भंवरी देवी ने राजस्थान के सबसे ताकतवर राजनीतिकों में से एक को ब्लैकमेल करने की जुर्रत करके शायद अपनी मौत के वारंट पर खुद ही दस्तखत कर दिए थे. एक साल से ज्यादा समय से जोधपुर और जयपुर के सियासी हलकों में एक सेक्स सीडी के बारे में फुसफुसाहट सुनी जा रही थी, जिसमें तत्कालीन कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा के शामिल होने की बात कही जा रही थी.
बताया जा रहा था कि उस सीडी में वे भंवरी के साथ शारीरिक संबंध कायम कर रहे हैं. उसमें कलाई की घड़ी के सिवा मदेरणा के शरीर पर कपड़े का एक सूत भी नहीं है. भंवरी को अच्छी तरह पता था कि यह सीडी लोगों के सामने आई तो उसकी जान को खतरा हो सकता है. टेप की गई टेलीफोन की एक बातचीत, जो रहस्यमय ढंग से इस साल 4 नवंबर को सार्वजनिक हो गई, में भंवरी को कहते हुए सुना जा सकता है, ''दोनों सीडी अजमेर के लॉकर में हैं.
23 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे16 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
मैं लॉकर का कोड बता दूंगी. मुझे कुछ हुआ तो वो सीडी निकाल लेना...'' और जिसका डर था वही हुआ. 1 सितंबर को 36 वर्षीया नर्स भंवरी, जो कम-से-कम एक कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के एक अन्य विधायक की माशूका थी, का अपहरण हो गया. अभी तक उसके जिंदा या मुर्दा होने के बारे में कुछ पता नहीं है.
आधिकारिक तौर पर वह गायब है. लेकिन इंडिया टुडे ने जिससे भी बात की, उनमें से शायद ही किसी का मानना है कि वह अभी जिंदा है. उसके गायब होने के पखवाड़े भर बाद पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि उसे जालौर के बिश्नोई गैंग के साथ एक स्कॉर्पियो में जोधपुर के पास बिराला से भागते हुए देखा गया था.
इसके एक महीने बाद सीबीआइ को जांच के लिए बुलाया गया. जांच एजेंसियों को अब भी उसका कोई अता-पता नहीं है. न ही यह पता है कि वह जिंदा है या नहीं. जांच एजेंसियां उस रहस्यमय गैंग का पता लगाने में भी कामयाब नहीं हुई हैं. बहरहाल, उन्होंने दो लोगों को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया है. एक छोटे स्तर के ठेकेदार सोहनलाल बिश्नोई को मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है. वह लुणी के विधायक मलखान सिंह बिश्नोई का चचेरा भाई है.
मलखान के साथ भंवरी के 10 साल पुराने प्रेम संबंध का रहस्य जोधपुर में किसी से छुपा नहीं है. एक मोटर मेकैनिक और पुराना अपराधी शहाबुद्दीन भी जेल में है. भंवरी को आखिरी बार उन्हीं के साथ देखा गया था. दोनों अपराधी प्रकृति के हैं और जाहिरी तौर पर उन्होंने किसी से सुपारी लेकर अपराध को अंजाम दिया होगा. उन्हें किसी ऐसे शख्स ने सुपारी दी होगी जिसे भंवरी के गायब होने से फायदा होगा.
राजस्थान पुलिस से 12 अक्तूबर को इस मामले को हाथ में लेने वाली सीबीआइ को तीसरे संदिग्ध सही राम बिश्नोई की तलाश है. भंवरी के गायब होने के पीछे मुख्य हाथ उसी का माना जा रहा है. जिस दिन भंवरी गायब हुई, उस दिन सही राम के मोबाइल से शहाबुद्दीन और सोहनलाल को 27 फोन किए गए थे.
9 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे2 नवंबर 201: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि उसके मोबाइल के जीपीएस के मुताबिक, फोन करने के समय वह जयपुर में मदेरणा के घर के पास था. मदेरणा ने भी इंडिया टुडे के साथ बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि 1 सितंबर को सही राम उनके घर पर था. इसके बाद वह खुद भी 'गायब' हो गया. गायब होने के बाद पहले हफ्ते में सही राम को जोधपुर में देखा गया था. वह अब भी फरार है.
