scorecardresearch

अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्तों पर हवाई हमला

इस घटना से पाकिस्तान के सब्र का बांध टूट गया है. नैटो के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों से 26 नवंबर को मोहमंद कबायली क्षेत्र में सीमा पार से किए गए हमले ने अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों को बिगाड़ दिया है.

अमेरिका-पाकिस्तान रिश्ता
अमेरिका-पाकिस्तान रिश्ता
अपडेटेड 4 दिसंबर , 2011

इस घटना से पाकिस्तान के सब्र का बांध टूट गया है. नैटो के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों से 26 नवंबर को मोहमंद कबायली क्षेत्र में सीमा पार से किए गए हमले ने अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों को बिगाड़ दिया है.

हमले में 24 पाकिस्तानी फौजी मारे गए. पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, इसे 'जान-बूझ्कर' किया गया हमला करार दिया और नैटो प्रमुख एंडर्स फॉग रसमुसेन और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की तरफ से मांगी गई माफी को नजरअंदाज कर दिया.

उसने नैटो के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल की सप्लाई लाइनों को काट दिया और अमेरिका से कहा कि वह बलूचिस्तान में शम्सी हवाई अड्डे को खाली करे.

अफगानिस्तान से 2014 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद उसका भविष्य तय करने के लिए बॉन में 5 दिसंबर को बुलाई गई बैठक का पाकिस्तान बहिष्कार करेगा.सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस घटना से दोनों सहयोगियों के बीच रिश्ते पूरी तरह खत्म नहीं होंगे.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ''इसका मतलब है कि भारी मात्रा में मिलने वाली सैनिक और आर्थिक सहायता बंद हो जाएगी.''

अमेरिका से पाकिस्तान को सबसे ज्‍यादा विदेशी सहायता मिलती है, उसने 2010 में उसे करीब 1.2 अरब डॉलर दिए. केरी-लूगर-बरमैन बिल के तहत, अमेरिका पांच वर्षों में पाकिस्तान को 7.5 अरब डॉलर देगा.

अधिकारी ने कहा, ''अमेरिका और पाकिस्तान दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. दोनों देश दुनिया के इस हिस्से में अस्थिरता पैदा होने का खतरा मोल नहीं ले सकते.''

पाकिस्तान यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस ऐंड स्ट्रेटजिक स्टडीज के एक प्रोफेसर का कहना है, ''पाकिस्तानी, खासतौर से ताकतवर फौज, अमेरिका पर दबाव बनाकर रखना चाहती है, हालांकि यह साफ नहीं है कि पाकिस्तानी दरअसल क्या चाहते हैं.''

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका से और मदद ले सकता है. 2010 में एक लड़ाकू अमेरिकी हेलिकॉप्टर के हमले के बाद पाकिस्तान ने अपनी एक सीमा को बंद कर दिया था. उस हमले में उसके दो फौजी मारे गए थे.

10 दिन बाद अमेरिका ने उसके लिए माफ ी मांगी और पाकिस्तान नरम पड़ गया. ऐसा लगता है कि 26 नवंबर की घटना पाकिस्तान के गैर-फौजी और फौजी रिश्तों को फि र उसी हालत में ले आई है जहां वह अक्तूबर के मेमोगेट स्कैंडल के बाद आ गए थे.

जनरलों के खिलाफ अमेरिका की मदद मांगने के लिए कथित तौर पर चिट्ठी भेजने के बाद अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत को वापस बुला लिया गया था.

फौज जनरल अशफाक परवे.ज कयानी के नेतृत्व में 26 नवंबर के हमले के बाद एजेंडा तय कर रही है. हमले के कु छ ही घंटे बाद इस्लामाबाद के प्रेसिडेंसी रोड पर वजीरेआजम के घर पर फौजी और गैर-फौजी नुमाइंदों की बैठक में कहा गया कि उन्होंने नैटो के सप्लाई रूट बंद करने के फैसले के बारे में पूर्वानुमान लगा लिया था.

बैठक में शामिल एक मंत्री ने इंडिया टुडे को बताया, ''लेकिन हमें ताज्‍जुब है कि फौज ने अमेरिका से सामरिक शम्सी हवाई अड्डा खाली करने को कहा है.''

यह उन तीन हवाई अड्डों में से एक है जो अमेरिका को पट्टे में दिए गए हैं.

फौज ने हमले के खिलाफ जनता का समर्थन हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है. फौज के दो आला अफसरों, चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल वहीद अरशद और फौजी मुहिम के महानिदेशक मेजर जनरल अशफाक नदीम ने रावलपिंडी में 50 पत्रकारों को इसके बारे में जानकारी दी.

जनरल नदीम ने कहा, ''हमारे यह बताने के बावजूद उन्होंने हमला किया कि वे दहशतगर्दों पर नहीं बल्कि पाकिस्तानी फौजियों पर हमला कर रहे हैं.''

उन्होंने कहा कि नैटो-अमेरिका गठबंधन से बाहर निकलने का फैसला सरकार को करना है.नैटो हमले के खिलाफ मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट ने 28 नवंबर को पाकिस्तान एकजुटता और स्थिरता दिवस मनाया और इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने हमले को पाकिस्तानी फौजियों की निर्मम हत्या कहा.

ऐसे में हमलों ने पाकिस्तान के खंडित राजतंत्र को एकजुट कर दिया है और आतंक के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई से हटने के लिए जनता की आवाज को बुलंद कर दिया है.

Advertisement
Advertisement