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निषाद समाज का हाथ थाम कर कांग्रेस को सियासी भंवर से निकालेंगी प्रि‍यंका

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी 21 फरवरी को प्रयागराज के बसवार गांव पहुंची. 4 फरवरी को इसी गांव में अवैध खनन की शिकायत पर पुलिस ने नावों तो तोड़ दिया था, पुलिस कार्रवाई में कई ग्रामीण घायल हो गए थे.

प्रयागराज के बसवार गांव में न‍िषाद समाज की म‍ह‍िलाओं के साथ प्रि‍यंका गांधी
प्रयागराज के बसवार गांव में न‍िषाद समाज की म‍ह‍िलाओं के साथ प्रि‍यंका गांधी
अपडेटेड 22 फ़रवरी , 2021

मौनी अमावस्या के मौके पर 11 फरवरी को प्रयागराज पहुंची कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने संगम में डुबकी लगाकर सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश दिया था. इसके फौरन बाद प्रियंका अरैल घाट पर नाव पर सवार हो गईं. कुछ ही देर बाद प्रियंका ने नाव चला रहे झूंसी के छतनाग निवासी नाविक कुलदीप निषाद से पतवार लेकर अपने हाथ में थाम ली. नाव की पतवार चलाते रहने के दौरान प्रियंका ने कुलदीप से निषाद समाज की दिक्कतों के बारे में चर्चा की. कुलदीप ने ही प्रि‍यंका को कुछ दिन पहले प्रयागराज में घूरपुर के बसवार गांव में हुई एक घटना के बारे में बताया. उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 जून 2019 को पूरे प्रदेश में बालू खनन में नाव का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया था. इससे तमाम निषाद बेरोजगार हो गए. घूरपुर के पास बसवार गांव में 4 फरवरी को कुछ लोगों ने अवैध खनन की शिकायत की थी. पुलिस, प्रशासन और खनन विभाग की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर खनन में लिप्त नावों को तोड़ दिया था. इस पर ग्रामीण उग्र हो गए. जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इसमें महिलाओं समेत 30 से अधिक ग्रामीण चोटिल हो गए. ग्रामीणों का आरोप था कि पुलिस ने खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई न करके छोटे नाविकों की 16 नावों को तोड़ दिया था. मामले में पुलिस ने 100 से अधिक निषाद समाज के लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी. प्रियंका ने कुलदीप को आश्वासन दिया था वह शीघ्र ही उसके गांव आएंगी और मछुआरा समाज के लोगों से उन पर हुए अत्याचार के बारे मे बातचीत करेंगी और उनको न्याय दिलाने का प्रयास करेंगी.

तय कार्यक्रम के अनुसार, प्र‍ि‍यंका गांधी 21 फरवरी को सुबह साढ़े ग्यारह बजे प्रयागराज के बम्हरौली एयरपोर्ट पहुंची. यहां इनका स्वागत नाविक सुजीत निषाद ने किया. इसके साथ ही नाविक दया राम साहनी भी मौजूद थे. लोकसभा चुनाव से पहले मार्च, 2019 में प्रियंका गांधी ने प्रयागराज से “गंगा यात्रा” शुरू की थी. उस वक्त दयाराम साहनी प्र‍ियंका के साथ थे. एयरपोर्ट से निकलने के बाद प्रियंका गांधी के साथ गाड़ी में बैठकर नाविक सुजीत और बलिराम साहनी बसवार गांव पहुंचे, जहां निषाद समुदाय का पुलिस द्वारा उत्पीड़न किया गया था. बसवार की पीड़ितों के बीच पहुंचकर प्रियंका ने यह बताने की कोशिश की कि कांग्रेस गरीबों के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ी है. कई बार सुरक्षा घेरा तोड़कर वह गांव की महिलाओं के बीच पहुंचती रहीं, तो लोगों के दरवाजे पर बैठकर हालचाल भी किया. गांव में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं तो वह कुर्सी की बजाए जमीन पर बैठ गईं. कुर्सी पर वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी बैठ गए. इसके बाद उन्होंने वहां खड़ी गांव की कुछ बेटियों को अपने पास बुला लिया. प्रियंका ने पूजा निषाद और माला से घटनाक्रम की जानकारी ली. निषाद समाज की महिलाओं से संवाद के दौरान प्रियंका के चेहरे के भाव भी बदलते रहे. कभी गंभीर तो कभी हल्की मुस्कुराहट भी दिखी. उन्होंने बातें सुनते समय दो बार चश्मा लगवाया और हटाया. बात करते-करते उनकी भी आंखें गीली हुईं और गला भर आया. पास बैठीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा भी खुद को रोक नहीं सकीं. महिलाओं ने दर्द बताया तो दूसरी ओर बैठे पुरुष भी खुद को रोने से रोक नहीं सके. करीब दो घंटे तक निषाद समुदाय के बीच रहने के दौरान प्र‍ियंका ने इनसे आत्मीयता जोड़ने की भरसक कोशि‍श की.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजनीतिक शास्त्र विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. रमेश चंद्र बताते हैं, “यूपी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उभार में निषाद समाज समेत कई अन्य पिछड़ी जातियों के समर्थन का बड़ा योगदान था. बसवार की घटना के बहाने प्रियंका गांधी निषाद समाज के बीच कांग्रेस की पकड़ मजबूत कर भाजपा को कमजोर करना चाहती हैं.” बसवार की घटना के बहाने प्रियंका निषादों के साथ बिंद, मछुआरा, मल्लाह आदि जातियों को भी साधने की भी कोशि‍श कर रही हैं. समाजिक न्याय समि‍ति-2001 की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी की पिछड़ी जातियों में निषाद समाज की आबादी 4.33 प्रतिशत बैठती है. पूर्वांचल के डेढ़ दर्जन जिलों में इनकी प्रभावी संख्या है. प्रयागराज की ही बात करें तो यहां अकेले निषाद बिरादरी के लोगों की संख्या 50 हजार से अधि‍क है. अन्य उपजातियों को भी शामिल कर लें तो यमुनापार की चार विधानसभा सीटों के अलावा प्रतापपुर, हं‍डिया में ये पिछड़ी जातियां निर्णायक भूमिका में हैं. दस दिन के भीतर दो बार प्रयागराज पहुंचकर प्रियंका ने भविष्य की राजनीति का भी संकेत दिया है. देश की राजनीति में बड़ा दखल रखने वाले प्रयागराज को वह अपनी सियासी पारी का मुख्य केंद्र बनाना चाह रही हैं. यही वजह है कि प्रियंका गांधी ने प्रयागराज में मुख्य कार्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है. यह भी माना जा रहा है कि प्रयागराज के जरिए वह पूरे प्रदेश खासकर पूर्वांचल में पार्टी की पैठ मजबूत करना चाहती हैं. 

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