जो चीज सामने आई है, वह है सीडी, जो अभी तक गायब बताई जा रही थी. 10 नवंबर को कुछ स्थानीय टीवी चैनलों पर इसके कुछ हिस्सों को धुंधला करके प्रसारित किया गया. 49 मिनट की यह सीडी भंवरी और मदेरणा के एक-दूसरे के कपड़े उतारने के साथ शुरू होती है. कैमरे में मदेरणा की फुसफुसाहट भी कैद हो गई है, जिसमें वे शाही अंदाज में बहुवचन का प्रयोग करते हुए भंवरी के कान में कहते हैं, ''हम तुम्हें प्यार करते हैं.''
भंवरी को पता था कि गुप्त कैमरा कहां रखा गया है. इसलिए जब उसकी कपड़े उतारने की बारी आती है, तो वह कैमरे की नजर से दूर हट जाती है. सीडी के ज्यादातर हिस्से में उसकी पीठ ही दिखाई देती है या वह बिस्तर पर अपने हिस्से में लेटी हुई दिखाई देती है. मदेरणा कैमरे के कोणों के मामले में इतने भाग्यशाली नहीं रहे.
शौकिया या साजिश के तहत तैयार की गई इस सीडी को राजनैतिक थ्रिलर बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. सीडी पर हर तरफ बवाल मचने के बाद 15 नवंबर को इस सामंती राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने सभी मंत्रियों से इस्तीफा देने के लिए कहना पड़ा. मुश्किलों से घिरे गहलोत ने इस घटना से होने वाले नुक्सान की भरपाई के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल कर दिया है.
अगर भंवरी अब भी जीवित है, तो वह जरूर मुस्करा रही होगी कि एक औरत के साथ इंसाफ हुआ. टेलीफोन पर टेप की गई एक दूसरी बातचीत, जो अब सबके सामने आ चुकी है, में उसे यह दावा करते हुए सुना जा सकता है कि ''राजस्थान में अशोक सरकार का तख्त पलट जाएगा.'' उसका दावा सही था.
भंवरी की सबसे घातक गलती यह थी कि उसने सीडी को सबसे ज्यादा पैसा देने वाले को नीलाम करने की कोशिश की. टेलीफोन पर की गई तीन बातचीत से पता चलता है कि जब वह मदेरणा और अपने बीच सोहनलाल को बिचौलिए के तौर पर इस्तेमाल कर रही थी, तभी उसने उससे दिल्ली में एक पार्टी से संपर्क करने को भी कहा. जाहिरी तौर पर मदेरणा वह सीडी खरीदने के लिए तैयार हो गए थे. इस बातचीत में सोहनलाल को भंवरी से कहते हुए सुना जा सकता है, ''मैंने मदेरणा से बात की है और वे पैसा देने को तैयार हैं.''
भंवरी सावधान करती है, ''अगर वे समझैता के लिए तैयार हैं तो दोनों सीडी उन्हें सौंप दूंगी, नहीं तो एक, दो, तीन कई प्रतियां बना दूंगी.'' इस बातचीत से जाहिर है कि अगर मदेरणा पैसा देने से इनकार करते हैं तो सीडी के उजागर होने का खतरा है. यही वह धमकी है, जो जोधपुर के पास बोरुंदा की सहायक नर्स के लिए उलटी पड़ गई.
19 अक्टूबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
12 अक्टूबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
5 अक्टूबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
अगर भंवरी मर चुकी है, तो किसने उसकी हत्या की? किसने कुछ ही दिनों के भीतर सीडी और टेलीफोन की तीन बातचीत को लीक किया? क्या जयपुर में सबसे ऊंचे राजनैतिक स्तर पर कुछ लीपापोती करने की कोशिश की जा रही है? ये सवाल अब गहलोत के राजस्थान से बाहर भी गूंजने लगे हैं. अगर गहलोत ने भंवरी के गायब होने के तुरंत बाद मदेरणा को इस्तीफा देने के लिए कह दिया होता तो वे इस सेक्स स्कैंडल के दुष्परिणामों को रोक सकते थे. पुलिस जांच के दौरान मदेरणा का नाम सामने आ चुका था और भंवरी के साथ उनके संबंधों के बारे में हर कोई जानता था.
सात भाई-बहनों में सबसे छोटी भंवरी एक गरीब घर में पैदा हुई थी. अजमेर से 25 किमी दूर किशनगढ़ में आदित्य सूत मिल में उसके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे. उसकी पढ़ाई-लिखाई एक सरकारी स्कूल में कक्षा आठ तक हुई, जिसके बाद 14 साल की उम्र में उसकी शादी जोधपुर में बोरुंदा गांव के एक सीनियर सेकंडरी के विद्यार्थी अमर चंद के साथ कर दी गई.
