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सरपंच बन डॉक्टर शहनाज कर रही गांव की समस्याओं का इलाज

मरीजों के मर्ज को समझने और इलाज करने वाले लोग काफी हैं लेकिन देहात का दर्द जिस्मानी तकलीफों से बहुत ज्यादा है.

शहनाज खान
शहनाज खान
अपडेटेड 11 अप्रैल , 2018

छोटी सी उम्र, मगर इरादा बहुत बड़ा. 24 वर्षीय शहनाज ने चिकित्सक बनकर मरीजों की सेवा करने के बजाय राजनीतिक इलाज के जरिए आमजन के मर्ज के जानने और उनके दर्द को दूर करने का रास्ता चुना. शहनाज पिछले पंचायत चुनावों में भरतपुर जिले की गढ़ाजान ग्राम पंचायत से सरपंच चुनीं गईं. शहनाज ने सरपंची चुनाव में अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी निशार मोहम्मद को 195 वोटों से शिकस्त देकर शानदार जीत हासिल की.

शहनाज का जन्म गढ़ाजान में हुआ. घर में राजनीति का माहौल पहले से ही था. दरअसल शहनाज के नाना चौधरी तैयब हुसैन कांग्रेस में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. मां जाहिदा खान भी कामां सीट से विधायक रहीं. शायद इसी वजह से ज्यादातर समय गांव से बाहर रहने के बाद भी शहनाज ने राजनीति का रास्ता चुना. एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने और चिकित्सक की सरकारी नौकरी का अवसर मिलने के बाद भी उन्होंने सरपंची का चुनाव लड़ा और जीता.

सरपंच शहनाज खान ने बातचीत के दौरान भविष्य की सुंदर तस्वीर सामने रखी. डॉक्टर बनकर दुखियों का दर्द दूर करने के बजाय सियासी स्टेथेस्कोप को गले में लटकाने के सवाल के जबाव में शहनाज बोलीं-" मरीजों के मर्ज को समझने और इलाज करने वाले लोग काफी हैं लेकिन देहात का दर्द जिस्मानी तकलीफों से बहुत ज्यादा है.

अधिकांश लोग राजनीति में पैसा कमाने के लिए आते हैं लेकिन मेरा मकसद ये बिल्कुल भी नहीं है. बचपन से किशोरावस्था के बीच मैंने मेरे गांव और देहात में पसरे दर्द को बहुत करीब से महसूस किया है.

परिवार, पड़ोस, गांव, इलाके और देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने के पढ़ाई जरूरी थी. उसे मैंने एमबीबीएस की डिग्री के साथ पूरा किया. अब जिंदगी का मकसद अपने गांव और इलाके को विकास की पटरी पर लाकर लीक से अलग हटकर कुछ ऐसा करने का है, जिसे देखकर मेरे इलाके के लोग मुझ पर फख्र करें और दूसरे लोग अनुसरण करें."

भविष्य के लिए आपकी योजना क्या है? पूछे जाने पर वह बोलीं-" सबसे पहला काम है-शहरों की ओर पलायन करते मेरे गांव और देहात के लोगों को रोकना. बारिश की कमी से चौपट होती खेती और मशीनी युग ने मेरे गांव और देहात के वाशिंदों को बेरोजगार बना डाला है.

बेरोजगार लोग अपराध की अंधी खाई में सरकने लगे हैं. ऐसे में सबसे पहली जरूरत है-देहात में कुटीर उद्योगों के सृजन की. सरकारी योजनाओं के साथ-साथ मैं व्यक्तिगत तौर भी एकल एवं समूह में कुटीर धंधे शुरू कर जल्द से जल्द पलायन को रोकने की कोशिश करुंगी.''

शहनाज कहती हैं कि यहां हर घर में शौचालय हैं. हमारी ग्राम पंचायत काफी पहले ही ओडीएफ घोषित हो चुकी है. शहनाज बोलीं, सरकार की सभी योजनाएं अच्छी और जनहितकारी होती हैं लेकिन शिक्षित नहीं होने और जनप्रतिनिधियों की सार्थक पहल के अभाव में अधिकांश लोग उन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं.

इसलिए वे बेहतर शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के मिशन को अमलीजामा पहनाने के पाक मकसद को लेकर सियासी गलियारों में आई हैं. उन्होंने बताया यहां ऐसा एक भी घर नहीं है जिसमें से निकलकर बच्चियां स्कूल नहीं जाती हों.

गढ़ाजान ग्राम पंचायत को नई शक्ल और सूरत देने वाली शहनाज ने एक सवाल के जबाव में कहा-"हां! क्यों नहीं? यदि मेरे विधानसभा क्षेत्र के लोग चाहेंगे तो मैं भविष्य में चुनाव में भाग्य जरूर आजमाउंगी.

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