होगा. इसके अलावा यहां पर वाटर स्पोर्ट्स पार्क भी तैयार हो रहा है. डीएफओ, गोरखपुर अविनाश कुमार ने बताया कि 30 जून तक प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण को आपत्तियां भेजी जा सकती हैं. आपत्तियों के निस्तारण के बाद अंतिम अधिसूचना जारी हो जाएगी.

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