भंवरी के ससुर, जो सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी थे, ने उसे नर्स बनने के लिए प्रोत्साहित किया. युवा भंवरी को 1999 में जैसलमेर में सहायक नर्स और मिडवाइफ (दाई) के रूप में नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद ही उसे पहली बार पैसों से मिलने वाली आजादी का एहसास हुआ. प्रति माह 8,000 रु. वेतन पाने वाली भंवरी अपना पैसा स्टुडियो में तस्वीरें खिंचवाने और पति के हाथों में हाथ डालकर शहर के पार्कों में घूमने में खर्च करने लगी. शायद तभी उसने अपने और अपने परिवार की खातिर और पैसे कमाने का फैसला किया.
वह अपने बेटे साहिल को पास के भीलवाड़ा शहर के एक अच्छे कॉलेज में भेजना चाहती थी और अपनी दो बेटियों-अश्विनी और सुहानी-को शिक्षित करना चाहती थी ताकि उन्हें उसकी तरह अभावों वाली जिंदगी न गुजारनी पड़े. वह लॉरियल क्रीम और एलो वेरा (घीक्वार) ज़ेल का इस्तेमाल करना चाहती थी. उसने 2009 में अपने पति के लिए एक सफव्द मारुति स्विफ्ट खरीदी ताकि वह टैक्सी सर्विस चला सके. 2011 में उसने पति के लिए एक इंडिगो कार खरीदी. उसे जो कुछ मिला था उससे वह अपनी जिंदगी संवारना चाहती थी.
लेकिन अब उसके परिवार के लोग इसे अलग तरह से देखते हैं. उसके बड़े भाई किशोर राजनट, जो किशनगढ़ में रहते हैं और शादियों में बाजा बजाने वाला बैंड चलाते हैं, कहते हैं, ''भंवरी लालची और महत्वाकांक्षी थी.'' सीबीआइ के विपरीत वे अपनी बहन के लिए अब भूतकाल का इस्तेमाल करते हैं. भाई का मानना है कि खतरनाक अवैध संबंधों की वजह से उसकी हत्या कर दी गई.
गुलाबी और नीले रंग के अपने दो बेडरूम वाले दोमंजिला मकान के बाहर चारपाई पर बैठे अमर चंद बताते हैं, ''वह नर्स के रूप में सिर्फ 21,000 रु. प्रतिमाह कमाती थी.'' वह स्थानीय म्युजिक वीडियो में काम करके भी कुछ पैसे कमा लेती थी. भंवरी कथक की अच्छी नृत्यांगना थी. उसने म्युजिक वीडियो के विज्ञापन देखकर उनमें भूमिका निभाने के लिए संपर्क किया. लेकिन वे मानते हैं कि पिछले एक साल से वह तनाव में थी और किन्हीं ख्यालों में खोई-खोई रहती थी. उसका स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा था, वह अवसादग्रस्त हो गई थी
वह थायरॉयड और अवसाद के लिए इंजेक्शन भी लेने लगी थी. लेकिन उसके पति को उन दवाइयों का नाम नहीं पता है. शायद अपना शारीरिक आकर्षण खोने के डर से भंवरी ने एक ही बार लगने वाली लॉटरी के तौर पर सीडी बनाने का फैसला किया. बोरुंदा के अपने घर में अमर चंद कैनवास के बैग से एक बच्चे की कॉपी निकालते हैं. उसके हर पन्ने पर उन्होंने अपनी पत्नी के गायब होने वाली खबरों की क्लिपिंग चिपका रखी है. भंवरी के 40 वर्षीय पति के पास अब अपनी पत्नी से संबंधित यह कॉपी और एक दराज में भरी उसकी तस्वीरें ही रह गई हैं. हां, उसकी खरीदी हुई कारें भी हैं.
28 सितंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
21 सितंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
7 सितंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
वे कहते हैं कि 1 सितंबर को उनकी पत्नी अपने साथ सीडी भी ले गई थी और उस रोज के बाद वह घर नहीं लौटी. भंवरी ने उसे बताया था कि उसके पास एक सीडी है, ''जिसके लिए कोई चुप रहने के लिए पैसे दे रहा है.''
अमर चंद का यह भी कहना है कि उन्हें उस समय यह नहीं पता था कि उस सीडी में क्या है. उन्हें उस सीडी के बारे में तब पता चला जब उसे सारे राजस्थान ने टीवी पर देखा. उनके दो बड़े बच्चे भी अब उस सीडी के बारे में जानते हैं. सबसे छोटी बेटी सात वर्षीया सुहानी ही घर में इस सबसे अनजान है. उसे अब भी यकीन है कि एक दिन रात को उसकी मां उसे दुलार के साथ सुलाने के लिए वापस आ जाएगी.
जबकि 15 वर्षीया अश्विनी जयपुर के बोर्डिंग स्कूल में है और 17 वर्षीय साहिल खामोश है. वह अपनी मां के गायब होने के बाद से घर से बाहर नहीं निकला है, ''क्योंकि मेरे पास मां के बारे में लोगों के सवालों का कोई जवाब नहीं है.'' वह अपनी टी-शर्ट, जिस पर प्लेब्वॉय का जाना-पहचाना खरगोश छपा हुआ है, की आस्तीन से भौं पोछता है.
अमर चंद के मुताबिक, उनकी पत्नी ने उन्हें बताया था कि वह सोहनलाल से मिलने बिलारा जा रही है. अमर चंद कहते हैं, ''वह (सोहनलाल) पिछले दो साल से हमारे यहां आता-जाता था.. पिछली बार वह 27 अगस्त को आया था और मेरी पत्नी ने उसे राखी बांधी थी.'' पुलिस को दिए गए सोहन के बयान और अपने पति को बताई गई भंवरी की जानकारी के मुताबिक, सोहनलाल उसकी दो साल पुरानी डीजल स्विफ्ट कार 4.75 लाख रु. में खरीदने के लिए राजी हो गया था, जबकि बाजार में ऐसी ही नई कार की कीमत 4.69 लाख रु. से 5.5 लाख रु. के बीच है.
वह पहले ही उसे 50,000 रु. दे चुका था और बाकी की रकम उनके घर से 35 किमी दूर बिलारा में देने के लिए राजी था. सोहनलाल के पास पहले ही स्विफ्ट कार पहुंचा देने के बाद भंवरी ने हाल ही में अपने पति के लिए एक नई इंडिगो कार खरीद दी थी. अमर चंद इन दो कारों से अपनी टैक्सी सर्विस चलाते थे. 1 सितंबर के मनहूस दिन इंडिगो कार खराब हो गई थी.
इसलिए भंवरी ने दोपहर 1.30 बजे बस से सफर किया.
अमर चंद के मुताबिक, उस दिन दोपहर बाद 4 बजे उन्होंने फोन पर भंवरी को बताया कि इंडिगो ठीक हो गई है और वे उसे वापस लेने के लिए आ सकते हैं. लेकिन भंवरी ने यह कहकर मना कर दिया कि सोहनलाल उसे छोड़ देगा. अपनी पत्नी के साथ यही उनकी आखिरी बातचीत थी. जब वह शाम 6.30 बजे तक घर वापस नहीं आई तो अमर चंद ने दोबारा उसे फोन किया. वे कहते हैं, ''मेरी पत्नी का मोबाइल बंद था.'' फिर उन्होंने सोहनलाल को फोन लगाया तो उसने बताया कि बबलू (भंवरी घर में प्यार से इसी नाम से बुलाई जाती थी) तो उससे मिली ही नहीं. रात 9 बजे अमर चंद को चिंता हुई और वे खुद सोहनलाल के घर गए. वे कहते हैं, ''उसकी पत्नी ने कहा कि वह बाहर गया है.''
अब अमर चिंतित हो उठे. वे अगली सुबह 9.30 बजे बोरुंदा के थाने में भंवरी के गायब होने की रिपोर्ट लिखाने गए. पुलिस अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट लिखाने से पहले वे बिलारा में खुद उसकी तलाश करें. कुछ घंटे बाद पुलिस ने उन्हें बुलाया और बिलारा में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी. वे बताते हैं, ''मैंने दोबारा सोहनलाल को फोन किया और कहा कि बबलू अभी तक घर नहीं लौटी है. उसने मुझसे पूछा, 'कोई जाट कोई काम तो नहीं कराय दिए हो. (क्या तुम्हें यकीन है कि किसी जाट ने उसकी हत्या तो नहीं कर दी?)''
दो दिन बाद 4 सितंबर को पुलिस महानिरीक्षक उमेश मिश्र बिराला आए और भंवरी के गायब होने की खोजबीन शुरू कर दी.
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5 सितंबर को भंवरी के अपहरण के मामले में एफआइआर, जिसका नंबर 383-11 था, दर्ज करके सोहनलाल को गिरफ्तार कर लिया गया. उसमें मदेरणा का कोई जिक्र नहीं था.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान सोहनलाल ने कहा कि उसने भंवरी को शहाबुद्दीन के हवाले कर दिया. भंवरी जाहिरी तौर पर शहाबुद्दीन को राजू भैया के तौर पर जानती थी. सोहनलाल का कहना था कि भंवरी शहाबुद्दीन के बोलेरो में उसके और ड्राइवर के साथ गई. सोहनलाल के मुताबिक, भंवरी को उसने तभी आखिरी बार देखा था. शहाबुद्दीन का दावा है कि उसने भंवरी को एक स्कॉर्पियो में कुछ लोगों को सौंप दिया था.
पुलिस के एक सूत्र के मुताबिक, ''उसने कहा कि वह उन लोगों को जानती थी और उनके साथ बोरुंदा वापस जाना चाहती थी.'' जांच यहीं आकर ठहर गई. विभिन्न कड़ियों को जोड़ने और यह जानने की कोई कोशिश नहीं की गई कि सोहनलाल ने किसके कहने पर भंवरी को शहाबुद्दीन के हवाले किया था. मजे की बात है कि सोहनलाल के मदेरणा से अच्छे संबंध हैं. वह जन स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग विभाग में ठेकेदारी करता है. मदेरणा हाल तक इसी विभाग के मंत्री थे.
शुरू में मदेरणा ने कहा कि वे भंवरी को नहीं जानते थे. लेकिन जब सीडी का खुलासा हुआ तो उन्होंने सचाई कबूल कर ली. उन्होंने सीबीआइ को बताया कि भंवरी से उनके रिश्ते तो थे, लेकिन उसकी गुमशुदगी में उनका कोई हाथ नहीं है. 11 नवंबर को सीबीआइ की पूछताछ के बाद उनकी पत्नी लीला मदेरणा का जवाब था, ''किसी के साथ प्रेम संबंध रखना और उसकी सीडी बनाना कोई जुर्म नहीं है.'' लेकिन उनकी आंखों पर चढ़े डिजाइनर चश्मे ने उनकी दिली भावनाओं को छुपा लिया.
ऐसे में ताज्जुब नहीं कि 14 नवंबर को राजस्थान हाइकोर्ट की जोधपुर पीठ ने जांच में ढिलाई बरतने के लिए सीबीआइ की खिंचाई की. जोधपुर में अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद पुरोहित कहते हैं, ''सीबीआइ ने चार हफ्ते की मांग की थी, लेकिन अदालत ने उन्हें 10 दिन के भीतर भंवरी के ठिकाने के बारे में जानकारी देने को कहा...आज तक उसकी हत्या का कोई सबूत नहीं मिला है.
पुलिस सीबीआइ के साथ सहयोग कर रही है.'' अदालत ने सीबीआइ को यह भी चेतावनी दी कि इस मामले का हश्र दिल्ली के उपनगर नोएडा में आरुषि तलवार हत्या के मामले जैसा न हो जाए. सीबीआइ मदेरणा से दो बार और मलखान से तीन बार पूछताछ कर चुकी है. पूछताछ के दौरान सीबीआइ ने दोनों को आमने-सामने भी मिलाया, क्योंकि मदेरणा का कहना था कि मलखान ने ही भंवरी को उनसे मिलवाया था. पहले तो मलखान ने इससे इनकार किया, लेकिन बाद में मान लिया.
मलखान की बहन इंदिरा बिश्नोई, जो भंवरी की करीबी थीं, ने 7 नवंबर को बताया कि भंवरी पिछले साल गहलोत से मिली थी और उन्हें सीडी के बारे में बताया था. गहलोत ने कभी भी जोर देकर इस बात से इनकार नहीं किया है. इस आरोप पर उनकी प्रतिक्रिया थी, ''मैं हर रोज कई लोगों से मिलता हूं. मैं यह याद नहीं रख सकता कि कौन मुझसे मिला और कौन नहीं. लेकिन यह मेरे लिए खबर है कि भंवरी ने मुझे मदेरणा से संबंधित वीडियो टेप के बारे में बताया.''
स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता बताते हैं कि दिसंबर, 2008 में गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के शुरुआती छह महीने के दौरान मदेरणा मुख्यमंत्री का विरोध करने का कोई अवसर नहीं गंवाते थे. लेकिन साल भर बाद अचानक बदलाव आ गया और मदेरणा मुख्यमंत्री की हर बात मानने लगे. कांग्रेस के एक विधायक का कहना है, ''शायद गहलोत ने उन्हें सीडी को सार्वजनिक करने की धमकी से उन्हें डरा दिया था.''
2003 में किसी समय मलखान ने भंवरी को मदेरणा से मिलवाया था, क्योंकि वह अपनी एक मित्र का तबादला कराना चाहती थी. फिर राजनैतिक संपर्क पाने के लालच में एक सहायक नर्स खतरनाक राह पर चल पड़ी. ऐसी खबरें भी हैं कि भंवरी के संबंध दूसरे राजनीतिकों से भी थे, लेकिन मदेरणा और मलखान के अलावा किसी और का नाम सामने नहीं आया है. अमर चंद कहते हैं कि उन्हें सिर्फ दो लोगों की जानकारी थीः ''कोई औरत अपने पति को इन बातों के बारे में नहीं बताती है. मुझे उसके फोन से होने वाली बातचीत से संदेह था कि उसके संबंध इन दोनों (मदेरणा और मलखान) से हैं.''
ऐसी भी अफवाहें हैं कि उसका एक बच्चा वास्तव में मलखान से रिश्तों के कारण पैदा हुआ था और भंवरी डीएनए टेस्ट कराने की इच्छुक थी. अमर चंद कहते हैं, ''बच्चे मेरे हैं. यह मैं खुद कह सकता हूं.'' लेकिन इससे अफवाहें थमने वाली नहीं हैं. एक स्थानीय व्यापारी का दावा है कि मलखान की बेटी की शादी के दौरान भंवरी ने वहां तमाशा खड़ा कर दिया था. वह कह रही थी कि उसकी एक बेटी, जिसे वह मलखान से पैदा हुई बता रही थी, को बराबर का हक मिलना चाहिए.
अगर स्थानीय अफवाहों पर यकीन किया जाए तो ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी थीं, जिनमें से एक घटना पिछले साल जोधपुर में मलखान के हीरो होंडा शोरूम की है. एक स्थानीय व्यापारी कहते हैं, ''भंवरी और मलखान को पति-पत्नी के रूप में देखा जाता था. मदेरणा और भंवरी सार्वजनिक रूप से कभी साथ नहीं देखे गए.''
बोरुंदा में भंवरी के घर में अस्त-व्यस्त रूप में पैसे का असर देखा जा सकता है. आंगन में एक फ्रिज रखा है, जिसके ऊपर एक छोटा टेलीविजन रखा है. फ्रिज के सामने एक मटका भी रखा है. रसोई में स्टील के बर्तन हैं, लेकिन बाथरूम के बाहर वाशिंग मशीन भी रखी है. बाजरा के खेतों से घिरे गांव के इस घर में एक ट्रेडमिल भी मौजूद है. उसके बिस्तर के बगल में एक पुराना ट्रांजिस्टर भी रखा है. अमर चंद अपनी पत्नी के शौक के बारे में मुस्कान के साथ बताते हैं, ''उसे अच्छे कपड़े पहनने का बहुत शौक था.'' उन्होंने एफआइआर में लिखाया था कि वह घर से ''भूरे रंग की डिजाइनर साड़ी पहनकर गई थी.''
भंवरी का झ्टका दिल्ली तक पहुंच गया है. टीवी पर सीडी के सामने आने से पहले ही गहलोत तीन हफ्ते के भीतर कम-से-कम तीन बार दौड़कर दिल्ली जा चुके थे. वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दो बार मिले. कांग्रेस के एक महासचिव बताते हैं, ''उन्हें एक आखिरी मौका दिया गया है.'' मदेरणा परिवार का प्रभाव हालांकि जोधपुर के कुछ जाटबहुल इलाकों तक ही सीमित है, लेकिन यह पहला सेक्स घोटाला है, जिसने राजस्थान को हिलाकर रख दिया है. गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब इस फेहरिस्त में अवैध संबंध भी जुड़ गया है.
यह अकेला सेक्स घोटाला नहीं है. एक स्थानीय अखबार ने 29 सितंबर की अपनी रिपोर्ट में एक अन्य कैबिनेट मंत्री रामलाल जाट को इस तरह के मामले में लिप्त बताया है. उस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जाट की एक महिला मित्र पारस देवी ने 27 सितंबर को आत्महत्या कर ली थी. जाट उस समय भीलवाड़ा में अपने निर्वाचन क्षेत्र में जिला परिषद की बैठक कर रहे थे. वे भागकर अस्पताल पहुंचे और उसी रात शव का पोस्टमार्टम कराने का दवाब डालने लगे.
उन्हें जब बताया गया कि पोस्टमार्टम अगले दिन होगा तो वे लाश को दूसरे अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टरों के अभाव में वापस लौटना पड़ा. पोस्टमार्टम में कोई भी संदिग्ध बात सामने नहीं आई. लेकिन विसरा रिपोर्ट की अभी प्रतीक्षा की जा रही है. लेकिन उस रात जाट का व्यवहार संदेह पैदा करता है. उन्होंने 12 नवंबर को अपने अधिकारियों की पत्नियों से संबंध रखने की रिपोर्ट के बाद इस्तीफा दे दिया. हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया पर गहलोत ने 15 नवंबर को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया.
गहलोत के कुशासन का पहला नुक्सान उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों में झेलना पड़ सकता है. चूंकि भंवरी अनुसूचित जाति की है, इसलिए इस मामले को सही ढंग से नहीं सुलझया गया तो इसका असर न सिर्फ राजस्थान में अनुसूचित जाति के 60 लाख मतदाताओं पर पड़ेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश में भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. 14 सितंबर को गोपालगढ़ की घटना, जिसमें एक मस्जिद के सामने पुलिस गोलीबारी में 10 मेव मुसलमानों की जान चली गई थी, से मुसलमान पहले ही नाराज हैं.
राज्य के गृह मंत्री शांति धारीवाल ने इस घटना की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है. गहलोत ने भी उन पर इस्तीफा देने के लिए कोई दवाब नहीं डाला. मदेरणा के विपरीत धारीवाल को बख्श दिए जाने से राज्य में 60 लाख आबादी वाला मुस्लिम समुदाय और 32 लाख जाट मतदाता, दोनों काफी खफा हैं. गोपालगढ़ और भंवरी की घटनाओं का असर उन दोनों ही समुदायों पर पड़ सकता है, जिन्हें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपनी ओर खींचना चाहती है.
गहलोत को भी इस बात की जानकारी है. 11 नवंबर को उन्होंने मीडिया को बताया कि ''यह घटना ऐसी है जिससे किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं. वह एक दलित महिला थी और जिस तरह से उसका अपहरण हुआ और बाद की घटनाएं हुईं, वह बहुत भयावह हैं.''
यकीनन मुख्यमंत्री के केवल रोंगटे ही खड़े नहीं होंगे. अगर वे सड़ांध को नहीं रोक सके तो उन्हें हटाया भी जा सकता है. कांग्रेस नेतृत्व के पास पहले से ही उनके उत्तराधिकार की योजना तैयार है. उनकी जगह लेने वालों में सबसे पहला नाम कैबिनेट मंत्री और राजस्थान कांग्रेस प्रमुख सी.पी. जोशी का है. कुशल प्रशासक जोशी को कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का भी वरदहस्त प्राप्त है. दूसरा नाम जितेंद्र सिंह का है, जो रा'ल गांधी की नई पीढ़ी को आगे लाने वाली योजना में फिट बैठते हैं.
इस बीच भाजपा को भी अपना मौका नजर आने लगा है. विपक्ष की नेता वसुंधरा राजे कहती हैं, ''खाली मेकअप से चेहरे के वे दाग नहीं छुप सकते, जो भंवरी ने दिए हैं. मुख्यमंत्री को ऐसी शर्मिंदगी से राज्य को बचाने के लिए इस्तीफा देना चाहिए. आप अपने मंत्रियों के साथ चाहे जितनी भी बैठकें करें लेकिन आखिर में फैसला आपको ही करना होगा.''
भंवरी बम से घायल होने वाले मुख्यमंत्री गहलोत अकेले नहीं हैं. पहले ही कई घोटालों में फंसे कांग्रेस आलाकमान को अपने सबसे खराब शासन वाले राज्य में से एक में सेक्स-और संभावित हत्या-के एक और मामले से निबटना होगा.